Posts

Showing posts from April, 2020

खौफ का नाम डोडेन (doden) अंतिम भाग 4

अभी तक अपने पढ़ा कि एक लैब में एक खतरनाक वायरस पर काम चल रहा है। उनके वायरस बनाने की तकनीक और उस वायरस के इस्तेमाल के लिए खुफिया मीटिंग चल रही है। हैपिंग आगे बताता है की अगर दुनिया ये मानने लगेगी की ये वायरस हमने फैलाया तो उससे बचने के लिए एक प्लान है जिसका क्रियान्वयन वक़्त के हिसाब से निश्चित होगा अब आगे देखते है कि क्या हुआ। तो आइए दोस्तों चलते है उसी मीटिंग में.... इस प्लान के तहत हम अपने कुछ छोटे शहरों में जिनमे आबादी की उम्र औसतन ज्यादा होगी में ये वायरस फैला देंगे। चूंकि इन शहरों में वैक्सीन यही लगी होगी इसलिए यहां वायरस ज्यादा तेज़ी से फैलेगा। इन शहरों का चुनाव इस वजह से किया जाएगा क्योंकि वहां की आबादी जल्दी ही नॉन प्रोडक्टिव आबादी में बदलेगी, ये आर्थिक सामाजिक किसी भी लिहाज से देश के लिए अच्छा नही है। ये सभी शहर विदेशी मीडिया के लिए खोल दिये जायेंगे ताकि वो भी यहां आकर अपनी आंखों से यहां के हालात देख लें। हमारी वैक्सीन और दवाई जो कि तैयार रहेगी से हम जितना हो सकेगा लोगों को बचाएंगे। लेकिन हमारा ये प्रयास रहेगा कि  हालात ऐसे हो जाये कि कोई भी हम पर अंगुली उठाने की बजा

शब्दों के सृजक

हे! नव उपमान, नए रूपक,  नव शब्दों के सृजक बोलो, काम देव के बाणों से भी,  कामुक शब्दों को खोलो। जो उपमान नहीं दोगे प्रीतम की, कैसे सुंदरता भायेगी, नित क्षीण होती ये सृष्टि,  कैसे सुंदर कहलाएगी। चाँद सितारों का फिर बोलो,  कौन अभिमान मिटाएगा, कौन प्रिया के मुख मंडल पर,  सौ-सौ चाँद लुटायेगा। कैसे सुबह की वो लाली,  होठों को दमकायेगी, कैसे कानो की वो बाली,  बिजली को धमकायेगी। कैसे सारी दीप्ति भुवन की,  उन नयनो से कम होंगी, कैसे इन मेघों की शक्ति,  उड़ती जुल्फों के दम होंगी। कैसे गीत सुनेगा कोई,  कोयल में, और निर्झर में,  कैसे संगीत सुनेगा कोई,  मेघों के क्रुद्ध गर्जन में। सारी मधुशालाओ के मधु से,  मन की प्यास न बुझ पाएगी, कैसे उन होठों को छूने से,  सारी तृष्णा मिट जाएंगी। कौन भला जो पीर का पर्वत,  पिघला कर गंगा कर देगा, कौन भला जो नयन नीर से,  सृष्टि में सागर भर देगा। कैसे कहो तो वनवासी एक,  मर्यादा पुरुषोत्तम होगा, कैसे कहो तो ज्ञान जो नीरस,  गीता सा उत्तम होगा। हो ब्रम्हा के मानस पुत्र तुम,  सृजन के तुम प्रणेता हो, अमर प्रेम के साधक तुम हो,  गीतों के रचियता हो। वाल्मीकि, तुलसी, काली,  तुम ह

