आईना चाहे
आईना चाहे कि मैं उससे, गुफ्तगू कर लूँ,
मैं कैसे, तेरे , सिवा कोई, जुस्तजु कर लूँ,
तेरी आँखों के सिवा, कोई जँचता ही नही
मै कैसे तेरे सिवा कोई, आरजू कर लूँ....
हज़ार रंग दिखाती है, जिंदगी मेरी,
हजार राह बताती है, बेखुदी मेरी,
मैं किसके साथ चलूँ,
किससे रुखसती कर लूँ।
मुझे मोहब्बत सिखा कर, दिल है तोड़ दिया।
किसी ने अपना बना कर, मुझे है छोड़ दिया।
मैं किससे इश्क करूं,
किससे दिल्लगी कर लूँ।
बहुत सी यादें मेरे, दिल को गुदगुदाती हैं,
बहुत सी यादें मेरे, दिल बस दुखाती हैं,
मैं किससे आस रखूं,
किससे गुमशुदी कर लूं।
तुम्हे तो बस खुद पर गुमान छाया है,
मेरा है क्या, कोई अपना है ना साया है,
मैं किससे दिल की कहूं,
किससे बेरुखी कर लूं ।
©vishvnath
Comments
Post a Comment