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Showing posts from January, 2019

करार दे दो करार ले लो

तुम्हारी खातिर खुली हैं बाहें करार दे दो करार ले लो। मुझे छुपा लो तुम्हें छुपा लूं, मुझे ये बाहों का हार दे दो। ख्वाब में ही पकड़ लिया था, वो हाथ अब तक नही है छूटा, दीवाना तेरा समझ के मुझको, जमाने ने हर ख्वाब लूटा, ना तुमने थामा, न मैंने थामा है अन्छुआ जो वो प्यार दे दो। मुझे छुपा लो तुम्हें छुपा लूं, मुझे ये बाहों का हार दे दो। दिल की धड़कन बढ़ी हुई सी, कोई तो हलचल हुई है इनमे, तुम्हारे नैनो की बिजलियों से उथल-पुथल सी मची है मन मे तुम्हारी यादों का कारवां बस, तूफान उठाता, करार दे दो, मुझे छुपा लो तुम्हें छुपा लूं, मुझे ये बाहों का हार दे दो। बिना तुम्हारे हुई अधुरी, ये जिन्दगी की मेरी कहानी, बहुत ही तन्हा गुजर रही है, दूर तुमसे मेरी जवानी, है सूखे दिल के, ये बाग सारे, झलक दिखा दो, बहार दे दो, मुझे छुपा लो तुम्हें छुपा लूं, मुझे ये बाहों का हार दे दो। तुम्हारी आदत लगी जो दिल को, खुशियां सारी घर आ गई है, तुमसे पहले जो थी उदासी, बहार बन कर वो छा गई है। जो मुझसे रूठो कभी किसी दिन, मनाने का तो हक़ यार दे दो मुझे छुपा लो तुम्हें छुपा लूं, मुझे ये बाहों का हार दे दो।

मिलन

ख्यालो से भी हसीन वो रात, मेरे हाथ मे तुम्हरा हाथ, फूलों की सुंदर बारात, तुम्हारी छुअन से बहके हुए हालात, वो तुम्हरा घूंघट उठाना, वो मेरा लड़खड़ा जाना, वो नजरों का झुक जाना, वो मेरा चहक जाना, वो तेरा मचल जाना, मेरे हाथो मे तेरा चेहरा, वो तेरा  शर्माना, वो मेरा पास आना, वो सांसों का टकराना, वो धड़कन का बढ़ जाना, वो तेरा सिमट जाना, वो मेरा बहक जाना, वो तेरा भागना, वो तेरी चुनरी का हाथ आना, वो तेरा रुक जाना, वो मेरा तेरे पास आना, वो तेरा मुहँ छुपा लेना, वो मेरा हाथ हटाना, वो तेरा थोड़ा झुक जाना, वो होठों से होठ को छू लेना। वो मेरा नशे मे हो जाना फिर तेरा खुद ही मेरी बाहों मे, आकर के छुप जाना। वो शशि की शीतलता मे प्रेम अगन का बुझ जाना, वो शहनाई, वो अंगराई, एक हमारा हो जाना। मधुर मिलन की रात मे, दूरी का सारी मिट जाना, सारी दुनिया का जल जाना, अमर प्रेम का हो जाना।

दिलकश चाहत का सिला

इतना दिलकश, जो मेरी चाहत का सिला हो, ए खुदा तू ही बता, फिर मुझे कैसा गिला हो। हर वक़्त जो मेरी चाहत का, दम्भ भरा करते थे, हम भी अपना जिनके, होने पर गुमान करते थे, वो ही महफिल में, संग गैरों के खड़ा हो, ए खुदा तू ही बता, फिर मुझे कैसा गिला हो। हमने चाहा था जिसे, छू भी ना पाये कोई गम, उसने ठाये हैं मेरे दिल पर कितने ही सितम, उसी ने फिर मुझे वेवफा भी कहा हो। ए खुदा तू ही बता, फिर मुझे कैसा गिला हो। मैने जिसको कभी, भगवान बना कर पूजा, मेरे ख्वाबो पे कभी, रंग चढ़ा ना दूजा, उससे ही इश्क़ का, धोखा भी मिला हो ए खुदा तू ही बता, फिर मुझे कैसा गिला हो। आइना देखा तो तस्वीर उसी की उभरी, वो मेरे ख्वाबो की ताबीर है बन कर गुजरी, उसपर एक रंग भी न, मेरी चाहत का चढ़ा हो ए खुदा तू ही बता, फिर मुझे कैसा गिला हो।

