दिल मेरा तोड़ कर
दिल मेरा तोड़ कर जाने की तो आदत है तुझे, गैर को दिल से लगाने की तो आदत है तुझे। एक कही बात को सीने से लगाकर बरसों, राई से पर्वत बनाने की तो आदत है तुझे। कितनी हलचल है छतों पर मुहल्ले भर की, दिन ढले छत पर आने की तो आदत है तुझे। हर तरफ टूटे हैं, बिखरे हैं हज़ारों मोती, झटक कर जुल्फें सुखाने की तो आदत है तुझे। मै नए ख्वाब सजाऊँ तो सजाऊँ कितने, मेरा हर ख्वाब चुराने की तो आदत है तुझे। उम्र भर सुनता रहूं, हो नशीली सी ग़ज़ल तुम तो, दिल मे ये प्यास जगाने की तो आदत है तुझे। नज़र के जाम भी हैं होठों के हैं मयखाने भी, जग को बेबात लुभाने की तो आदत है तुम्हें। खो गईं खुशियां मेरी गम के तारानो में कहीं। मेरा गीत गम में डुबाने की तो आदत है तुझे। फिर नई सुबह, नया दिन, नई है शाम मगर, रात भर मुझको रुलाने की तो आदत है तुझे।