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Showing posts from December, 2017

कार्तिक गया पूस है आया

कार्तिक गया पूस है आया, फिर से जगत जमाने को। कुदरत ने परपंच रचाया, तुझे मेरे गले लगाने को। दिन भर खेल रहा है जग से, आंख मिचौली सूरज छलिया, जमते बाग, ठिठुरती कलियां, शाम हुई सुनसान ये गलियां, गरमा गरम चाय की प्याली, होठों पर फिर से लगाने को कुदरत ने परपंच रचाया, तुझे मेरे गले लगाने को। ओ यारा हमने जो देखा, स्वप्न मनोरम, मनमोहक था, मधुर मिलन संभव, अब लेकिन, क्रूर जुदाई का मौसम था। बदल गये पैमाने जग के, मैं आया विदा करने को। कुदरत ने परपंच रचाया, तुझे मेरे गले लगाने को। दिन भर जो अलाव जले थे, उनसे कुछ अहसास न बदला, शीत गया न, सूरज पर से , छुन्ध का था जो, राज न बदला। मेरे चाँद मेरी, बाहों में, आ प्रीत अगन भड़काने को। कुदरत ने परपंच रचाया, तुझे मेरे गले लगाने को।

ख्याल तेरा गजब का है

ख्याल तेरा गजब का है जो, मुझे मुझी से, चुरा रहा है। तू कौन है क्या, है नाम तेरा, तूहीं क्यों दिल को, यूँ भा रहा है। वो ऐसी होगी वो वैसी होगी, ख्याल दिल मे, मचल रहे थे। तुम्हें जो देखा करार आया, यूहीं हम तन्हा, भटक रहे थे। तुम्हें मोहब्बत का गीत करके, दिल ये पागल, बस गा रहा है। तू कौन है क्या, है नाम तेरा, तूहीं क्यों दिल को यूँ भा रहा है। है शाम बहकी है रात महकी, नजर तुम्हीं ने, फिराई होगी। तुम्हारी झुकती नज़र से ही तो, मधु ने मस्ती, चुराई होगी, तभी तो मौसम ये बनके साकी, दीवाना सबको, बना रहा है। तू कौन है क्या, है नाम तेरा, तूहीं क्यों दिल को, यूँ भा रहा है। ये झुकती नज़रें, ये उड़ती जुल्फें, कोई तूफानी है शाम जैसे, तुम्हारे लव से गुमान होता, भरे है,  मदिरा के जाम जैसे, तुम्हारी उल्फत मिले न मुझको, दिल को डर ये सता रहा है तू कौन है क्या, है नाम तेरा, तूहीं क्यों दिल को यूँ भा रहा है। तुम्हारी जुल्फों में कट रही है, ये रात पूनम, कभी न गुजरे नशा लवों का जो छा गया है, कभी खुमारी, न इसकी उतरे। जमाना मुझको लुभाना चाहे, मगर तुहीं एक, लुभा रहा है तू कौन है क्

बिखड़ी पंखुड़ियां - 1

1.: अपनी न को तू हाँ में बदल दिलरुबा। मेरी चाहत पर तू भी मचल दिलरुबा किसने बोला कि तुझमे मैं शामिल नही। तुझपर है बस मेरा ही असर दिलरुबा। 2.: एक मुसाफिर था मैं तो यारा, तुम्हें जो देखा भटक गया हूँ, तुम्हारी आँखें है गहरा सागर, कश्तियां बिन उतर गया हूँ। 3.: की जब हंसती हो तुम तो फिजाएँ गाने लगती हैं  चमन हंसता है और घटाएं छाने लगती है। कोई तो बात है तुममे, असर तेरा जमाने पर, कि कलियाँ मुस्कुराती है, नजर शरमाने लगती है। 4.: दिल सुंदर है, दिल पे लिखी, बातों से क्या लेना मुझको। हो साथ तुम्हारा, बहके हुए, जज्बातों से क्या लेना मुझको। हर सांस से आती है ये सदा,  तुम साथ रहो अंत सांसों तक। तुमसे मिलकर दुनियां भर के, अहसासों से क्या लेना मुझको। 5.: तेरी याद हमको सताए तो क्या करें, तू रह रह कर याद आये तो क्या करें, कुछ भी लिखता हूं, तो तेरी यादों का असर रहता है। तू तमाम रात हमको जगाए तो क्या करें। 6.: तेरी तस्वीर क्या देखूं, तुझे ही हमनज़र कर लूं, तेरे गालों की लाली से जरा रंगीन मैं घर कर लूं। तेरे बस मुस्कुराने की, अदा पर जग फिदा है ये, मैं जग को भूल कर तुझमे, जीवन ये बसर कर लूं। 7 तेरा अंदाज़