परी जैसी लड़की

एक खूबसुरत परी जैसी लड़की, आंखों मे मेरी समा वो गई है, जिधर देखता हूँ, उधर वो ही वो है, ख्वाबो की दुनिया बसा वो गई है। ये जुल्फों का बादल, ये होठों का झरना, जिसे चाहे तू उसको खुद मे समा ले, देखा है उसने मुझे जब से हंस कर, दिल कहता की खुद को उसी पर लुटा दे। जिधर देखता हूँ, उधर वो ही वो है, ख्वाबो की दुनिया बसा वो गई है। वो ही वो मेरी जिन्दगी पर है छाये, इन्ही का हमे बस आता है सपना, उन्हीं से जुदा है ये कैसी है किस्मत, जिन्हे मेरे दिल ने माना है अपना जिधर देखता हूँ, उधर वो ही वो है, ख्वाबो की दुनिया बसा वो गई है।

मुस्काये कैसे

दिल मे छोटा सा जो गम है, तुझको ये बतलाये कैसे। साजन तेरे जाने का दिन, खुलकर हम मुस्काये कैसे। प्रेम भरा आलिंगन साजन, मधुर मिलन की फिर अभिलाषा, रो रो कर कहता है ये मन, पास रुको कुछ साजन ज्यादा, दो दिन मे अभिलाष का सागर, बोलो हम भर पायें कैसे, साजन तेरे जाने का दिन, खुलकर हम मुस्काये कैसे। कर्तव्य पथ पर तुमको तो बस, प्रेम छुपा कर जाना होगा, दिल मे रख कर आस का दीपक, मुझको तो मुस्काना होगा, दिल को दिल का हाल पता है, देख तुझे रो जाएं कैसे, साजन तेरे जाने का दिन, खुलकर हम मुस्काये कैसे। प्रेम पर मेरे बस तेरा ही, जन्मो तक अधिकार रहेगा, राह मे तेरी बिछ-बिछ जाना, हमको तो स्वीकार रहेगा, तुम बिन लेकिन गीत मिलन का, दिल मेरा गा पाये कैसे, साजन तेरे जाने का दिन, खुलकर हम मुस्काये कैसे। अंतिम रात पहर अंतिम है, अंतिम ये जीवन के मधु क्षण, तेरे बिन तिल तिल गुजरेगी, आंखें बिछ जाएंगी कण कण, प्रेम को अपने पाश बना कर, तुझको बस हम पाएं कैसे, साजन तेरे जाने का दिन, खुलकर हम मुस्काये कैसे।

नन्हे-मुन्हे

उन नन्ही नन्ही आंखों का, धीरे से खुल जाना ऐसे। उन नाजुक नाजुक होठों से, धीमे से मुस्काना ऐसे दुनियां की सारी सत्ताएं, जीत ना पाये एक उस पल को, देख तुम्हें मह्सूस ये होता, जीवन का फिर पाना जैसे। सुर मय तेरा वो रोना ज्यों , गीत स्वयं भामा ने गाये। मधुर मधुर बोली वो तेरी , जीवन का एक राग सुनाये, स्वपन सा वो अह्सास तुम्हरा छुअन तुम्हारी, साथ तुम्हरा, नींद तुम्हारी, इतनी नाजुक, ओस का छन्न से गिर जाना जैसे, देख तुम्हें मह्सूस ये होता, जीवन का फिर पाना जैसे। तुम आये, जीवन मे मेरे, इन्द्रधनुष का रंग फैलाये, तुझको कोई दर्द मिले न, जो कुछ हो मुझको मिल जाये, जीवन मे सारी खुशियां बस, तेरे ही हाथों मे आये। उन नाजुक, कोमल हाथों का, इन हाथों मे आना ऐसे, देख तुम्हें मह्सूस ये होता, जीवन का फिर पाना जैसे। भामा- देवी सरस्वती का एक नाम

आ गये मतदान निकट

चोरों में, डाकुओं मे, फिर एक को हमने चुनना है, आ गये मतदान निकट फिर, झूठे भाषण सुनना है। एक अजब है बात यहां, सत्ता मे जो आ जाते हैं। पिछ्ली सारी सत्ताओं को, मिलकर के चोर बताते है, फिर बैठ देश को सालों तक, दीमक की भान्ति घूनना है। आ गये मतदान निकट फिर, झूठे भाषण सुनना है। सत्ता विपक्ष सब चेले हैं, और मिलकर खेल सब खेले है, तू मुझे बचा, मैं तुझको छोडू, सिद्धांत यही एक पेले है। सत्ता की खातिर मिल जुल कर, जाल कपट का बुनना है आ गये मतदान निकट, फिर, झूठे भाषण सुनना है। चौथा स्तम्भ कहा जिसको, लोकतन्त्र के पन्नो मे, आज बिछे है देखो सब, सत्ता शीर्ष के चरणो मे, जो बैठे सत्ता मे उनके, आगे तो दुम को हिलना है। आ गये मतदान निकट, फिर, झूठे भाषण सुनना है। पावन गंगा के जल जैसी, पावन कुर्सी की माया है, जो बैठ गया हट जाती सब, पिछ्ले पापो की छाया है। राजा तो अब भाग्य विधाता, त्रिदेवों से तुलना है आ गये मतदान निकट, फिर, झूठे भाषण सुनना है।

