दिल की गहराई से जो निकले सदा, वो इश्क है

दिल की गहराई से जो, निकले सदा, वो इश्क है।
हर घड़ी दिल में जो, सांसों सा बसा, वो इश्क है,
झूठ और फरेब भरी, इस दुनियाँ में,
सच जो कुछ भी है, वो इश्क है।

इश्क उतार लाता है, जमी पर, भगवान को,
ये ही बनाता है इन्सान, एक हैवान को,
जर्रे-जर्रे पर जमीं के जो, बिखरा है, वो इश्क है,
सागर की गहराई में जो, मोती बना है, वो इश्क है।

दुश्मनों को भी जो, गले से लगा देता है,
दो अन्जान दिलों को जो, एक बना देता है
जो हर रिश्ते में छुपा है, वो इश्क है,
चाँद सितारों से जो, आगे तक गया, वो इश्क है।

हर चीज जहाँ में बनती है, मिट जाती है,
खिल के बहारों में कलियाँ भी, बिख़र जाती हैं,
हर पल रहा जो जिन्दा, वो इश्क है,
मिटा न पाया जिसे ये जहाँ, वो इश्क है...।

गैरो के गम को, अपना बना लेना,
दोस्तों के हर सितम को हँस कर उठा लेना,
ऐसा करने का जो जूनून है, वो इश्क है,
गमों में खुशी की जो, झलक है, वो इश्क है...।

चाँद मिलता नही हर किसी को मगर,
पाने की आरजू तो करते हैं सब यहाँ
आसमा छू लेने की ये जो, ललक है, वो इश्क है,
वेवफा को खुश देखने की, जो कसक है, वो इश्क है...।

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