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Showing posts from February, 2019

भुला दूँ

भुला दूँ जब भी सोचा था, तभी तब आ गये है वो। आकर दिल की उलझन को, जरा उलझा गये हैं वो। समझ मे ये नही आता, मोहब्बत है या धोखा है, उनकी हर अदा लगती, ठंडी हवा का झोखा है। हंसा कर पल भर मे हमको, फिर रूला गये हैं वो। आकर दिल की उलझन को, जरा उलझा गये हैं वो। नज़र झुक जाती है उनकी, नज़र मिल जाते ही ऐसे, लगता है हमीं से है, मोहब्बत उनको भी जैसे, नज़र से बात कुछ ऐसी, हमे समझा गये हैं वो। आकर दिल की उलझन को, जरा उलझा गये हैं वो। बहुत सुन्दर है वो माना, बहारों की है शहजादी, सावन मे नज़र आती है, वो मुझको प्यार से प्यारी, इस दीवाने दिल को और, दीवाना बना गये हैं वो। आकर दिल की उलझन को, जरा उलझा गये हैं वो।

दोस्ती

दोस्तों! सभी कहते है, जो रिश्ते बनते हैं वो टूट जाते है, लेकिन कुछ रिश्ते सिर्फ, बनते हैं, टूटते, नही। भले ही वो दूर हो जाये, खफा हो जाये, बिछड़ जाएं, दुनियां लाख चाहे मगर छूटते नही। उनका नाम है दोस्ती, मोहब्बत, पहला प्यार , कुछ को नही मिलता प्यार, कुछ को मिल कर छुट जाता है, ये दिल तन्हाई मे फिर भी, गीत उन्ही के गाता है, अपने गम मे भुला दें उनको, ये तो मुमकिन है मगर, खुशी मे उनके लिये ही, फरियाद किये जाता है। ये दुआएं दिल से निकली, और जुबां तक आई हैं। हम खुश हैं, तुमने आज, सारी खुशियां पाई हैं। दिल पर पत्थर नही, एक फूल रखा है तेरा दिया। दिल को फिर तेरी चंद, मुलाकातें याद आई हैं।

ऐसा तो नही कि प्यार नही

ऐसा तो नही कि प्यार नही, पर हमसे छुपाया है उसने, हमपर ये सितम ढाहते-ढाहते, खुद को भी सताया है उसने। पहले ही मै दीवाना था, रातों को तारे गिनता था, नजरों को झुका कर अपनी मुझे, पागल भी बनाया है उसने । उनसे कभी मिल पाऊँगा, ऐसे तो मेरे हालात नही, अपने से जुदा कर के मुझे, खुद को भी जलाया है उसने। हमसे कभी मिल जो गये, उनसे बस पूछेंगे हम, क्यू नजरों से प्यार जता कर, हमको यूँ रुलाया उसने, जो मेरी वफा पर यकीं ना था, पहले ही कह देते वो, खुद हाथ छुड़ा अपना मुझे, वेवफा भी बताया है उसने।।

दूरियां

तुमसे बातें हुई बस यू ही बेखबर फिर मुझे तुम तो अपने से लगने लगे, दिल ने चाहा तुझे फिर यूं ही टूटकर, स्वप्न तेरी मोहब्बत के सजने लगे। मेरे आगोश तुम तो आते-जाते रहे, ख्वाब मे ही सही, दिल लुभाते रहे मै ये जग भूलकर, तुझ मे खोने लगा, हो मेरे तुम मुझे ये, बताते रहे, दूरी मिटने लगी, जो भी थी बीच मे, और मुझे तुम तो अपने से लगने लगे, खूबसूरत हो तुम, तन से भी, मन से भी, तुम ही गीतो का मेरे भी सिंगार हो, बाग में है नही, फूल तुझसा कोई, तुम हवाओं की ठंडक, का अहसास हो तुमने दिल को बनाया अपना सनम, फिर मुझे तुम तो अपने से लगने लगे, दो ही दिन तो हुए, दिल ये हंसने लगा, तुझे देखे जो ना, आह भरने लगा, मुझसे होने लगी, फिर तो कुछ गलतियां, तुझको खोने के ड़र से, मैं डरने लगा, तुमको होने लगी फिर गलतफहमियां, खुद को मुझसे फिर दूर करने लगे। तुमसे बातें हुई बस यू ही बेखबर फिर मुझे तुम तो अपने से लगने लगे, दिल ने चाहा तुझे फिर यूं ही टूटकर, स्वप्न तेरी मोहब्बत के सजने लगे।

