प्यारी बेटी

पहली बार तुझको छुआ जब,
अपने बचपन में कलियों को,
छूने का अहसास हुआ फिर।
कोमलता क्या होती, बचपन की,
निश्छलता क्या होती,
मुझको ये अहसास हुआ फिर।

वो प्यारा सा मुखड़ा तेरा,
फूलों का रंग फीका करता,
छोटे प्यारे नाजुक हाथों काे छूने से
कलियों का अहसास हुआ फिर।

हर्ष विकंपित हाथों से जब,
गोद लिया तुझको था मैंने,
सारी खुशियाँ पा लेने का,
मुझको था अहसास हुआ फिर।

माली  का मन क्या कहता है,
उपवन के खिल जाने पर,
तुमने जब आँखें खोली तब,
मुझको वो अहसास हुआ फिर।

क्या ये गुनगुना, गीला सा,
तुमने पावन काम किया ये,
मीठी नींद में सोते-सोते,
सूसू कर ड़ाला मुझपर फिर।।

बेटा जितने बड़े तुम बनना,
मानवता से बड़े ना बनना,
मेरी आँखों में यादों में तुम हरदम,
नन्ही परी बनकर के रहना।।।

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