मन उद्वेलित कर देते हो
मन उद्वेलित कर देते हो, भर स्वप्नों में रंग देते हो, कुछ ऐसी आभा है तुममे, सब सम्मोहित कर देते हो, कुछ शब्दों में, बांध लिया है, सारा सागर साध लिया है, कितना सुंदर, कितना मनोरम, भावों को आकार दिया है, तुम सुंदर, मानोभावों जैसे गीत मनोहर कह देते हो, कैसे तुम गीतों में अपने, स्वप्नों से रंग भर देते हो, कैसे मैं कुछ कहूँ अब तुमको, जुगनू हम सूरज के आगे, तुम अपने सुंदर शब्दों से, निशब्द हमेशा कर देते हो।। महान गीतकार नीरज जी को समर्पित