अप्सरा

आज देखी एक अप्सरा सी, लगा स्वर्ग से सीधी उतरी, माथे पर सुर्य सजाये, सन्ध्या का पट पहने उतरी नयन विशाल, सम गहरा सागर, होठ गुलाब रस बहता गागर, गर्दन मृग मनभावन जैसे, मलीन दुग्ध भी धवल ऐसे, आज देखी एक अप्सरा सी, लगा स्वर्ग से सीधी उतरी, मेघो से लट बिखराती इस ढंग, ढके विशाल हिमालय के तुंग बदन मरमरी, नाज़ूक कलाई, छुए ना पुष्प होवे कालाइ, उदर लगे हो, दर्पन जैसे, हुई चंद्रिका अर्पण जैसे, आज देखी एक अप्सरा सी, लगा स्वर्ग से सीधी उतरी, सरिता का अभिमान भी तोड़े, कमर ठुमक कर ऐसे डोले। पग विशाल, हो वृक्ष ज्यो तारी, चरण सुकोमल, पुष्प बलिहारि। हुआ चमत्कृत हृदय ये सूना, हर्ष हुआ मेरा कई  गूना आज देखी एक अप्सरा सी, लगा स्वर्ग से सीधी उतरी,

बिखड़ी पंखुड़ियां : दिलकश बातें

किसी की दिलकश बातें, मैं तो दिल से मान बैठा हूँ, मैं अपना तन-ओ-मन,  बस एक तुम्हीं पर हार बैठा हूँ, ठुकरा दो, मुझे इसका, तनिक भी डर नही है अब, कि खुद को मैं कभी का, बस तेरा ही, मान बैठा हूँ।

नैन तुम्हारे चंचल

है नैन तुम्हारे चंचल- चंचल फूल से भी कितनी नाज़ूक हो। है बोली जैसे मखमल तेरी, सँगीत से भी तुम नाज़ूक हो। है भोली अदायें देखो कातिल, दीवाना बनाये मुझको जग को। कान्ति हो तुम ही दीपक की, किस्मत से ही तो हासिल हो। हैं फूल अचंभित देखो अब तक, क्या-कैसे वो सिंगार करेंगे, है बाग भी कुछ तो बहके-बहके, कैसे जग गुलजार करेंगे, जो तुमने किया था जादू मुझपर, सालों से है तनिक ना उतरा, मौत भी अब आ जाये लेकिन, ना तेरी जुदाई अब हासिल हो। मुश्किल मे तो खुदा भी खुद है, फिर तुझसा वो बनाये कैसे, तेरे सिवा जन्नत को भी, कोई भला भा जाये कैसे, तुम मेरे हो जन्मो तक तो, दोनो जहान अब कुछ भी करले, अब सारी खुदायी देकर भी, तू उसको अब ना हांसिल हो। है कुछ भी अधिकार नहीं पर, स्वप्नो का एक सार हो तुम ही,। जग हम को ठुकरा दे चाहे, हमको तो स्वीकार हो तुम ही। प्रीत पर तेरी मिट भी जाऊँ, तेरे सिवा कुछ चाह नही है। साँस सी तुम हो आती जाती, जीवन का तुम ही हासिल हो

