खिलता नही हैं
खिलता नही हैं, मेरे इस चमन में,
तू खिलता हुआ एक गुलाब तो है
समाया नही बस, मेरी धड़कनों में,
तू ही धड़कनों की आवाज़ तो है,
कोई भी समझे, न समझे मेरा गम,
तू जिन्दगी का हसीं साज तो है।
हो मंदिर या मस्जिद तूझे पूजता हूं,
तू मेरी बन्दगी का, अंदाज तो है
धरा हो गगन हो तू ही तू बसी है,
तेरी खुश्बूओं का ही, एहसास तो है
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