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Showing posts from November, 2019

काश कि भारत ऐसा बने

न कोई बच्ची, को नाले में फेंक कर आएगा। लड़का लड़की दोनो को बराबर माना जाएगा। न किसी बच्चो या महिला को बलात्कार का डर सताएगा, फूल से कोमल तन मन को, हरगिज कुचला न जाएगा।। न कोई इंसान मोब लीनचिंग में मारा जाएगा, और न देश मांस निर्यात में नंबर वन पर आएगा। सब उस ईश्वर के बच्चे है, एक बराबर एक ही मान कर, न कोई कुरान, गीता का "ईश्वर एक है" का पाठ भुलायेगा। कानून से डरेंगे सब, न्याय सभी को समय पर मिल जाएगा। न कोई पुलिस वाला 100 रुपये में, मान जाएगा। एक दूसरे के साथ चलेंगे, हर घर मे उजियाला आएगा, न कोई सड़क पर घायल को छोड़, घर को जाएगा। न झूठ का कारोबार चलेगा, नेता झूठा न जीत पायेगा न कोई धर्म, जात, पैसा, दारू में वोट बेच कर आएगा। शिक्षा का सम्मान सभी को, हर बच्चा स्कूल जाएगा, भीख मांगता कोई जब लाल बत्ती पर न पायेगा। मिलेगा सबको रोजगार, न बेरोजगार कहलायेगा, ईजीनियरिंग करके कोई कहीं, रिक्शा ठेला न चलाएगा। चमचा बनकर ये मीडिया, झूठी खबरें न दिखयेगा। नोट में चिप घंटो तक, लोकतंत्र से न खेला जाएगा। सब अपने कामो को मंदिर की भांति पूजेंगे, अखबार भी सच लिखकर, आईना बन जायेगा।

कश्मकश

शाम सुहानी हो जाएगी, तुमसे दो बातें जो कर लूँ मन मोहे, तूं, संध्या आभा, किसको मैं यादों में भर लूँ। प्रेम के इस झरने मे बैठे, क्या जीवन ये जी पाऊँगा। खो देने की आशंका से, कैसे पर खुशियों को तज दूँ। अटल सत्य है जीवन मानो, मृत्यु क्रिया की प्रतिक्रिया। कैसे मैं एक प्रतिक्रिया पर, गिरवी सारी क्रिया रख दूँ। जाने या अनजाने में हों, पाप मगर हो ही जाते है, कर्म करूँ, कुछ पुण्य कमाऊं, पाप या बस घाटों पर तज दूँ। सोच रहा रसमय सृष्टि से, क्या दो बूंदे पी पाऊँगा। परवशता का ढ़ोल पीटकर, कैसे मैं कर्मो को तज दूँ।

तुम इश्क़ हमारा भूलो

तुम इश्क़ हमारा भूलो अधिकार तुम्हें है लेकिन, तुमको दिल ये भुला दे, हमको स्वीकार नही है। लाख कहो तुम हमसे, तुमको नही उल्फत लेकिन तुम खुद को तो समझा लो, तुम्हें हमसे प्यार नहीं है दिल काबू में आ जाये, तो बंजर हो जाये धरती, दिल का उन्मुक्त न होना, प्रभु को स्वीकार नही है। आधार जगत में जीवन का प्रेम रहा है मानो, प्रेम बिना खुद ईश्वर, का ही आधार नही है। अब मान लिया तो आओ, नव प्रेम के अंकुर सींचें, अब ये न कहना तुमको, मुझसे ही प्यार नही है।

स्वप्न नगरी

एक शहर बनाऊं ऐसा, जिसमे कोई गैर नहींं हो। सपने सबके हों पूरे, कोई दिल में बैर नहींं हो। हों रातें काली लेकिन,  कोई बेटी न डर पाए। बेफिक्र सभी मंजिल पर,  वो आगे बढ़ती जाए। जो उसका रास्ता रोके, ऐसी अंधेर नहींं हो। सपने सबके हों पूरे, कोई दिल में बैर नहींं हो। जिस आंगन में हों कान्हा, वही गुरवाणी भी गाएँ वहीं बैठें नमाजी सारे, वहीं यशु की प्रेयर गाएँ। वहीं जैन, बुद्ध की शिक्षा, अज्ञान की खैर नहींं हो। सपने सबके हों पूरे, कोई दिल में बैर नहींं हो। इस नगर में कोई मानव, कभी भूखा न सो पाए। कोई बच्चा बीच सड़क पर, न भीख मांगने जाए। सबको जीवन की सुविधा, पैसे की मेहर नहींं हो। सपने सबके हों पूरे, कोई दिल में बैर नहीं हो। हो राजा न अभिमानी, करें मंत्री न मनमानी। जहां लोक का तंत्र रहे बस, जहाँ न्याय में हो आसानी। निष्पक्ष जहां हो खबरें, सत्ता का जोर नहीं हो। सपने सबके हों पूरे, कोई दिल में बैर नहींं हो। हो साफ हवा ओ पानी, हों चिड़ियों की भी कहानी। जहां तितली जुगनू डोलें, है स्वप्न मेरे आसमानी। पर काश ये सच हो जाएं, बस इसमे देर नहींं हो। सपने सबके हों पूरे, कोई दिल में बैर नहीं हो।