मुझे चुराते जाओ

तुम तीर चलाओ फिर से, मै फिर घायल हो जाऊँ। तुम फिर इतरओ खुद पर, मै फिर कायल हो जाऊँ।। तुम इश्क़ मे बस ना बोलो, मै इश्क़ मे बस हाँ समझूँ। तुम मुझे चुराते जाओ, मै तुम्हें चुराता जाऊँ।। एक टीस सी बस चुभती है, आते नही हो तुम जब। आखों से बहती सरिता, बहलाते नही हो तुम जब।। तुम बालों को सहलाओ, मै नींद मे खोता जाऊँ।। तुम मुझे चुराते जाओ, मै तुम्हें चुराता जाऊँ।। है दिल मे दर्द ये कैसा, जो कहना भी मुश्किल है।। आंखो मे नही है आंसू, पर सहना भी मुश्किल है।। सब आह कहो तुम दिल की, मै तुम्हें सुनाता जाऊँ, तुम मुझे चुराते जाओ, मै तुम्हें चुराता जाऊँ।। हर बात तुम्हारी मानूँ, एक वादा है ये तुमसे। हमराज बना लो लेकिन, बस चाहा है ये दिल से। कुछ ऐसा करो ओ प्रितम, दिल मे मैं समाता जाऊँ। तुम मुझे चुराते जाओ, मै तुम्हें चुराता जाऊँ।।

जाम दे दो

तुम्हारी ही आंखो मे है डूबा डूबा, दिल को जरा सा तो आराम दे दो, चले आओ बाहों मे मेरे सनम तुम, होठो को होठों का ये जाम दे दो। बहकने दो मुझको संभलो ना अब तो, तेरी मयकशी ने दीवाना किया है। मुझे भी जमाने की क्यू कुछ फिकर हो, मेरे साथ का तूने, इरादा किया है , जग को भुला कर, अपना बना कर, नई एक खुशी तो मेरे नाम दे दो। चले आओ बाहों मे मेरे सनम तुम, होठो को होठों का ये जाम दे दो..... बहुत रंग देखे, तुझसा नही पर, बहारो को भी तेरी ही जुस्तजू है। तेरी खुश्बूओं से, महका गुलिस्तान, मेरे मन को बस एक तेरी आरजू है, फिर पास आओ, गले से लगा ओ या चाहत का कोई तो पैगाम दे दो चले आओ बाहों मे मेरे सनम तुम, होठो को होठों का ये जाम दे दो..... खिले चांद जैसी है सूरत तुम्हारी, आंचल तुम्हरा ये नीले गगन सा, चंदन सा ये तन, फूलों सा ये मन तेरा साथ है तो है आलम खुशी का। जुल्फों के बादल में सर रख कर सोना, मुझे मेरी चाहत का इनाम दे दो, चले आओ बाहों मे मेरे सनम तुम, होठो को होठों का ये जाम दे दो......

बलिदान

फिर नया आतंक संहार हुआ, फिर मां का आंचल है लाल हुआ। कब तक तुम धोखेबाजो को, जाकर के गले लगाओगे। भाषण नही कुछ काम करो। खत्म आतंक का धाम करो। हर बार कहा पछताएंगे वो, जो कहा उसे अंजाम करो। जो कर ना पाओ तो डूब मरो, ले चुल्लू मे पानी कूद मरो, लेकर 56 इंची सीना, तुम कितने लालों को खाओगे। मायें शोकाकुल फूट रही सजनी की चूड़ी टूट रही, राखी पर रोती बहनो को, भाई के टूटे स्वप्नो को, बेटी की दीप्त आशाओं को, जीवन की अभिलाषाओं को, तुम राजनीती के वीर भला, मुहँ अपना कैसे दिखाओगे। अब भी ना उबले तो खून नही, करो राजनीती की भूल नही, अब तक हर बार छ्ल उसने, उसकी बुद्धि क्रूर बड़ी, हम हर बार छ्ले जाते, जब शन्ति के गीत कहे जाते, कब छोड़ के तुम नकारापन, युद्ध की ललकार लगाओगे। उठा भी लो रणभेरी ये, हुई पीर बहूत ही घनेरी ये, आपने वीरो का सम्मान करो, ना बिना लड़े बलिदान करो, हम मिलकर धूल चटा देंगे, मिट्टी आतंक मिला देंगे, कब राजनीती को दूर बिठा, यकीं वीरो पर दिखाओगे।

