तेरे दिवाने हैं बेशुमार
काँटों के बीच खिलते हुए, ए हसीं गुलाब, तुझको पता क्या तेरे, दिवाने हैं बेशुमार. हजारों को तेरे हुस्न ने, दिवाना बना दिया, लाखों को तेरे इश्क ने, परवाना बना दिया. दिल ये भी तेरे प्यार में सब कुछ गया है हार, तुझको पता क्या....... नजरें उठीं जिधर सब शिकार हो गए, दिल कितनें ही इक अदा पर निसार हो गए, तुमको है देखा जब से, दिल को नहीं करार तुमको पता क्या...... हमको गिला नही तू सबके जिगर में है, हर पल छवि तेरी ही सबकी नजर में है, हमने भी ख्बाव तेरा ही देखा है बार-बार तुझको पता क्या..... उल्फत तेरी यहाँ पर, न जाने किसे मिले, किस्मत न जाने किसकी, आकर यहाँ खुले, हमको न भूल जाना, चाहे जिससे करो तुम प्यार. तुझको पता क्या.....