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Showing posts from July, 2021

कत्ल करती चली जा रही तुम

कत्ल करती चली जा रही तुम, कत्ल होते चले जा रहे हैं, हुस्न ऐसा खुदा से है पाया, सब्र खोते चले जा रहे हैं। कत्ल होने की है आरजू बस, तेरी नज़रों के खंजर से हमको, चली बेबाक तुम आ रही हो, हम भी बेसुध बढ़े जा रहे हैं। कोई दिलकश अदा फिर से फेंको, अब भी नज़रों में उलझा मेरा दिल, दुनिया भटकी कमर की लचक में, हम नज़र पर मरे जा रहे हैं। और होगी तो पूरी हो हसरत,  इस जहां में करे जो भी सजदा, सारी रंगत ख़ुदाई की फीकी,  तेरा हर रंग पढ़े जा रहे हैं। ए ख़ुदा मूंद ले अपनी आंखें, हो न ये कि बहक जाए तू भी, है नशा वो कि मयखाने बहके, जाम ऐसे गढ़े जा रहे हैं। न हो उनसे मिलन अपना मुमकिन, मुझको मेरे खुदा बस यकीं दे, वो मय्यत पर आएंगे मेरी, जो दिल झटक यूं चले जा रहे हैं।

है बहुत खूबसूरत हसीन रात ये

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है बहुत खूबसूरत हसीन रात ये, तेरी जुल्फें और तारों की बारात ये, जुगनुओं आओ, दामन को रोशन करो, है मोहब्बत की दिलकश शुरुआत ये। देखूं छत पर तुम्हें रोज आती हुई, धूप में जेठ की मुस्कुराती हुई, दर्द दिल में छुपा कर जो रखा सनम, रोज जाती हो उसको बढ़ाती हुई। सारे फूलों से जग के, तुम तो हसीं, नाज़ जिसपर करे बाग, तुम वो कली। टूट कर प्यार हो कोई ऐसा जतन, कितनी दिलकश मोहब्बत की बरसात ये, जुगनुओं आओ दामन को रोशन करो, है मोहब्बत की दिलकश शुरुआत ये। वो मुझे देखकर मुहँ बनाना तेरा, अपनी जुल्फों में, अंगुली फिराना तेरा, मौसमों को न बहकाओ ऐसे प्रिये, हुस्न से बाग, न यूं जलाओ प्रिये।  तेरी जुल्फों ने उड़ उड़ बताया मुझे, टूट कर आज बरसेगा सावन यहां। बहके-बहके कदम, बहका-बहका समां, रात बहकी, तेरी ही है सौगात ये। जुगनुओं आओ दामन को रोशन करो, है मोहब्बत की दिलकश शुरुआत ये। आज का जो था वादा वो कल का हुआ, रंग उल्फत का शायद है हल्का हुआ, कुछ भरें रंग फिर से चलो प्यार से, उम्र का हमने माना धुंधलका हुआ, पर मोहब्बत जवां थी जवां ही रही, रूठती भी दिखी मेहरबान भी रही, जलते-जलते रहे मेरे मन के दीये, रोशनी की हो जैसे कायनात य

तेरे बिना है फीका सावन कान्हा

तेरे बिना है फीका सावन, तेरे बिना बेरंगी फाल्गुन, तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ, साथ तुम्हारा हर पल पावन। हे कान्हा कुछ ऐसा कर दो, जन्मों तक हो मिलन ये वर दो, मुझमे बस एक वास हो तेरा, स्वप्न में महारास हो तेरा, तुममे जीवन, तुममे मृत्यु, तुममे सांसों का अनुपालन, तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ, साथ तुम्हारा हर पल पावन। दीपों के सब आलय तममय, सूख रहे हिम आलय रसमय, जीवन की हर छाया खोई, बृज की मिट्टी मिट्टी रोई, आस लगाये थकती यमुना, नीर नयन ज्यों बरसे सावन, तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ, साथ तुम्हारा हर पल पावन। सखा सखी सब को बिसरा के, तोड़ चले इस जन्म के नाते, मात-पिता का प्रेम भी भूले, कैसे करते कर्म की बातें, ये तो कहो क्या कर पाओगे, प्रेम बिना सृष्टि संचालन, तुमसे दूरी मरघट दुनियाँ, साथ तुम्हारा हर पल पावन।