बदला

फिर हुआ कायरता का, एक नया गुनगान यहां। आतंकी आकाओं ने फिर, दिया घाव पुलवाम यहां, वीर सपूत पड़े बिखड़े है, भारत मां के आंचल मे, नपुंसक सत्ता देखो करती, झूठा बदले का गान यहां। सन सैंतालीस मे धोखे से, कश्मीर तिहाई कब्जया, शन्ति दूत बन बैठे हम, देश का हिस्सा हथियाया, यकीं नही था वीरों पर, शरण यू.एन.ओ. जा बैठे, दो दिन मे जो मिट जाता था, नासूर उसको बना बैठे, और सभी गाते है मिलकर, लौह, नेहरु के गान यहां नपुंसक सत्ता फिर देखो, करती झूठा गान यहां। सन पैसंठ-एकहत्तर मे घुसकर, हमने दाँत ऊखाड़े थे, लाहौर-करांची तक गूंजे तब भारत मां के नारे थे, तब बिल्कुल हो ही जाना था, दूर सभी विवादों को, राजनीती का हुआ खेल, छोड़ दिया अधिकारों को, तब ले लेते तो हो जाता, खत्म कश्मीर का गान वहाँ, नपुंसक सत्ता देखो करती, झूठा बदले का गान यहां। फिर से आ बैठे निन्यानवे मे, गीदर से कायर थे कुछ, मार गिराये हमने भी, कारगिल मे पागल कुत्ते थे तुच्छ, वीर जवान अदम्य साहस ले, आगे बढते जाते थे, भारत मां की लाज बचाने, शीश स्व यं ही चढ़ाते थे। नेताओ ने दिया, सुरक्षित वापसी का फिर , फरमान यहां। नपुंसक सत्ता देखो क

पत्रकार

संभल कर रख कदम, तेरा तो कर्म सत्य बताना है। तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है। नही हस्ती तेरी कोई, अगर तू झुक गया क्षण भर, तुझे तो बस हिमालय बन, तूफानो को हराना है। सत्ताये ये चाहेंगी तूं बस, गुणगान उन्हीं का कर, तूं बस बिछ कर चरणो मे, जो ऐलान उन्हीं का कर, नही तो तेरे हर पग पर, ये प्रतिबंध लगाएगी, तू रुक जाये किस विधि, सब सैलाब उठायेंगी पर तुझको इन सत्ताओ का, आइना बन जाना है तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है। सांठ गांठ करके बैठे जो, पूंजी-सत्ता-अपराध, आसान नही हो जाये, खतम जो इनका राज, लोकतंत्र को खेल बनाकर, खेल रहे ये खेल, तू बस हर कोशिश कर हो, खतम जो इनका मेल, जनता को बस इनका है जो, हर राज बताना है, तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है। एक बार उठा जो तू, घुटनो पर गिराने को, सत्ता और धन एक हुए, तुझे खाक बनाने को, तू सफल ना हो सत्य मे, हर जतन उठायेंगे, जो कुछ ना हुआ हो सकता तुझको मार गिरायेंगे, बन सच्चाई का सैनिक, कलम से लड़ते जाना है तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है। नही हस्ती तेरी कोई, अगर तू झुक गया क्षण भर,

सेल्फ़ी

चेहरा सुंदरतम, मनमोहक वातावरण, सर से पाँव तक सुन्दर, गुलाबी लबो की मुस्कान, झील सी निगाहें, दिल मे उमंग, वीना की ताल सी-बजती दिल की धड़कन, फूलों सा महकता तन-मन, बस ये ही सोचती हो हर दम, इतना तो किया जतन, क्या मेरी ये अदायें, आज भी पिया को लुभा पायेंगी, पता नही आज की, ये सेल्फी, कैसी आयेगी?

