चांद कहने लगा
चांद कहने लगा, रात मुझसे मेरा, मुझपर उल्फत भरी ये निगाह यूं न कर, दो घड़ी बैठकर तू ठहर तो जरा, मुझपर हस्ती ये अपनी फिदा यूं न कर। ओ मेरे चांद सुन, ओ मेरी दिलरुबा, तुझमे पल-पल मेरा दिल है डूबा हुआ, तू मुझे भूल जा, ये तो हक़ है तुझे, मुझको हक से तो मेरे जुदा यूं न कर। तुम मेरी प्रीत जो कुछ खफा सी लगी, तुम तो वो रीत जो कुछ जुदा सी लगी मान जाओ और छाओ घटा बनके तुम, रूठने की तो झूठी अदा यूं न कर। मिल गईं हर घड़ी की ये बेताबियाँ, तुझको पाने में लगता हैं दुश्वारियां, तू मेरी मंजिलों की जरा हद में आ, मेरी किस्मत से खुद को जुदा यूं न कर। तू तो वो है जो जन्नत से आई यहां, तू वही जो निशा बन के छाई यहां, है तेरा ये असर इतना कातिल सनम, तूं बहारों से खुलकर मिला न यूं कर। हाँ तेरा इश्क़ सच में है जालिम बहुत, तोड़ देगा मुझे मुझको है ये यकीन, तोड़ दे या संभाले, तेरे हाथ है, पर मेरे इश्क़ को बदनुमा यूं न कर।