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Showing posts from May, 2016

आओ राजनीति से देश को बचायें...

आज देश में राजनिति का स्तर दिन प्रतिदिन बहुत तेजी से गिर रहा है। देश के लोगों के बीच मनभेद पैदा किया जा रहा है। आज देश में दो ही तरह के लोग है एक तथाकथित रूप से देशभक्त हैं। जो 32% वोट के साथ देश के 68% लोगों को देशद्रोही साबित करने में जुटे हैं वो भी सिर्फ इस आधार पर क्योकि वो वैचारिक रूप से उनके समर्थक नहीं।, दूसरे वो सब जो उनके खिलाफ हैं, अगर राज्यवार देखा जाये तो महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कश्मीर देशभक्त राज्य हैं इसी प्रकार दिल्ली, बिहार, बंगाल सबसे बड़ा देशद्रोही राज्यों में हैं। इन सभी को पाकिस्तान जाना चाहिए। भारत हमेशा से वैचारिक विभिन्नता वाला देश रहा है लेकिन कभी एक मत वाले ने दूसरों को देशद्रोही नहीं कहा। ऐसा होना निश्चित रूप से बहुत भयावह स्थिति की और संकेत देता है जो सामाजिक सहिष्णुता के कम होने पर बहुत विकराल रूप ले सकती है। हम उस स्थिति को क्यों ला रहे हैं, कौन है इसके पीछे? यह विशुद्ध रूप से राजनितिक फायदे को सौदा रहा है, सत्ता में  चाहे कोई भी हो उसने लोगों के सामाजिक, धार्मिक सौहार्द को दांव पर लगाकर हमेशा अपना मकसद पूरा किया है। क्योंकि 4 साल के सत

भारत और नदियों की दुर्दशा

निर्मल गंगा एक ऐसा स्वप्न है जिसके लिए भागीरथ जैसा तप जरूरी है और आज कोई कितना भी इनकार करे लेकिन सब "गंगा मईया" सिर्फ राजनितिक स्वार्थ के लिए ही बोलते हैं, मेरा यह कथन किसी पार्टी या किसी सरकार के पक्ष या विपक्ष में नहीं है। मैली नदियां स्वार्थ सिद्धि की ऐसी कामधेनू बन गई है कि जिसे कभी कोई स्वच्छ नहीं करना चाहेगा क्योंकि कोई सोने का अंडा देने वाले मुर्गी की बिरयानी नही बनाई जाती। सत्य मानिये तो आज तक नदियों की सफाई के नाम पर जितना अपार धन खर्च क्या गया है उसमे संपूर्ण गंगा को 2-4 बार दुबारा खुदवाया जा सकता था। कोई ये कहे कि सिर्फ 2 वर्ष में गंगा-यमुना या कोई नदी साफ होगी तो वर्तमान में यह असंभव है , अभी तो रिपोर्ट आने में ही सालों लगते हैं। उसके लिए इच्छा शक्ति चाहिए, वोट का मोह त्यागना होगा, कुर्सी का मोह छोड़ कर निर्णय लेने होंगे। जो हिम्मत न पिछली सरकारों में थी न इस सरकार में दिखती है। जैसे ही किसी भी नदी को साफ की बात आती है सब संस्थाऐं नदियों की गंदगी के मुद्दे को धार्मिक रंग देने लगती है ताकि लोग इसको लेकर उदासीन हो जाए। इसके लिए सब का पहला वाक्य है कि नदियों मे