चाहत का गुमान न होने लगे

हमको देख कर यूं मुस्कुराया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

आपकी अदाएँ दिल को कितना तरसाती हैं,
ये निगाहें क्या कहें, क्या क्या सितम ढाती हैं,
हमको देख कर मुँह दुपट्टे में छुपाया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

जब से देखा है तुम्हे बेकरार है दिल,
करता तेरा ही रात दिन इंतजार है दिल,
हमें देखकर, यू परदा झरोखे पर गिराया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

सुना ये शर्म है इश्क की पहली मंजिल,
हुई इन्तिहां, अब तो जरा आकर मिल,
हमसे मिलकर यूँ निगाहें झुकाया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

खिजां हो, आपको देखे तो बहार आ जाये,
काश कि तुमको भी हमपर, जरा सा प्यार आ जाये,
हमको देख कर यूँ, जुल्फें लहराया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

आप होंगे मेरे, मेरे दिल को यकींन नही,
ख्वाब है अगर तो जिन्दगी भर टूटे नहीं,
हमको देख कर यूं राहों में घबराया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

हमको देख कर यूं मुस्कुराया न किजिए,
फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

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