तुम्हारी आँखें है गहरा सागर

एक मुसाफिर था मैं तो यारा, तुम्हें जो देखा भटक गया हूँ, तुम्हारी आँखें है गहरा सागर, कश्तियों बिन उतर गया हूँ। कोई कहानी मेरी नहीं थी, तुम्हीं से हो अब कोई कहानी, भटक रही थी, करार पाये, तुम्हारी बाहों में ये जवानी, तुम्हारी यादों में मैं जो डूबा, नजर में सबकी अखर गया हूँ। तुम्हारी आँखें हैं गहरा सागर, कश्तियों बिन उतर गया हूँ। बहुत सुहानी है रात बीती, तुम्हारे सपनों में खो गया था, हुआ वो सब कुछ, जो चाह दिल की, समां बहारों सा हो गया था। वही हैं छाए ख्याल दिल में, उन्ही में डूबा, मैं तर गया हूँ। तुम्हारी आँखें हैं गहरा सागर, कश्तियों बिन उतर गया हूँ। करार दे दो, बहार दे दो, मुुझे वो बाहों का हार दे दो, मैं जन्मो तक भुला ना पाऊँ, मुझे तुम्हारा वो प्यार दे दो, सफर मेरा ये खत्म हो शायद, तुम्हीं मिले हो जिधर गया हूँ। तुम्हारी आँखें हैं, गहरा सागर, कश्तियों बिन उतर गया हूँ। कोई बता दे कसूर मुझसे, हुआ ही क्या जो तुम्हें है चाहा, तुम्हारी हसरत, तुम्हारी चाहत, तुम्हारी राहों में दिल बिछाया, तुम्हें ही पाने की चाह लेकर, समर में तन्हा उतर गया हूँ तुम्हारी आँखें हैं गहरा सागर, कश्तियों बिन उतर गया

अंधभक्त

किसी को क्यू लगता है की जैसा आप सोचेंगे वैसा सब सोचे।किसी को अपनी कुछ राय है मेरी कुछ और। किसी को अगर लगता है मैने गलत लिखा तो मुझे गलत ठहराने की वजाय आप अपना सही लिखिए। अपको पसंद नही आता कुछ, तो शुक्रिया। आप मेरे शब्दो की गलतियां बताईये, भाषा अमर्यादित है तो बताईये, लेकिन आप मेरे भावो को गलत नही कह सकते। मेरी भवना है और उसके प्रगाटिकरन मे कुछ गलती हो सकती है वो सुधार किया जायेगा। लेकिन मे आपनी बात ना लिखूं या क्या लिखू ये मे रा हक है। आप सरकार के बारे मे अच्छा लिखिए ना। मैने कब रोका मुझे पसंद नही होगा तो मै भी टिप्पणी दे दूंगा लेकिन ये नही कहूंगा की पिछ्ले वाले से क्यू नही पुछा। मेरे हिसाब से मेरी राय अपको पसंद नही तो मुझे फर्क नही पड़ता। जनता और मीडिया को सवाल करने चाहिये, क्युकी जो किया वो अहसान नही था मोदी जी का वो उसकी सेलरी लेते है। और जिसने नही किया उसको 44सीट दी थी। और अगर ये भी नही करेंगे तो इनको भी वही पटक देंगे। PM चुना है भगवान नही जो सवाल ना पूछूं। किसी को डर लगता है तो आप डरिये मुझे ना डारने की जरुरत नही। जनता की दाल नही गल रही और अमीरो की,नेताओ की गल रही है। वादा था जनत

सजा

कुछ बात तो है लेकिन तुमसे कह ना पायेंगे, आंसुओं मे गम, मेरे ये बह ना पायेंगे। क्या हुई खता, जो हमसे, क्यो है हो गई, तुझको मेरे दोस्त हम ये, कह ना पायेंगे।। मेरी खता को कभी, तुम माफ ना करना, दोस्त मेरे तेरी वो माफी, सह न पायेंगे। गिद्घ नही और ये नजरें किसी पर भी नही है, कोई भी दामन हम कभी ना, नोच पायेंगे। हुई खता, दिल से कोई, ये नही करता, हर सजा हम लेकिन, हँस कर निभायेंगे। तुम सोये नही रातों को, ये मेरी खता थी, पर आंखों मे आंसू अब ना तेरी लाएँगे। संभल कर चलो, है सही ये बात भी लेकिन, जब भी गिरोगे, हम तुम्हारे साथ आयेंगे।