अपनी न को तू हाँ में बदल दिलरुबा

अपनी ना को, तू हाँ में बदल, दिलरुबा। मेरी चाहत, पर तू भी मचल, दिलरुबा। किसने बोला, कि तुझमे, मैं शामिल नहीं। तुझपर है बस, मेरा ही असर, दिलरुबा। कुछ कहो तो सही, कुछ सुनो तो सही। हसरतें, दिल में कुछ तुम, बुनो तो सही। हो गया इश्क़, तो फिर, छुपाना भी क्या, मान लो, दिल की बस सब, कही अनकही। तुझसे नजरें मिलीं, दिल तेरा हो गया, कब तक भटकेगा, दिल दर-बदर, दिलरुबा। अपनी ना को, तू हाँ में बदल, दिलरुबा। मेरी चाहत, पर तू भी मचल, दिलरुबा। क्यूँ ये नजरें झुकी, क्यूँ लरजते हैं, लब, क्या-क्या कहने, को इतना तरसते हैंं, लब, आ मेरे पास, चाहत की आगोश में, तेरे दीदार को एक, तरसते हैं, सब, तू चली आ, जमाने को अब दूँ, बता, है मोहब्बत मुझे, किस कदर, दिलरुबा। अपनी ना को, तू हाँ में बदल, दिलरुबा। मेरी चाहत, पर तू भी मचल, दिलरुबा। इस जमाने की, बातों को विराम दे, धड़कनो को भी, थोड़ा सा आराम दे, इस जमाने ने समझा है, कब प्यार को, दिल से दिल को, मोहब्बत का पैगाम दे। हो कोई भी डगर,  हाथ ले हाथ में, साथ गुजरे ये, जीवन सफर, दिलरुबा। अपनी ना को, तू हाँ में बदल, दिलरुबा। मेरी चाहत, पर तू भी मचल, दिलरुबा।

कुछ दिल की आरज़ू में

कुछ दिल की आरज़ू में, कुछ तेरी जुस्तजू में। कई बार सबने लूटा, कई बार दिल ये टूटा। हर बार ये ही सोचा, इसी राह पर है मंजिल। हर बार खो गया में, हर बार सपना टूटा। कुछ दिल की आरज़ू में, कुछ तेरी जुस्तजू में। थी मेरी भी तमन्ना, मंजिल तो पा ही जाऊँ। है शूल शैय्या लेकिन, फूलों का सुख भी पाऊँ। एक फूल चहता हूँ, ना आरजू चमन की। घर हो तनिक तो रोशन, एक दीप जो जलाऊं। थे शायद कर्म अधूरे, और भाग्य हमसे रूठा। कुछ दिल की आरज़ू में, कुछ तेरी जुस्तजू में। जग चाहता है कोई, अरमाँ ना दिल सजाये। कोई डूबते को हरगिज, तिनका भी दे ना जाये। दिल फिर भी इस समर मे, हर बार उतर गया है। माझी है समझा जिसको, तूफां वही उठाये। कैसी रजा है रब की, जिसको है चाहा छूटा। कुछ दिल की आरज़ू में, कुछ तेरी जुस्तजू में। है शाम भी सुहानी, सूरज भी ढल रहा है। उड़ पक्षियों का रेला, घर को निकल पड़ा है। मै गीत गाना चाहूँ, सँगीत ही नही है। मन मेरा बिन तुम्हारे, तन्हा विकल खड़ा है। तुझे भूलने की कोशिश, खाया तो बस है धोखा। कुछ दिल की आरज़ू में, कुछ तेरी जुस्तजू में।

शान्त पड़े दिल के सागर मे

रात है बहकी, चांद है मद्धिम, दिल मे तुम ही समाये हो, शान्त पड़े दिल के सागर मे, तूफां बन कर आये हो। मै भी आखिर कैसे कह दूँ, अरमानो को शब्दों मे, दिल ने तुझको मान लिया, बस तुम मेरे हम साये हो। अदा तुम्हारी भा ना जाये, नजरें मै इससे बचा रहा हूँ दिल शायर सा हो ये गया है, गीत बना तुझे गा रहा हूँ , कोई नही अब बचा जो लेगा, तुम मुझपर यूं छाए हो। शान्त पड़े दिल के सागर मे, तूफां बन कर आये हो। कुछ और कहानी, कह देता पर, दिल के राज छुपाऊँ क्यू। तेरी चाहत का हूँ मारा पर, दुनिया को बतलाऊं क्यू। तुमने सुन ली सारी बातें, खुद हर राज छुपाये हो। शान्त पड़े दिल के सागर मे, तूफां बन कर आये हो।

