ये जीवन है (भाग 10-12)
अब तक के भाग में अपने पढ़ा कि रवि घर के पास ही रहने वाली शांति जी से उनके बेटे के बारे में पूछता है। वो अपनी कहानी में बताती हैं कि नेहा को डॉल मिलती है और वो अपने दोस्तों से दूर हो जाती है। अब आगे.... वो डॉल बड़ी अजीब सी थी। जब से वो डॉल आयी थी नेहा बदल सी गई थी वो बिल्कुल अकेले अकेले रहने लगी, सबसे अलग। राहुल से भी दूर सी हो गई थी। घर भी आती तो अकेले रहती। उसका चहकना, चुलबुलापन, हंसना सब जैसे कहीं खो गया था। बस वो उस डॉल से खेलती वो भी अकेले में, किसी को हाथ भी न लगाने देती थी। सबने उसको कहा कि इसको छोडनकर अपने दोस्तों के साथ खेलो, लेकिन जैसे इन बातों का उसपर असर नहीं हो रहा था या वो ये बात सुन ही नहीं रही थी। राहुल ने कितनी बार नेहा को समझाया लेकिन वो उससे लड़कर भाग जाती। उसकी आंखें अचानक से अजीब सी लाल हो जाती थीं। राहुल भी बहुत परेशान हो गया। आखिर कोई दोस्त एकदम से ऐसे करे तो बच्चे तो उदास हो ही जाते हैं। बच्चों के पूरी दुनिया आखिर माँ बाप और दोस्त ही तो होते हैं और नेहा तो उसकी सबसे प्यारी दोस्त थी। उसी की क्यों वो सबकी दुलारी थी। बाकी बच्चे भी परेशान थे लेकिन राहुल का मन तो नेहा के