खुदा तुझको बनाया था कभी

ए सनम हमने खुदा, तुझको बनाया था कभी,
मैने दिल की गली में, तुझको बसाया था कभी।
अब भी तेरी तेरी वो ही नजर, जीने का है आसरा,
हमने अपनी हस्ती को, जिसपर लुटाया था कभी।।

तेरे दर का वे झरोखा आज क्यों सुनसान है,
उमड़ रहें दिल में उन्हीं, यादों के तूफान है,
अब तक झुका है सर, तेरे दर पर झुकाया था कभी,
ए सनम हमने खुदा, तुझको बनाया था कभी।

या खुदा मुझपर तुझे, क्यूँ दया आई नहीं,
किस्मत में उनसे मिलन की, क्यूं एक घड़ी बनाई नहीं,
हमने खुद को राह में जिनकी बिछाया था कभी,
मैने दिल की गली में, तुझको बसाया था कभी।

अब तक मेरे दिल का, ये जहांन वीरान है,
दिल को तेरी एक झलक का ही बचा अरमान है,
याद कर तूने नजर से, प्यार जताया था कभी,
हमने अपनी हस्ती को, जिसपर लुटाया था कभी।।

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