प्रिया

जिसने जिन्दगी को,  अपने प्यार से सजाया,  इतना प्यार दिया,  जिन्दगी क्या ये सही से बताया, घर सम्भाला, बच्चो को भी,  जो खुद चान्दनी है, बाग है, जिसके आगे बहार खुद फीकी है।  जो सुंदर है, तो चांद है,  प्यार है, तो अपना सर्वस्व दे देती है।  वो सूरज है, जो जीवन को रोशनी देती है।  जो घर मे, प्यारे फूल खिलाती है।  जिसकी आंखे, गहरा सागर है। जो पिया के लिये,  कामदेवी का रूप बन जाती है, और वो सब देती है, जो इस संसार मे,  सबकी चाहत होती है।  उस सुन्दरतम "प्रिया" को क्या दूँ  कुछ तो ऐसा हो कि जो, उसके दिये का एक छटांक भी हो।  बस इसलिये कुछ देने की, हिम्मत ही नही होती कि, कुछ कैसे दे दूँ, सिर्फ इतना सा, फिर सोचा गुलाब दे देता हूँ, लेकिन, उसके कोमल से, अंगो के आगे तो गुलाब की, कोमलता कुछ भी नही ना, जीवन मे ये ही सोचते हुए मुझे, कुछ मिलता ही नही ऐसा, जो उसके काबिल हो, बस एक वादा दे सकता हूँ, कि मै उसका हूँ और उसके इस, प्यार का ऋणी रहूंगा जन्मो तक, लेकिन ये भी तो कुछ नही है ना।  मै हर साल प्रेम दिवस, जन्म दिवस, शादी की सालगिरह पर सोचता रह जाता हूँ कि, अपने महबूबा को को क्या दूँ  जो उसके बेमोल

तुमको ही तो भुलाना है

फिर प्रेम गीत मै गा लूँगा, एक तुमको ही तो भुलाना है। बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है। गढ़ कर फिर प्रतिमान नये, प्रेम के सब भगवान नये, नये स्वपन नव आशाओं से, फिर जीवन ही तो सजाना है। बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है। दुनिया का व्यवहार नया, है प्रेम बना व्यापार यहां, बेमोल प्रेम अरमानो को, दुकां पर ही तो सजाना है, बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है। वो शमा-पतंगा की बातें, थीं दीप सी जलती जो रातें। वो मधुर मिलन स्मृतियों को, बस खत के साथ जलाना है। बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है। अब कौन कहे क्या बीत रही, नशवर स्वप्नो को सींच रही, झूठी दिल की आशाओं को, बस मिट्टी मे तो मिलाना है। बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है। तुम प्रेम गये क्यू भूल पिये, है व्यथा बहुत ही गूढ पिये, अब दुनिया को हर राज छुपा, खुलकर ही तो बताना है। बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है। हम गीत नही कह पायेंगे, तुझको भी भूल ना पायेंगे, और ना तेरे जैसा तुझको, कोई दर्द हमे दे जाना है। बस जीवन ये जी लेने का, अंदाज तेरा अपनाना है।

तलाश

जिन्दगी मेरी खुद की तलाश बन गई , एक चलती फिरती जिन्दा लाश बन गई। उनकी याद मे ही हम, रात दिन रोते रहे, अमावस की काली लम्बी रात हो गई। हमने चाहा था उन्हे हम लगा लेंगे गले से, यही चाहत मेरी जिन्दगी का शाप बन गई। तेरी जुदाई मे हम तो मर जाते कभी के, लौट आने की तेरी बात, दिवार बन गई। शमशान सी खामोशी छायी है मेरे दर पर, जल उठा मे, तेरी यादें चिराग बन गई। मौत से चाहा अब तो बुला ले मुझको, पर वो भी तेरी तरह बेवफा बन गई।

इश्क़ मे मरना

मेरे गीतों पर तुम्हरा ही अक्स छा गया, बादलों का कारवां जमी पर आ गया छा गई है धूलि सी, जिधर भी देखिए, सर्दियों का ये समां, दिल को भा गया। नफरत अब ना कीजिये, दिल से लगाईये, अब तो मिलन वाला है मौसम भी आ गया। आ गये हो मेरे दिल मे, समाते ही जाईये, तेरी हर अदा पर हमको प्यार आ गया। कह रहे हो वेवफा, गैर के पहलू मे बैठ कर, हमको तेरे इश्क़ का, अंदाज भा गया। तोड़िये फिर जोड़िये, फिर तोड़िये दिल को, तेरे हाथों मिटने का आह्सास भा गया अह्सास सभी बेकाबू, देख हुस्न की रौनक, हमको को इश्क़ मे है अब, मरना भी आ गया।