सजनी मिलन की बेला

इतने दिवस के बाद,
होगी सजनी मेरे साथ,
जो मेरे लिए सजती होगी,
फिर रात अकेले डरती होगी।

मैं भी तो मजबूर बहुत,
हुँ उससे बैठा दूर बहुत,
वो छुप छुप कर रोती होगी,
मेरी याद में न सोती होगी,

बस आज उसे मैं सुला दूंगा,
उसके गेसू सुलझा दूंगा,
जब चैन से वो सो जायेगी,
कल फूलों सी खिल जायेगी,
तब उसको लेकर बाहों में,
में प्रेम सुधा बरसा दूंगा,

फिर से अब तो उसके लिए,
मैं जग सारा बिसरा दूंगा,
बस वो है वो है सबसे हसीन,
इस दुनिया को दिखला दूंगा,
कोई उससे जुदा है राह नहीं
मैं खुद को भी तो मिटा दूंगा।

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