बुरा इससे, क्या होगा मेहब्बत में
बेदर्द अब ज्यादा बुरा इससे, क्या होगा मेहब्बत में, जिसे चाहा भुला सबको, उसने ही दुत्कारा है। मैं लाख करूं मिन्नत, कोई फर्क नहीं उसको, जब जब भी किया सजदा, उसने धिक्कारा है। पर कैसे भुला दूं वो, जो वादा किया खुद से, हर हाल में तेरी खुशी, संकल्प हमारा है। खुश शायद तुम होते हो, यूं मुझको रूला कर के, जो तेरी ख़ुशी है तो, हर गम गंवारा है हर ओर यही चर्चा, मैं तेरा दिवाना हूँ, एहसास यही मुझको, बस जग से प्यारा है। करूं तुझसे कोई शिकवा, कब रीत मोहब्बत की, बस दिल से दुआ देना, ही काम हमारा है। तुम मुझसे जुदा हर पल, होते ही गए, पर दिल, तेरे लौट कर आने की, उम्मीद का मारा है।