शिला सा ये मन

है शिला सा ये मन, माना हमने प्रिये, लेख लिखने नया एक चले आइए,  प्रेम का सिलसिला जो हुआ ही नही, उसका आगाज है गौर फरमाइए। मेघ सी उड़ रही, है हवाओ में जो, इन बलाओं को, थोड़ा तो आराम दो, गर मोहब्बत प्रिये, मुझसे करते हो तुम, मेरी धड़कन को आओ जरा थाम लो बेसुरी हो रही, प्रीत की सरगमे, दिल को कोई नया गीत दे जाइये। प्रेम का सिलसिला जो हुआ ही नही, उसका आगाज है गौर फरमाइए। एक तेरी आरजू हमने की तो मगर, अपने मन पर मुझे एक हक़ दीजिये, तेरा फूलों सा तन, निर्मल गंगा सा मन, तुम हो मंजिल वही, रहगुजर दीजिये, मन तुम्हारा भी है, मन हमारा भी है, आग्रह प्रेम का बस, चले आइए। प्रेम का सिलसिला जो हुआ ही नही, उसका आगाज है गौर फरमाइए। कोई झंकार सा, है हृदय का गयन, नींद से बेखबर, हो गया अब शयन, न कोई आरजू, जैसे सब मिल गया,  कर लिया प्रीत ने, जब तुम्हारा चयन, मन के आंगन में स्वागत तुम्हारा प्रिये, स्वप्न में आइए, साथ खो जाइये। प्रेम का सिलसिला जो हुआ ही नही, उसका आगाज है गौर फरमाइए। तुम जो नाराज होंगे मुझपे सखे, मैं मना लूंगा तुमको यकीन तो करो, फूल का बिस्तरा, स्वप्न की ओढ़नी, मैं सजा दूं

खौफ का नाम डोडेन (doden) भाग 3

अभी तक अपने पढ़ा कि एक लैब में एक खतरनाक वायरस पर काम चल रहा है। उनके वायरस बनाने की तकनीक और उस वायरस के इस्तेमाल के लिए खुफिया मीटिंग चल रही है, अब आगे देखते है कि क्या हुआ। तो आइए दोस्तों चलते है उसी मीटिंग में.... इसके बाद हमारा अगला चरण शुरू होगा वो चरण हमे विश्व मे बहुत बड़ी छलांग देगा। हमारे जद में दुनिया के सभी बड़े देश होंगे। हैपिंग ने आगे बोलना शुरू किया। हमारी लैब पर बहुत से देशों की नज़र है इसलिए हमे ये भी दर्शाना है कि ये बीमारी किसी प्राकृतिक जगह से आई।  हमारे तटों पर एक दिन अचानक हज़ारो हज़ार मछलियां मरी पाई जाएंगी जिसका कारण पता नही होगा। वैज्ञानिक उसपर शोध करेंगे की क्या हुआ लेकिन उनको कोई कारण नज़र नही आएगा। इसकी खबर बहुत जोर शोर से प्रसारित की जाएगी वीडियो फ़ोटो, यहां तक कि विदेशी लोग भी जहां जा पाए ऐसी जगह भी ये सब होगा। ताकि इस खबर को विदेशी मीडिया में भी जोर शोर से स्थान प्राप्त हो। उसके कुछ ही दिनों बाद समुद्र के पास के जंगलों से कुछ जंगली जानवरों अजीब सी बीमारी की हालत में पकड़ कर लाये जाएंगे। और धीरे धीरे अनजानी बीमारी से वो मर जायेंगे। समुद्र में मछलियों का ऐसे पाया जा

खौफ का नाम डोडेन (doden) भाग 2

अभी तक अपने पढ़ा कि एक लैब में एक खतरनाक वायरस पर काम चल रहा है। उनके वायरस बनाने की तकनीक और उस वायरस के इस्तेमाल के लिए खुफिया मीटिंग चल रही है, अब आगे देखते है कि क्या हुआ। तो आइए दोस्तों चलते है उसी मीटिंग में.... ज्यादातर मामलों में प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को पहचान लेती है इसलिए हमारा मकसद ऐसी स्थिति लाना है जिसमे लक्षण बहुत सामान्य हों और वायरस तब तक निष्क्रिय बना रहे जब तक उसकी संख्या बहुत ज्यादा मारक न हो जाये। ऐसे होने पर इसका फैलाव और शिकार बहुत ज्यादा बढ़ जाते है और यही हमारा मकसद है। डॉ चिंग ने आगे बताया। हमने इसका ऐसा नाम रखा है जो दहशत, खौफ का दूसरा नाम बनेगा। "डोडेन (Doden)" ये एक डेनिश शब्द है जिसका मतलब है मौत। किसी को शक न हो इसलिए सब काम ऐसे करना होगा जैसे सब नेचुरल तरीके से हुआ हो। ये वायरस किसी जानवर से इंसान में आया ये दिखेगा। हमने जिस वायरस की खोज की है उसको अधिकतम नेचुरल ही रहने देंगे बस ये कोशिश होगी की हम उसकी फैलने की क्षमता को बढ़ा सकें वैसे भी हमारा ये वायरस खुद ही बहुत ताकतवर है। ये एक बार फैलाना शुरू होगा तो इसको रोकना बहुत मुश्किल होगा। कई महीने

