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तुम मिलो तो मुझे (e)

तुम मिलो तो मुझे, इस जन्म उस जन्म, कुछ कहें इश्क़ में, हमको तुम, तुमको हम। यूं ही लड़ते हुए, उम्र बीते तो क्या। जब गिरें थाम लें, हमको तुम, तुमको हम। ये जमाना रहा, प्रेम पर क्रूरतम, चुप जो अल्फ़ाज़ हैं, बिन कहे जान लो, कोई तेरा सहारा बने न बने, दिल मे जो है तेरे बस उसे ठान लो। मंजिलों का पता खुद कहेगी हवा, थाम कर आ चलें, हमको तुम, तुमको हम। तुम मिलो तो मुझे, इस जन्म उस जन्म, कुछ कहें इश्क़ में, हमको तुम, तुमको हम। दूर होने की कोई भी सूरत प्रिये, ये जमाना गढ़ेगा, बहकना नही, जग में पूरी न होगी कमी प्रेम की, पर जमाना कहेगा, बदलना नही, तन की दूरी से कब है घटी प्रीत ये, मन से रब मान लें, हमको तुम तुमको हम। तुम मिलो तो मुझे, इस जन्म उस जन्म, कुछ कहें इश्क़ में, हमको तुम, तुमको हम। दीप ये झिलमिलाता रहा रात भर,  आस ने इसको हरगिज न बुझने दिया, तुमसे कैसे कहें प्रेम की बेबसी, प्रेम ने ही कभी कुछ न कहने दिया, प्रेम के मायने जग ये बदले मगर, प्रीत से बांध लें हमको तुम, तुमको हम तुम मिलो तो मुझे, इस जन्म उस जन्म, कुछ कहें इश्क़ में, हमको तुम, तुमको हम।

एक बाण काम फिर मारो

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एक बाण काम फिर मारो, व्यापक प्रेम अगन हो जाये, हर ओर प्रेम प्रेम ही फैले, जग ये प्रेम मगन हो जाये, नयनों में साजन और सजनी, डूब गए सारा जग भूले, दिन बीते जैसे एक पल हों, सदियों का जगन हो जाये। एक बाण काम फिर मारो, व्यापक प्रेम अगन हो जाये। तुमसे मिलने को यौवन ने की कितनी तैयारी, रूप सजाया अनुपम सुंदर, तन ज्यूँ हो फुलवारी। आई मैं पास तुम्हारे, तन मन और जीवन को हारे,  महावर काजल बिंदिया, होकर के सोलह श्रृंगारी। बरसों से तरसे ये नैना, मार लिया मन मिला न चैना, तुमको देखा मन ये बहका, तन गाये जैसे हो मैना। एक बाण काम फिर मारो, सम्पूर्ण लगन हो जाये, बरसो की हर आस हो पूरी, पिया मिलन हो जाये। नयनों में साजन और सजनी, डूब गए सारा जग भूले, दिन बीते जैसे एक पल हों, सदियों का जगन हो जाये। सांसों में सांसें उलझी, तुमने ली वो अंगड़ाई, लब छू बैठे उन होठों को, भूली सारी चतुराई, हम साथ तुम्हारे ऐसे, हों सर्प और चंदन जैसे, रात मिलन की हमने, है स्वप्न से सुंदर पाई, सरगम है देखो बहकी, सांसें है दहकी-दहकी, मन तृप्त हुआ है ऐसे, मरु में ज्यूँ नदिया बहती, एक बाण काम फिर मारो, जो तन मन को बहकाये, मधुमय