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Showing posts from May, 2019

हमसफर

तुम कहो तो सही, चल चलें हमसफर, हाथ थामो मेरा, उड़ चलें हमसफर। चाँद फीका तेरा, वो अजब रूप है, कैसे घूंघट करे, अब सब्र हमसफर। वो तुम्हारी झलक जब से देखी प्रिये, स्वप्नों सी जिंदगी सच मे चहकी प्रिये, बाग लगने लगी, चाह सजने लगी, सांस खुशबू से तेरी, है महकी प्रिये, तुम इजाज़त कहो, हाथ हाथों में दो, तुमको लेकर चलूं, अपने घर हमसफर। तुम कहो तो सही, चल चलें हमसफर, हाथ थामो मेरा, उड़ चलें हमसफर। तुम महावर लगाए, चली आओ बस, अपने हाथों में, मेहंदी की खुशबू लिए, तेरे चंचल इन नैनों अटका है दिल, मैं तो बहका हूँ तब से, बिना मय पिये, तुम मुझे थाम लो, लब के ये जाम दो, दुनिया की हो न कुछ भी खबर हमसफर। तुम कहो तो सही, चल चलें हमसफर, हाथ थामो मेरा, उड़ चलें हमसफर।

अनकहे गीत

अनकहे गीत वो, जो तुम्हारे लिए, थे गढ़े मेरे दिल ने वो, किससे कहूँ। तुमने तो तोड़ दी, जो सजाई थी एक, मन के मंदिर में मूरत, किससे कहूँ। हर तरफ है यही, शोर हुस्न बेवफा, तुमसे दिल को लगाया, मेरी भूल थी, इश्क़ करते नही, ये तो खुद हो गया, तुमसे नज़रें मिलाना मेरी भूल थी, अब तो सांसे मेरी, खुद पर ही बोझ है, मैं मोहब्बत हमारी, किससे कहूं। अनकहे गीत वो, जो तुम्हारे लिए, थे गढ़े मेरे दिल ने वो, किससे कहूँ। हो गई दीप सी, ये मेरी जिंदगी, तेरी राहों में जलती, कि आओगी तुम, क्या खबर थी मुझे, अजनबी मोड पर, मैं तेरे साथ, कहकर भूलाओगी तुम टूटता मैं रहा, हद जो टूटन की है, टूटने का ये किस्सा मैं किससे कहूँ, अनकहे गीत वो, जो तुम्हारे लिए, थे गढ़े मेरे दिल ने वो, किससे कहूँ।

बिखड़ी पंखुड़ियां: मेरा वजूद

कोहिनूर का हीरा भी, गरीब लगता है, चांद भी तेरे आगे, फकीर लगता है, कौन कहता है, अमीरी चंद लोगों को मिली, मुझको मेरा वजूद सबसे अमीर लगता है।

लोग अब मेरा रेप नहीं करेंगे, क्योंकि मैं पूरी जल चुकी हूं

लोग अब मेरा रेप नहीं करेंगे, क्योंकि मैं पूरी जल चुकी हूं ये वो लाइन है अगर ये पढ़कर किसी को डर नही लगता तो उनकी निर्भिगता को प्रणाम है। प्रणाम पिछली सब नपुंसक सरकारों को, प्रणाम बेटी बचाओ का नारा देने वाली नपुंसक सरकार को। नीचे दिए गए दोनो लिंक खबर नही है वो सच्चाई है। पहले वो खबर पढ़ लें, पहले लिंक की पूरी खबर मैने कॉपी की है। हमारे समाज की वीभत्स सच्चाई। ऐसी खबर कोई एक दिन की नही रोज की है। वैसे हो भी क्यों न, जब हमारे नेता लोकतंत्र के मंदिर में पोर्न देखते हैं, विधायक पर रेप के आरोप हो लेकिन सरकार कुछ न करती हो, पुलिस आरोपियों को इसलिए न पकड़ती हो कि वो किसी नेता का भाई, बेटा है किसी पूंजीपति का खास है और अपना ट्रांसफर करवाने से बचना है या किसी खास कमाऊ जगह करवाना है। वहां अगर ऐसी घटनाये होती भी हो तो कौन सा फर्क पड़ता है। जब नेता ये बयान देते है और महिला संघठन भी कि लड़कियां कम कपड़े पहनती है, रात देर तक घूमती है इससे लड़के रेप के लिए उत्साहित होते है, लड़को से जवानी में भूल हो जाती है और सरकार उनको मंत्री बना देती है। तक कहिये रेप करने का या कुछ गलत करने का प्रोत्साहन नही मिलता क्या।

मृत्यु भोज

सुबह तड़के रामदीन के घर से उसकी पत्नी की जोर से रोने की आवाज सुनकर सब जागे। उसके बाबू जी का भी हाल बुरा हो होने लगा। सबको पता चल गया कि रामदीन अब नही रहा। 35 साल का रामदीन परसो तक सही सलामत था। परसो खेत में काम करते हुए एक साँप काट गया। डॉक्टर के पास जाने लगे तो सबने कहा कि साँप का जहर जल्दी उतारना होगा और वहां के एक तांत्रिक ने झाड़ फूंक करके भभूत दी और कहा उत्तर गया जहर। कल तक सब सही था। रात ही तबियत खराब हुई और अचानक उसकी मौत हो गई। "चंपा" रामदीन की पत्नी यही कोई 28-30 साल की थी, थोड़ा पढीं लिखी थी, एक बेटा भी था जो सिर्फ पांच साल का था, बाबूजी बीमार थे। चम्पा ने पूरी कोशिश की कि डॉक्टर से दिखा दे लेकिन डॉक्टर दूर दूसरे गांव में था और कोई गाँव वाले साथ चलने को तैयार नही था। सब अंधविश्वासी थे और तांत्रिक से पूछे बिना कोई साथ चलने को तैयार न था। इसलिए सांप काटने से शायद रामदीन बच भी जाता लेकिन लोगो ने मिलकर उसको बचने का मौका ही नही दिया। धीरे-धीरे भीड़ होने लगी, पूरा गांव आ गया। चम्पा का और उसके बेटे का बुरा हाल था की अब कैसे गुजरेगी ये जिंदगी। बेटे का क्या होगा। गांव की औरतें