खौफ का नाम डोडेन (doden) भाग 1

工作进展如何?程医生一到就说。 工作将很快完成,相信我们,我们将处于领先地位。永志说。 导师的压力很大,我们必须在2019年底之前完成这个目标。程医生说。 是的,先生,一定会的。我们白天和黑夜都在做同样的事情。 听到在中国某城市的生物实验室中发生的这些事情,似乎正在制定一个宏伟的计划。 严格穿着军装穿着。科学家和博士几个月不能回家。似乎正在制定一个很大的计划。 अरे ये क्या ये तो चाइनीस भाषा मे टाइप हो गया, भले ये बात चीन के एक प्रयोगशाला में हो रही हो लेकिन मुझे लिखना तो हिंदी में ही है। सबसे पहले में ये बता दूं कि पूरी काल्पनिक कहानी है इसका किसी देश या भाषा या किसी अन्य चीज़ से कोई लेना देना नही यही। जगह का नाम किसी के लिए किसी पर्वग्रह को प्रदर्शित नही करता। चलिए शुरू से शुरू करते हैं। काम कैसा चल रहा है? डॉ चिंग आते ही बोला। जल्दी ही काम हो जाएगा, यकीन मानिए हम सबसे ऊपर होंगे। विंग ची ने कहा।  आकाओं का बहुत दबाब है 2019 के खात्मे से पहले हमे ये टारगेट पूरा करना है। डॉ चिंग ने कहा। जी सर बिल्कुल हो जाएगा। हम दिन रात यही काम कर रहे है। चीन में एक शहर में एक बायो प्रयोगशाला में होती ये बातें सुनकर लग रहा था कि कोई बड़ी योजना पर काम चल रहा है।  आर्मी जैसी दिखने वाली ड्रेस में सख्त पहरा। शायद ये आर्मी तो नही लेकिन किसी बड़े योजना में लगी टीम की इतनी सुरक्षा, वैज्ञान

गीत मिलन का

एक अजीज मित्र, जिनके हमसफर दूर कॅरोना के लॉकडाउन में फंस गए है, न वो आ सकते है न ये जा सकते हैं उनको समर्पित पंक्तियां। वो दिवस मिलन का आएगा,  रात भी उनके संग होगी, सब कह देंगी आंखें खुद ही, बात न लब से कुछ होगी। न तुम अहसास छुपाओगे, न वो जज्बात बताएंगे, सब कुछ खुद हो जाएगा, बस नीर नयन बहाएंगे, तुम उनके बिन कैसे तड़पे, वो हालातो से कैसे संभले, सब गम खुद ही बह बह कर, दिल का सब हाल बताएंगे। बस आज सखे ये थाम लो मन, उनके आंसू भी जान लो मन, तुम दुखी न हो, वो कहते नही, पर ऐसा नही वो सहते नही। सब मजबूरी कुछ हाथ नहीं, है भाग्य यही तुम साथ नहीं, पर प्रेम ने कब हारी है जंग तन दूर मगर मन, पास वहीं। ऐसे हालत न आये फिर, पल भर को दूर न जाएं फिर, एक बार मिलें साजन जो बस, बाहों में उम्र बिताएं फिर। ये मानो पल भर की दूरी, जीवन का पाठ पढ़ाएगी, हो प्रेम सुदृढ मन से मन का, तन का अहसास मिटाएगी। दुख के बदरा छट जाएंगे, सुख पूनम से चढ़ आएंगे, है अटल मिलन होगा अनुपम, नव गीत मिलन के गायेंगे।