दो कदम साथ तो दे
कोई तो तेरा भी है, इंतजार करता, तू बस मोहब्बत से, आवाज तो दे।।। ये माना गलत था, जो तुझको मिला था, तू फिर से तेरे दिल को, नया साज़ तो दे। और कब तक तू बैठेगा, यूंही हार कर के, उठ जिन्दगी को, अब आवाज तो दे।। जो कुचले गए है, नियती के हाथों, वो गुल फिर खिलेंगे, तू साथ तो दे।। और किसने कहां है कि, भरता नहीं जख्म, तू मोहब्बत भरा एक, एहसास तो दे। तू लगता है मुझको कि, खुद से खफा है, खता तेरी नहीं थी , दिल को विश्वास तो दे। वो बीतेगी जो थी, स्याह रात लम्बी, उसे रोशनी की, एक सौगात तो दे।। जो तेरे लिए था, वो तेरा ही होगा, उठ तो जरा तू, दो कदम साथ तो दे।