दिल हमने बिछाया था
दिल हमने बिछाया था, उसको
कोई ठेस लगे न राहों में,
थे फूल बहुत, पर डर था हमें,
काँटा लग जाए न पाँव में।
जब उसने कहा परेशान हैं हम,
प्यार भरी तेरी बातों से,
बस छोड़ दिया उनके रास्ते,
जाना भी इन निगाहों ने।
वो वक्त सुहाना था जब हम,
नजरों से बातें करते थे,
जीते थे बस देख कर उनको,
उनपर ही हम मरते थे,
प्यार का सागर, देखकर उनकी,
नजरों में हम खो जाते
दिन गुजर जाता पल में,
और लौट के हम घर आ जाते,
शाम को बैठे छत पर,
बस याद उन्हीं को करते हम,
जल्दी से हम सो जाते,
सपनों में फिर मिलते हम,
सपना था बस, जीवन गुजरे,
उनकी जुल्फों की छाँव में
जब उसने कहा परेशान हैं हम,
प्यार भरी तेरी बातों से,
बस छोड़ दिया उनके रास्ते,
जाना भी इन निगाहों ने।
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