काश मुझको
काश मुझको तेरी, उल्फत की निशानी मिलती,
मेरे हिस्से में तेरी दिलकश सी कहानी मिलती,
मैं तो कब से तेरी, चाहत का तलबगार रहा हूँ,
तेरी जुल्फों तले कोई, रात सुहानी मिलती।
रोज आता हूं तेरे दर पर, जख्मो को ताज़ा करने,
काश मझसे भी कभी, तू बन के दीवानी मिलती।
तेरे एक हंसने से आ जाती थी बागों में बहार,
मैं भी हंस लेता अगर, तेरी मेहरबानी मिलती।
खुली किताब सा था मैं, जिसने चाहा जो लिखा,
काश मुझको तेरी चाहत की निगहबानी मिलती।
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