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Showing posts from May, 2022

दिल में उम्मीदें पाले

दिल में उम्मीदें पाले, बैठे हैं एक किनारे, मुमकिन नहीं है सारे सपनों का सच हो पाना। होता नहीं है पूरा, कभी इंतजार दिल का, होता है पास उनके, हर रोज एक फसाना। कई दुश्मनों ने घेरी, है राह इस मिलन की, होता कभी सताना, होता किसी का आना। बड़ी मिन्नतें करो तो, अहसान हो ही जाता, बड़ी देर से है आना, जल्दी है उनको जाना। कभी इंतजार तुमको, होता तो तुम समझते, पागल सा मन ये मेरा, क्या चाहे तुम्हें बताना। इठला के बन संवर के, निकले हो तुम तो घर से, कभी बन के ऐसे हमको, करो अपना फिर दीवाना कुछ बात है कह दो, किसी चाह को न शह दो, जल्दी है मुझको उठना, ऑफिस भी तुमको जाना पल भर में कैसे भर ले, सागर जो मन का खाली, बस प्रेम बन के बरसो, कर लो यहीं ठिकाना। बड़ी देर हो गई है, बच्चे नहीं हैं सोए, सो जाओ दे के मुझको, बांहों का ये सिरहाना। अब बात कल ही करना, मुश्किल है नींद टलना, चाहो अगर जगाना, सुबह काम करके जाना। मुझे प्रेम है तुम्हीं से, मगर काम मुझको दस हैं, दिल प्यार नहीं है भुला, रिश्ते भी हैं निभाना।

ये जीवन है (भाग 22–23)

अब तक के भाग में अपने पढ़ा। रवि ऑफिस के पास ही किराए के मकान में रहने लगता है। कविता और रवि एक दूसरे का ध्यान रखते है। आखरी महीने में कविता मायके चली जाती है। दिवाली के दिन वो बहुत खुश थी और देर रात तक रवि से बात करती रही। अब आगे... दीपावली के दिन देर रात तक कविता को नींद ही नहीं आ रही थी। वो काफी देर से सोई। अगले दिन छुट्टी थी इसलिए रवि देर से सोकर उठा। 10 बज गए थे। उसने कविता को फोन इसलिए नहीं किया कि देर से सोई थी तो सोई होगी। वो तैयार कविता के पास जाने के लिए तैयार हो गया था। चाय बनाने को रख दी थी। कविता की डेट में अभी 14 दिन का समय था रवि ने पहले ही ऑफिस से उस समय की छुट्टी ले रखी थी। तभी कविता का कॉल आया। उसकी आवाज बिल्कुल थकी हुई लग रही थी। जैसे रात भर सोई न हो या बहुत दर्द हो रहा हो।  "हेलो रवि हमारा बेटा हुआ है" कविता ने बोला। "चल झूठी, जादू थोड़े ना है जो हो गया।" रवि ने हंसते हुए कहा। "सचमुच में, अभी थोड़ी देर पहले ही" कविता ने खुश होते हुए बताया। "मतलब आज अप्रैल फूल है क्या? रात को एक बजे तक तो मेरे से बात करके सोई हो। अभी उठी होगी। ओह सपने

राधा रे

खनकती दूर से आई, तेरी आवाज राधा रे, ये नापे मन की गहराई, तेरी आवाज राधा रे, कहाँ मुमकिन बिना तेरे, किसी का श्याम को पाना, तेरे बिन बांसुरी फीकी, तेरे बिन श्याम आधा रे। इन्हीं कजरारे नैनों से चुरा मन थाम लेती हो, जो मन में था छुपाया वो, कहे बिन जान लेती हो, कि जिसकी चाह से बनती है सृष्टि, धाम सारे ये, बना कर राधिका उसको, प्रेम का ज्ञान देती हो, दीवानी दुनिया है जिसकी, किसी का जो नहीं होता, तुम्हारा है वो दीवाना, तुम उसकी प्राण राधा रे। तेरे बिन बांसुरी फीकी, तेरे बिन श्याम आधा रे। मेरे मन में बसा दो वो, है जिसका नाम न्यारा सा, तुम्हीं को छेड़ना पल पल, है जिसका काम प्यारा सा, तुम्हारा नाम ले ले कर भटकता, ब्रिज की गलियों में, मुझे बस चाहिए दे दो, वही घनश्याम प्यारा सा, मेरा हर स्वप्न हो पूरा, मुझे मिल जाए हर मंजिल,  तेरा मुझ पर जो हो जाए, अगर अहसान राधा रे। तेरे बिन बांसुरी फीकी, तेरे बिन श्याम आधा रे। तुम्हें पाना जो हो जाए, तो दुष्कर श्याम पा लूं मैं, दुखों के इस समंदर में, सुखों की खान पा लूं मैं, यहां से दूर अंबार में, जो लेटा शेष पर निष्ठुर, उसी के सामने होकर, उसी का गान गा लूं मैं,

ये जीवन है (भाग 19-21)

अब तक आपने पढ़ा, रवि कुछ दिन गांव में रह कर वापस शहर लौट रहा है रास्ते में कविता को बाहर के वातावरण को देख कर बहुत खुश हो जाती है और बात करते करते रवि की गोद में ही सो जाती है। अब आगे..... रवि ट्रेन में बैठे बैठे कविता को देख रहा था। नींद न आने के कारण वो ख्यालों में ही अपने बचपन में चला गया। दो बड़ी बहनें और  दो छोटी बहनें और सबसे छोटा भाई, यानी रवि कुछ छह बहन भाई थे। वैसे तो रवि पांचवे नंबर की संतान था लेकिन 2 बहनो की मृत्यु बचपन में हो गई थी। कुल मिलाकर अब बचे बहन भाइयों में रवि तीसरे नंबर पर था। सबसे बड़ी बहन की शादी तो पता नहीं कब हो गई थी। लेकिन उससे छोटी बहन की शादी कुछ ही महीनों पहले हुई थी। इसलिए छठी क्लास से ही उसको घर का ज्यादातर काम इसलिए करना पड़ता था क्योंकि मम्मी बीमार रहती थीं। बहन और भाई सुबह स्कूल जाते थे तो उनके लिए नाश्ता और लंच बनाना करना पड़ता था। उसके बाद सबके लिए लंच बनाना ये अक्सर करना पड़ता ही था। वैसे ये काम इतने बुरे भी नहीं कि लड़के इनसे दूर भागते फिरें। इससे रवि को खाना अच्छा खाना बनाना आ गया था। उसके बाद स्कूल का काम करना क्योंकि स्कूल दोपहर की शिफ्ट का