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Showing posts from April, 2022

बहिरा हुआ खुदाय......

कल रात हनुमान जी उड़ते उड़ते अल्लाह के घर गए। वहां पहुंच कर भक्त शिरोमणि ने उनको प्रणाम किया,  अल्लाह भी उनके लिए खड़े हो कर प्रणाम का प्रेम पूर्वक प्रतिउत्तर दिया और बोले आओ बैठो और आज इस ओर कैसे आ गए पवनपुत्र।  बस आपका शुक्रिया अदा करने आ गया, आपके कारण ही आजकल मेरे भक्त जोर जोर से पूजा अर्चना करने लग गए हैं। कलयुग में ये सतयुगी वातावरण आपके कारण ही आ पाया। मेरे कारण?? मैं तो पूजा का ही विरोधी हूं, मूर्ति पूजा बुत परस्ती का प्रचार मैं क्यों करूंगा। आप तो जानते ही हो महाभक्त हनुमान। इस बार तो ये आपका ही प्रताप है। आपके कारण ही तो आजकल भक्त पांच बार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं वो भी लाउड स्पीकर पर। मतलब मेरे पंथ वालों की तरह आपके मार्ग वाले भी ये समझने लगे हम लोग बहरें हैं। मतलब अब हम दोनो साथ में हल्ला सुनेंगे। लोग मन में हजार पाप छुपा कर ऊपर से हमे चिल्ला चिल्ला कर कहेंगे हम ही सच्चे भक्त, जो चुप है वो झूठे है, जो चिल्लाए वो सच्चे। खुदा ने मुस्कुराते हुए कहा। अब मुझे भी आसानी होगी पता करने में कौन सच्चा भक्त कौन झूठा। हनुमान जी भी मुस्कुराते हुए बोले। तभी अजान को कानफाड

ये जीवन है (भाग 16-18)

अब तक के भाग में अपने पढ़ा। आशा की वो परछाई अपनी कहानी सुनाती है। उसने सोनम पर हुए अत्याचार और नेहा, अजय, मोहन के बारे में भी बताया कि उनके साथ हुई घटनाओं में उनका कोई हाथ था ही नहीं, वो सब पूर्वनिर्धारित था। अब आगे.... सालों तक हम यही मिट्टी में दबे रहे लेकिन, कुछ दिनों पहले  पता नहीं कैसे वो गुड़िया बाहर आ गई और नेहा ने उस गुड़िया को ले लिया। वो बहुत प्यारी बच्ची थी। उसको पता नहीं क्यों ये गुड़िया बहुत पसंद थी। वो दोस्तों से भी दूर होने लगी। मुझे उसमे सोनल का अक्स दिखाई देने लगा था। यहां के सारे बच्चे मुझे बहुत पसंद आने लगे थे। मैं उनको खेलते देखती थी लेकिन नेहा पता नहीं क्यों अब अपने दोस्तों को छोड़ इसी गुड़िया में लगी रहती थी। लेकिन एक दिन मुझे आभास हुआ की उसका एक्सीडेंट होने वाला है, इसी लिए हमने उस दिन राहुल को वो सब दिखाया जिससे अगर हो सके तो नेहा को बचाया जा सके। लेकिन वो नहीं हो पाया। हमने राहुल को अजय और मोहन के बारे में भी दिखा दिया था। लेकिन अजय को भी नहीं बचाया जा सका। अब जब सबको ये पता है तो शायद मोहन को आप लोग बचा लोगे। लेकिन इन सबमें हमने कुछ किया ही नहीं। मैंने तो बस इन

ईश्वर पर सवाल

हम लोग मिथ्या आशावाद के शिकार हैं। देवियां आएंगी बचाने या भगवान आएगा। कोई नही आता किसी को बचाने, ये सब इस हाथ ले उस हाथ दे वाले नियम से चलता है। ये दुनिया ही स्वर्ग या नरक है। जब हम खुद इसको नर्क बनाते हैं तो किस हक से उम्मीद रखते कि स्वर्ग के सुख मिलें। ये आशा ही मिथ्या आशावाद है। जब किसी के साथ कुछ गलत हो रहा होता हम सोचते कि हमारा क्या, लेकिन अपने समय शिकायत करते कोई आया ही नहीं बचाने। जब हम सरकार चुन रहे होते तो जाति, धर्म, पड़ोसी देख कर राजा को चुनते, पैसे लेकर चुनते, दारू की बोतल लेकर चुनते, भले वो बलात्कारी हो या हत्यारा हम उसको वोट देते और उम्मीद करते कोई हत्या नहीं होगी बलात्कार नहीं होंगे, देवियां आएंगी बचाने, क्यों आएगा कोई? जब बेटियां होती तो हम दुखी होते, उनको मार भी डालते, उसको दबा कर रखते, हमेशा बोलते की तू दोयम दर्जे की है, वो भी बेटों के ही सामने और उम्मीद करते की वो भविष्य में अच्छा इंसान बनेगा, औरतों को इज्जत देगा, बहन मतलब अपने साथ साथ दूसरो की बहन की रक्षा करेगा। कितना अच्छा विचार है न? आशावादी रहने की कोई परेशानी नही, रहिए। सोचिए देवियां आएंगी या भगवान आयेंगे। लेक

ये जीवन है (भाग 13-15)

अब तक के भाग में अपने पढ़ा कि शांति जी बेटे राहुल के हाल के बारे में रवि को बताती है राहुल अपना सपना बताता है उसके बाद दवाइयों और काउंसिलिंग से उसकी हालत सुधरती है लेकिन दो महीने बाद अजय की मौत बड़ी अजीब परिस्थिति लगभग राहुल के सपने की तरह जाती है। सब लोग दहशत में डूब जाते हैं। अब आगे.... राहुल ने किसी से भी बात करना बंद कर दिया था। डॉक्टर ने बताया कि उसे फिर से गहरा सदमा लगा है। बार-बार लगे सदमे ने उसको इस हाल में पहुंचा दिया है कि अब अगर कोई और बात हुई तो शायद वो अपना मानसिक संतुलन पूरी तरह से ही न खो दे। उन्होंने ये भी बताया कि अब उसका इलाज करना और मुश्किल होगा क्योंकि अब वो ये नहीं मान पायेगा की उसका सपना बस सपना था। मोहन को लेकर उसका मन और ज्यादा डर गया है। अजय के साथ जो भी हुआ वो इसकी आंखों के सामने ही हुआ। जो हुआ वो तो किसी भी आम इंसान को भी सदमे में पहुंचाने के लिए काफी था और राहुल जो पहले से ही इसी तरह की बुरी यादों से घिरा हुआ है उसके सामने ही बुरी यादों का सच बनकर सामने आ जाना कितना दर्दकारक होगा। इस वजह से वो बात नहीं कर पा रहा है। अब दवाइयों के साथ साथ ये भी दुआ करनी होगी क