संस्कार

मुझे नही करनी शादी वादी। आप लोग समझते क्यों  नहीं। मेरे सपने है मैं पढ़ना चाहती हूँ, अपने पैरों पर खडी होना चाहती हूँ, शादी की कौन सी जल्दी है। अदिति जोर से लगभग चिल्लाते हुए बोली। मत करना, लेकिन कोई आ रहा है तो उसको मना कैसे कर दें। देख लो नही पसंद आया तो ना करना। हम कौन सा जबरदस्ती करवा रहे है मेरी प्यारी सी परी की शादी। वैसे किसी मेहमान का अपमान करना अच्छी बात नहीं है ना। अदिति के पापा ने प्यार से बोलते हुए कहा। ठीक है आ जाऊंगी कल कॉलेज से जल्दी। अदिति बोली। जल्दी, मतलब, कल नहीं जा रही हो तुम। ब्यूटी पार्लर जाना है, तैयार होना है, और तुमको कॉलेज की लगी है। माँ कितने गुस्से मे बोली थी। अरे अरे। मिलने को हाँ क्या कह दिया आप तो दुल्हन बनाने लग गई। मैं कही नहीं जाने वाली। जिसको देखना है ऐसे देखे नहीं तो वापस जाये। अदिति बोलते हुए अपने कमरे मे चली गई थी। सुना अपने, क्या बोल रही है। क्या हो गया है आज के बच्चों को, संस्कार ही खत्म हो गये है। मां ने पापा को सुनाते हुए बोला था। अरे कोई नहीं वैसे भी हमारी गुड़िया किसी परी से कम नही। क्या करेगी पार्लर जाकर। कभी गुलाब कोई मेकअप करता है क्या

साथ कर लें हम

आओ, रोना-हँसना, जीना-मरना साथ कर लें हम, बहुत लंबी हुई चुप्पी, जरा फिर बात कर लें हम, सुनो ये चांद तारों का, सफर कितना सुहाना है चलो फिर प्रेम की रोशन, यूँही शुरुआत कर लें हम। नई दुनिया नए सपने, नए अरमान लेकर के, बसे थे प्रेम की नगरी में, नया पैगाम लेकर के, तो कैसे तुमने सोचा खुद नई तुम राह चल दोगे, अगर चलना ही है तो चलो एक साथ चल लें हम, बहुत लंबी हुई चुप्पी, जरा फिर बात कर लें हम। जो बजती है कोई घंटी, दिल सब भूल जाता है तेरी बातों, तेरी यादों का झूला झूल जाता है, अकेला महफ़िल में छुप छुप सुनो आंसू बहाता है, चलो शिकवे मिटायें, इक नया आगाज कर लें हम बहुत लंबी हुई चुप्पी, जरा फिर बात कर लें हम। मिलना और बिछड़ना, होगा ही जब साथ दो होंगे, लड़ना और झगड़ना होगा ही जब साथ दो होंगे, ये दो होना अगर जड़ है मिटा दें मिलकर दोनों को, चलो अब एक हो जाएं, मैं को आज कर लें हम। बहुत लंबी हुई चुप्पी, जरा फिर बात कर लें हम। नई आदत नए किस्से नए किरदार होंगे अब, जो हम तुम साथ होंगे तो नए इतवार होंगे सब, चलो अंतिम कुँवारेपन की सारी यादों को रख लें, बाबू शोना, रात सारी अंतिम बार कर लें हम बहुत लंबी हुई चुप्पी, जर