हमारी नींदें उड़ी हुई हैं

तुम्हारे लव ये क्या कह गये है, हमारी नींदें उड़ी हुई हैं तुम्हारे नैनो की आशिकी से, जमाने मे जंग छिड़ी हुई है। हमे बताओ जरा सनम ये, भला क्या जादू किया है तुमने। बहार आई अभी नही पर, क्यू सारी कलियाँ खिली हुई हैं तुम्हारी बिन्दीया, है चांद जैसे, बिखरी जुल्फों मे फँस गया सा, निगाहें तिरछी कटार बनकर, मारने पर तुली हुई हैं। करार उसको भला हो कैसे, जो तेरी गलियों में खो गया था, छुपा लो चाहे हज़ार खुद को, वो मूरत दिल मे बसी हुई है। मुझे दीवाना कहो तो लेकिन, घटा को फिर तुम क्या कहोगे, दीवाना बन मय लुटा रहा है,और मय से नदियां भरी हुई है। तुम्हारे लव ने जो छू लिया था, मुझे नही कुछ खयाल तब से, मै बन गया हूँ शराब जैसा, नशे की चादर चढ़ी हुई है। तुम्हारी खुशबू मे बहक कर, जमाना भी अब है नशे मे, जाम खुद ही छलक रहे हैं, मधु की महफिल जमी हुई है। कोई कहानी सुनाओ फिर से, तुम्हारे बाहों के दायरे की, मुझे तुम्हरा ही है होना, ये दुनियां फिर क्यू अड़ी हुई है। मुझे दीवाना ओ करने वाले, तेरी मोहब्बत मैं क्यू नही हूँ, मुझे पिला दे, तू हाला साकी, मिलन की किसको पड़ी हुई है। तुम्हारी चाहत कोई तो होगा, उसे

सत्ता

क्या हुआ जो तीर छोड़ते, नेता ये अंगारो से, हिन्दू-मुस्लिम एक रहेंगे, कह दो सब गद्दारों से। कह देने या ना कहने से माँ से प्यार नही घटता, माँ को पूजे या झुक कर चूमे, मत तौलो तुम नारो से, झूठे वादों से बहका कर के हर बार नही तुम जीतोगे, झूठ लगे तो जाकर पुछो मौन, अटल, सब प्यारो से। मन्दिर मस्जिद की बातों से, भूखों के पेट नही भरते, भूख मिटाओ और बचाओ झूठे, गौरक्षक हत्यारों से। मत भूलो हमने ही उस दिन, सत्ता को धूल चटा दी थी, दूर किया हमको जब उसने, बुनियादी अधिकारो से। जिसकी सत्ता मे सूरज भी, एक बार नही छुप पाता था, उसकी सत्ता भी हमने मिटा दी, अहिंसा के नारों से। अभिमानी सत्ताओ के आगे, हमने झुकना नही सिखा, कुछ तो सबक लिया ही होता, शिवाजी की ललकारों से।

हसीन

तुम्हारी आंखे, तुम्हारी जुल्फें, तुम्हारे लब या तुम्हरा चेहरा। खुदा भी अब तक, समझ ना पाया, हसीन सबसे, क्या है बनाया। तुम्ही बता दो, मैं दिल को मेरे, करार कैसे दिलाऊँ दिलबर। मैं जो तुम्हारी, गली से गुजरा, हैं बरसो बीते, ना लौट पाया। बहुत सुहानी, है गुजरी रातें, तुम्हारी यादों, के दायरे में। तुम्ही से तो है, बहारे सजती, तुम्ही हो फूलों के आईने मे। तुम्हे मै देखूं, तुम्हे मैं चाहूँ, या तुमको पूजूं, ना जान पाया। मैं जो तुम्हारी, गली से गुजरा, हैं बरसो बीते, ना लौट पाया। तुम्हारी नजरों, के तीर सबके, दिलों मे गहरे, उतर रहे हैं। गजल सी तेरी हसीं मे दिलबर, दीवाने बन हम बहक रहे है। जमाने भर ने, कहानियों मे, मुझे दीवना तेरा बताया। मैं जो तुम्हारी, गली से गुजरा, हैं बरसो बीते, ना लौट पाया। बिना तुम्हारे हमारा जीवन, बडा ही सूना गुजर रहा था। ना कोई चाहत, ना कोई आहट, ना दिल मे कोई उतर रहा था। तुझे जो देखा, जमाने भर में, तेरा ना कोई जवाब पाया। मैं जो तुम्हारी, गली से गुजरा, हैं बरसो बीते, ना लौट पाया।  ©vishvnath 8447779510