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Showing posts from May, 2021

आओ बाहों में भर लो

आओ बाहों में भर लो, जीवन का चिर गीत तो गा दो आती जाती साँसों का वो, मुझको मधुर संगीत सुना दो। होठों को थामों आंखों से जो कहना हो कहते जाओ, कुंठित आशाओं को तुम, छू लो और परवाज़ बना दो। ऐसा हो हर ओर से तेरी, धड़कन की प्रतिध्वनि आये, जीवन के सब कोर कोर पर, एक तेरा ही रंग छा जाए, आज मिटा दो इस जीवन से, मिलने खो देने के डर को,  तुम ईश्वर बन जाओ मन के, मुझको अपना दास बना दो आती जाती साँसों का वो, मुझको मधुर संगीत सुना दो। होठों को थामों आंखों से, जो कहना हो कहते जाओ, कुंठित आशाओं को तुम, छू लो और परवाज बना दो। मधुर मिलन की ये बेताबी, बरसों से खामोश रही है, कुछ तो बात है तुममे ऐसी, जबसे देखा होश नहीं है, दुनिया पूरी पा लेने की, बिना तुम्हारे कीमत क्या है, तुमने ही भरमाया मन को, मेरा कुछ भी दोष नहीं है, प्रेम भरा आलिंगन दो फिर, जन्मों की ये प्यास बुझा दो आती जाती साँसों का वो, मुझको मधुर संगीत सुना दो। होठों को थामों आंखों से, जो कहना हो कहते जाओ, कुंठित आशाओं को तुम, छू लो और परवाज बना दो। कब गाएंगे हम तुम मिलकर कब आएगी शाम सुहानी, बाहों में कब होंगी बाहें, कब महकेगी रात की रानी। कब होगा जब साथ

हो तिमिर कितना भी गहरा

हो तिमिर कितना भी गहरा, आखिर भोर तो आनी ही है, कितनी घनघोर घटाएं छायें, आखिर वो छंट जानी ही है। कितने भी दीपक बुझ जाएं, आस नहीं तुम बुझने देना, सुख दुख का ही नाम है जीवन, एक आनी एक जानी ही है। नाव चलानी है ही हमको, चाहे बाढ़ या सिमटे पानी, इस धारा के पार है मंजिल, खड़ा तू कैसे है हैरानी, जीवन का मतलब है चलना, राह नहीं तो भी है डंटना, वक़्त का पहिया चलना ही है, मंजिल तो आ जानी ही है। हो तिमिर कितना भी गहरा, आखिर भोर तो आनी ही है। कितनी घनघोर घटाएं छायें, आखिर वो छंट जानी ही है। कर्मों का फल मिलके रहेगा, चाहे जितना जोर लगा ले, जैसा किया वही पायेगा, चाहे जितना भी आजमा ले, जो मिलना है यहीं मिलता है, स्वर्ग यहीं है नर्क यहीं, सत्य अमर बस है दुनिया मे, मृत्यु झूठ को आनी ही है। हो तिमिर कितना भी गहरा, आखिर भोर तो आनी ही है। कितनी घनघोर घटाएं छायें, आखिर वो छंट जानी ही है। जीवन तो बस वो ही जीता, हार नही जिसने है मानी, जीवन के सुखों दुखों को, जो समझे बस बहता पानी, जिसने आस की लौ लगाई, उसने सारी खुशियां पाईं वक़्त सभी का आता ही है, होनी तो हो जानी ही है। हो तिमिर कितना भी गहरा, आखिर भोर तो आनी ही है

रात गहरी

रात गहरी बहुत और गहरी हुई, गम के बादल छटे और न सहरी हुई, दिल के किस्से ख्यालों में अटके रहे, गम की परछाई कुछ और गहरी हुई। हाँ ख्यालात मेरे थे मदहोश से, हाँ सवालात मेरे थे खामोश से बस तेरी आरजू का, अफसाना था बस ये हालात मेरे थे बेहोश से, दिल के हालात बहके थे बहके रहे स्वप्न टूटे व्यथा मन की गहरी हुई। रात गहरी बहुत और गहरी हुई, गम के बादल छटे और न सहरी हुई। जो भी साथी बने, वो कहीं खो गए, हमसफर जो भी थे, राह में सो गए, मैं भी चलता रहा जिंदगी न थमी, आंख से निकले आंसू, स्वप्न धो गए, हर जगह मैं गया, लेके टूटा सा दिल, स्वर्ग की सारी सत्ताएं बहरी हुईं, रात गहरी बहुत और गहरी हुई, गम के बादल छटे और न सहरी हुई। वो बहुत खूब थे गुजरे तेरे जो दर, न खबर थी हमे लागी किसकी नज़र, कौन अपना था जो न गया तोड़ कर, रात होते ही दामन मेरा छोड़कर। गीत गायें भी क्या गुनगुनाएं भी क्या? मौत की शायद अंतिम अंधेरी हुई। रात गहरी बहुत और गहरी हुई, गम के बादल छटे और न सहरी हुई।