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Showing posts from October, 2022

हिरनी सी आंखों में देखो

हिरनी सी आंखों में देखो, नैना मेरे अटक गए हैं, उसमें सारे अरमान देखो, दिल के मेरे भटक गए हैं। कैसे उनको पा लेने के, दिल ने सब अरमान सजाए, कैसे उलझा दिल जुल्फों संग, बेदर्दी वो झटक गए हैं। आज अभी तक हुआ न ऐसा, जीवन में कितनों को देखा, उनको देखा बस दिल के सब, स्वप्न उन्हीं में भटक गए हैं। होठों की लाली में डूबी, लाली सारे मयखानों की, धार हुई है कुंद मय की, लब पर लब जो अटक गए हैं। नयनों ने जो बाण चलाए, उनसे बचना नामुमकिन था, इन नयनों से घायल देखो, महफिल में सब लटक गए हैं। कुछ तो था मुस्कान का जादू, और कुछ पागलपन सा मेरा, जितना चाहा बचना इनसे, इनमे ही हम भटक गए हैं। सारे गुलशन जल जाएंगे, हुस्न तुम्हारा कुछ ऐसा है, जुल्फों का उड़ना इठलाना, सावन को ये खटक गए हैं।

दिल को टुकड़ों में सजा दी मैंने

दिल को टुकड़ों में सजा दी मैंने तेरी तस्वीर घर में ही लगा ली मैंने। किस-किस की कही का क्या देता जवाब, एक चुप्पी सी मेरे होठों पर लगा ली मैंने। एक वो जो मेरे होने पर फिदा था बरसों, आज उस दुनियां से नजरें ही फिरा ली मैंने। लौट आएगा गया वक्त मुमकिन ये नहीं, तेरी यादों की चिता कल ही जला दी मैंने। मन का तूफान रुका कब है किसी के रोके, दिल की कश्ती ही लहरों को थमा दी मैंने। मैं बिखर जाऊंगा इस बात का यकीन था उसे, उसकी नजरों से नजरें ही हटा ली मैंने। कोई आहट नही होगी, मेरे दिल पर कभी, दिल में दीवार पत्थर की बना ली मैंने। शुक्रिया तेरा मुझे मुझसे मिलाया तूने, तेरे सजदे में नजरें ये झुका ली मैंने।

तरस न आया

तरस न आया पल भर उनको, सदियों की ये जुदाई  है, पल भर न बाँहों में आये,  जग से प्रीत निभाई है। तरस न आया पल भर उनको.... कुछ सपनों ने छीना सब कुछ, रिश्ते नाते, दुनिया, यारी, छीन लिए पल भर में हमसे, चीजें जो हमको थी प्यारी, जिन सपनों में जी लेने को, कालकूट विष पान किया, उन सपनों ने हमसे देखो, कैसी प्रीत निभाई है। तरस न आया पल भर उनको.... जग को सारे यकीन नहीं था, स्वर्ग प्रेम से बौना है, उसको पाना जग को खोना, उसको खो बस रोना है, चाल चली नियति ने ऐसी,  मन ये ठूठ, पाषाण हुआ, जीत गए सब बाजी अपनी, प्रेम की बस रुसवाई है। तरस न आया पल भर उनको.... प्रबल कठिनतम वो जीवन जो, बिन तेरे उपहार मिले, सदियों तक हो विरह का रोना, जब मिले तो तेरा प्यार मिले, क्रूर समय की निर्मम गति से, जीवन खुद संताप हुआ, जिसको अमृत मान लिया था, वो जीवन ही दुहाई है। तरस न आया पल भर उनको.... जो होना वो होना ही है, किसने ये इंकारा है, नियति ही अंतिम शक्ति है, कब उसपर जोर हमारा है, करने को कुछ भी कर लो पर, समय कहीं कब ठहरा है, जीवन का मतलब तो खुद के, जीवन से ही लड़ाई है तरस न आया पल भर उनको....