तो गम क्यों हम करें

करीब तो न थे वो ,
जो दूर हो जाएँगे,
और दूर भी नहीं थे जो,
पास आ जाएँगे.
मुझमें हैं वो और मैं हूँ उनमें,
तो गम क्यों हम करें।

क्यों उनके जाने पर नीर बहाएँ,
तन्हा मान खुद को अधीर हो जाएँ
दूर नही, वो पास ही हैं मेरे
तो गम क्यों हम करें।

माना हो जाएगी, सृष्टी ये काल कलवित,
होगी विधाता के हाथों, फिर सुसज्जित,
प्रेम अपना होगा, फिर से नव पल्लवित,
तो गम क्यों हम करें।

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