काश कि भारत ऐसा बने
न कोई बच्ची, को नाले में फेंक कर आएगा। लड़का लड़की दोनो को बराबर माना जाएगा। न किसी बच्चो या महिला को बलात्कार का डर सताएगा, फूल से कोमल तन मन को, हरगिज कुचला न जाएगा।। न कोई इंसान मोब लीनचिंग में मारा जाएगा, और न देश मांस निर्यात में नंबर वन पर आएगा। सब उस ईश्वर के बच्चे है, एक बराबर एक ही मान कर, न कोई कुरान, गीता का "ईश्वर एक है" का पाठ भुलायेगा। कानून से डरेंगे सब, न्याय सभी को समय पर मिल जाएगा। न कोई पुलिस वाला 100 रुपये में, मान जाएगा। एक दूसरे के साथ चलेंगे, हर घर मे उजियाला आएगा, न कोई सड़क पर घायल को छोड़, घर को जाएगा। न झूठ का कारोबार चलेगा, नेता झूठा न जीत पायेगा न कोई धर्म, जात, पैसा, दारू में वोट बेच कर आएगा। शिक्षा का सम्मान सभी को, हर बच्चा स्कूल जाएगा, भीख मांगता कोई जब लाल बत्ती पर न पायेगा। मिलेगा सबको रोजगार, न बेरोजगार कहलायेगा, ईजीनियरिंग करके कोई कहीं, रिक्शा ठेला न चलाएगा। चमचा बनकर ये मीडिया, झूठी खबरें न दिखयेगा। नोट में चिप घंटो तक, लोकतंत्र से न खेला जाएगा। सब अपने कामो को मंदिर की भांति पूजेंगे, अखबार भी सच लिखकर, आईना बन जायेगा।