काश कि जीवन ऐसा होता

जब भी न देखें आंखें तुमको, मन मेरा बैचैन है होता,
आंखें खुले बस, देखूं तुझको, काश कि जीवन ऐसा होता।

जीवन के संताप से डरना, मृत्यु के विश्वास से डरना,
मिथ मिलन की आस लगाकर, बिछड़ के फिर अहसास से डरना,
मैं और तुम बस एक हो जाते, काश मिलन जल जैसा होता
आंखें खुले बस, देखूं तुझको, काश कि जीवन ऐसा होता।

कान्हा अब ये ताप मिटाओ, पुण्य मिटाओ पाप मिटाओ
द्वेष मिटा दो मन से और तुम, प्रेम का भी अहसास मिटाओ।
जब भी देखूं, तुमको पाऊँ, आकाश ये दर्पन जैसा होता।
आंखें खुले बस, देखूं तुझको, काश कि जीवन ऐसा होता।

ज्ञान नही अज्ञानी हूँ मैं, कैसे तुमको कान्हा पाऊँ,
रूप विशाल, चराचर में तूं, कैसे नैनो में सिमटाऊँ,
बन धूली, बृज गलियों मे, राह तुम्हारी बिखरा होता,
आंखें खुले बस, देखूं तुझको, काश कि जीवन ऐसा होता।

Comments

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं