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Showing posts from November, 2017

हसीन दुनियां

हो मुस्कुराहट सबके चेहरे पर, क्या ऐसी एक दुनियाँ बन नही सकती? हसीन सपने हो हर एक की आंखों में, क्या ऐसी एक दुनियाँ बन नही सकती? कहने को तो हम हर एक चीज़ बना लेते है, चाँद पर भी अपने झंडे लगा देते हैं , पहाड़ों से भी ऊंचे घर बना लेते हैं, गहरे सागर पर भी, सुंदर, शहर बना लेते है, एक छत हो हर एक के सर पर, क्या ऐसी एक दुनियाँ बन नही सकती? नफरत का वो आलम है यहां, इंसान हर चीज़ से घबराता है, किसको अपना समझे वो तो, अपने साये से भी आज डर-डर जाता है, हो मोहब्बत जहाँ सबके लिए, क्या ऐसी एक दुनियाँ बन नही सकती? वैसे तो हम रोज तरक्की कर रहे हैं, लाखों-करोड़ों कुछ, जेबों में भर रहे है, पर अब भी हज़ारों-लाखों, भूखे ही सो रहे है, जीने की आरज़ू ले, भूखे ही मर रहे है, मिल जाये सभी को रोटी, सुबह और शाम की, क्या ऐसी एक दुनियाँ बन नही सकती? हो मुस्कुराहट सबके चेहरे पर, क्या ऐसी एक दुनियाँ बन नही सकती?

मैं एतवार करता हूँ p66

तेरे वादे कि सच्चाई पर मैं एतवार करता हूँ। तुझे सब भूल जाने की, मैं हद तक प्यार करता हूँ। तुझे मैं भूल जाऊंगा,  मैं जब खुद को मिटा दूंगा, तुझे कैसे दिखाऊं कि, मैं कितना प्यार करता हूँ। मेरे दिल कि चाहत सब, तुम्हीं से होकर आती हैं, तेरी यादें मेरे तन मन को, महका कर के जाती हैं। चाहे जो जतन कर लो, भुला न मुझको पाओगी, कि पहला प्यार भूलाने में, तो सदियाँ बीत जाती हैं। दीवाना बनना भी तेरा, ले मैं स्वीकार करता हूँ, तुझे कैसे दिखाऊं कि, मैं कितना प्यार करता हूँ। महलों के तेरे काब़िल, कभी मैं बन नही पाया, कि सौदा अपनी खुद्दारी का, हरगिज कर नही पाया नहीं मुझको गिला कोई, तेरी इस बेरूखी से हैं, कि तेरा बन गया लेकिन, तू मेरा बन नहीं पाया। मैं आपनी सारी हस्ती को, तेरा उपहार करता हूँ, तुझे कैसे दिखाऊं कि, मैं कितना प्यार करता हूँ। बहुत छोटी मेरी हस्ती, मैं अक्सर भूल जाता हूं सितारों को मगर पाने की, हसरत रोज सजाता हूं. तुझे पाना नही मुमकिन, मगर दिल में उम्मीदे है, उसे मैं पा ही लूंगा जो, मैं मैं पाना चाहता हूं ना कोई आरजू तुझसे, ना ही उपकार करता हूँ तुझे कैसे दिखाऊं कि, मैं कितना

वीराना मेरे घर सा इस जहाँ में घर नहीं

वो आँखों के सामने भी हैं पर, हमनजर नहीं, या खुदा क्यों उनको कुछ मेरी खबर नही। दिल की हर आस पर, उनको है इक्तियार, जाने क्यूँ इश्क का हुआ कुछ, उनपर असर नही। मेरी जिन्दगी पर छाया उन्हीं का सूरूर है, कैसे कहें कि मेरे, वो हमसफर नहीं। या तो छुपा रहे हैं वो, हमसे, दिल का हाल, या वो खुद हैं पत्थर, उनमें जिगर नही। ख्वाबों में आकर हमको, जगाया है बार-बार, खुद सो रहे हैं ऐसे, कुछ उनको खबर नहीं। अब दुआ भी करना, किसी से फ़िजूल है, दिल की सदा में शायद, बचा कुछ भी असर नही, मेरे लिए तो मंदिर-मस्जिद है उनका घर, जो जाए न वहाँ वो मेरी, रा हगुजर नहीं। उनके बिना तो सूने, बहारों में बाग हैं, वीराना मेरे घर सा, इस जहाँ में घर नहीं।

तो गम क्यों हम करें

करीब तो न थे वो , जो दूर हो जाएँगे, और दूर भी नहीं थे जो, पास आ जाएँगे. मुझमें हैं वो और मैं हूँ उनमें, तो गम क्यों हम करें। क्यों उनके जाने पर नीर बहाएँ, तन्हा मान खुद को अधीर हो जाएँ दूर नही, वो पास ही हैं मेरे तो गम क्यों हम करें। माना हो जाएगी, सृष्टी ये काल कलवित, होगी विधाता के हाथों, फिर सुसज्जित, प्रेम अपना होगा, फिर से नव पल्लवित, तो गम क्यों हम करें।

याद उनको तो कुछ भी नहीं

याद उनको तो कुछ भी नहीं, हमको भी भुला बैठे किस वेवफा की यादें हम, सीने से लगा बैठे।... यूं तो हजारों थे, पर ठहरी नजर तुमपर, तुम्हें पाने की चाहत की, दुनियाँ ही गवां बैठे।... हमें कब से ये हसरत है, तुम्हें दिल से लगा लें हम, बस इसी एक हसरत पर, क्या क्या न लुटा बैठे।... प्यार कितना दिलों में था, और दूरी थी दुनियाँ की, हम ये दूरी मिटाने चले, खुद को ही मिटा बैठे।.... तेरे वादे थे सब झूठे, तेरी कसमे भी सब झूठी, तुझे सच्चा समझ कर हम, खुदा तुझको बना बैठे।... हमने चाहा तुझे भूलकर, लौट आऐंगें दुनियाँ में, तुझको भूले नहीं लेकिन, खुद को ही भुला बैठे।... कोई लाख कोशिश करे, होना जो वही होगा, दिल तुमपर ही आया, हम गर्दिश में जा बैठे।....

दिल की गहराई से जो निकले सदा, वो इश्क है

दिल की गहराई से जो, निकले सदा, वो इश्क है। हर घड़ी दिल में जो, सांसों सा बसा, वो इश्क है, झूठ और फरेब भरी, इस दुनियाँ में, सच जो कुछ भी है, वो इश्क है। इश्क उतार लाता है, जमी पर, भगवान को, ये ही बनाता है इन्सान, एक हैवान को, जर्रे-जर्रे पर जमीं के जो, बिखरा है, वो इश्क है, सागर की गहराई में जो, मोती बना है, वो इश्क है। दुश्मनों को भी जो, गले से लगा देता है, दो अन्जान दिलों को जो, एक बना देता है जो हर रिश्ते में छुपा है, वो इश्क है, चाँद सितारों से जो, आगे तक गया, वो इश्क है। हर चीज जहाँ में बनती है, मिट जाती है, खिल के बहारों में कलियाँ भी, बिख़र जाती हैं, हर पल रहा जो जिन्दा, वो इश्क है, मिटा न पाया जिसे ये जहाँ, वो इश्क है...। गैरो के गम को, अपना बना लेना, दोस्तों के हर सितम को हँस कर उठा लेना, ऐसा करने का जो जूनून है, वो इश्क है, गमों में खुशी की जो, झलक है, वो इश्क है...। चाँद मिलता नही हर किसी को मगर, पाने की आरजू तो करते हैं सब यहाँ आसमा छू लेने की ये जो, ललक है, वो इश्क है, वेवफा को खुश देखने की, जो कसक है, वो इश्क है...।

कोई बात नही मुलाकात नहीं

कोई बात नही मुलाकात नहीं, पर दिल को तेरा एहसास रहा। हम दूर भले हों इस तन से, पर मन तो तेरे ही पास रहा। हम राह में तन्हा बैठे हैं, पथरा ये निगाहें अब हैं गई, तेरा प्यार मिला न जिस जग में, उससे अब कुछ आस नहीं। कोई बात नही मुलाकात नहीं, प्यार तेरा मेरे साथ रहा। हम दूर भले हों इस तन से, पर मन तो तेरे ही पास रहा। कभी साथ जो खाई थीं कसमें, तन्हा ही निभाए जाते हैं। जीवन के इस दोराहे पर, साया भी मेरा, मेरे साथ नही। कोई बात नही मुलाकात नहीं, यादों से सफर आबाद रहा। हम दूर भले हों इस तन से, पर मन तो तेरे ही पास रहा। क्यू हमको किया तूने मज़बूर, हम उनसे जुदा, वो हमसे दूर। या रब! दिलों को तड़पाकर, तूने है किया क्या पाप नही? कोई बात नही मुलाकात नहीं, हमको तो उसी से प्यार रहा। हम दूर भले हों इस तन से, पर मन तो तेरे ही पास रहा।

हम तो आशिक हैं

हम तो आशिक हैं, तुझको बुरा कैसे कह दें तेरी हर एक सजा, हमको तो दुआ लगती है। तेरी मासूम अदा, कर देती है दिवाना मुझको, रूठ जाना भी तेरा, हमको तो अदा लगती है। तेरी नजरों के पैमानों पर, लुट जाता है दिल, तेरी जुल्फों मे आकर उलझ जाता है दिल, तेरे गालों के हसीं तिल से हैरान हूँ में, तेरे होठों के जामों से बहक जाता है दिल, तेरे चेहरे की ये रौनक है जहाँन से प्यारी, मुस्कुराना ये तेरा हमको तो वफा लगती है। तेरी मासूम अदा कर देती है दिवाना मुझको, रूठ जाना भी तेरा हमको तो अदा लगती है। तू क्यूँ रूठा है, मनाने का, हक तो दे दे, मै तेरा हूँ ये बताने का, वक्त तो दे दे, तू कोई बात तो कह, खता मेरी तो बता, मुझको हर एक गुनाह की सजा तो दे दे, तुझको भूल भी जाता तो, जीता कैसे, बिन तेरे जिंदगी भी सजा सी लगती है, तेरी मासूम अदा कर देती है दिवाना मुझको, रूठ जाना भी तेरा हमको तो अदा लगती है।

काश मुझको

काश मुझको तेरी, उल्फत की निशानी मिलती, मेरे हिस्से में तेरी दिलकश सी कहानी मिलती, मैं तो कब से तेरी, चाहत का तलबगार रहा हूँ, तेरी जुल्फों तले कोई, रात सुहानी मिलती। रोज आता हूं तेरे दर पर, जख्मो को ताज़ा करने, काश मझसे भी कभी, तू बन के दीवानी मिलती। तेरे एक हंसने से आ जाती थी बागों में बहार, मैं भी हंस लेता अगर, तेरी मेहरबानी मिलती। खुली किताब सा था मैं, जिसने चाहा जो लिखा, काश मुझको तेरी चाहत की निगहबानी मिलती।

रिश्ते

सभी कहते हैं, जो रिश्ते बनते हैं, टूट जाते हैं, लेकिन कुछ रिश्ते बनते हैं मगर टूटते नहीं, भले ही वो, दूर हो जाएं, बिछड़ जाएं, रूठ जाएं, दूनियाँ लाख चाहे मगर भूलते नहीं। उनका नाम है दोस्ती, इंसानियत, प्यार। प्यार मिलता नही, तो कभी मिल के छूट जाता है, ये दिल तन्हाई में, गीत उन्हीं के गाता है, अपने गम में भूला दें उनको ये तो मुमकिम है मगर, पर खुशी में उनके लिए फ़रियाद किये जाता है। किसी शायर ने भी क्या खूब लिखा है।... ये प्यार क्या है, बस एक खिलौना है, टूट जाए तो मिट्टी, खो जाए तो सोना है। मगर चाहे जो भी हो उनको दुआओं के सिवा कुछ दे भी तो नहीं सकते। ये दुआ दिल से निकली और जुबां तक आई हैं मैं खुश हूँ कि आज तुमने सारी खुशियाँ पाई हैं, दिल पर पत्थर नहीं एक फूल रखा है तेरा दिया। मेरे दिल को फिर, तेरी चंद मुलाकातें याद आई हैं।

बरसात है आई थम जाएगी (प्रेम)

बरसात है आई थम जाएगी, मेरे दिल का धड़कना क्या कहिये, मस्ती से भरे इस आलम में, तेरा मुझमें सिमटना क्या कहिये.. पतझड़ का अभी तक आलम था, आए न थे जो बागों में वो, आते ही उनकी जुल्फ़ों से, सावन का बरसना, क्या कहिए, नजरें मिला कर के उसने, हँसकर हमको जो देखा है.. उस दिन से मेरी आँखों से, नींदों का उड़ना क्या कहिए.... ऐ यार तेरे इस चेहरे पर, चंदा का गुमान् हो जाता है. झील सी तेरी आँखों में, मेरे प्यार का झरना क्या कहिए.... पागल भी, दिवाना भी, तेरा प्यार मुझे बस कर देगा.. मिलते ही नजरें, बागों सा, जीवन का महकना, क्या कहिए...

बरसात है आई थम जाएगी (विरह)

बरसात है आई थम जाएगी, आँखों का बरसना क्या कहिए। मस्ती से भरे इस आलम में, मेरे दिल का तड़पना क्या कहिए।... आवाज है तुझको हमने दी, तेरी राह से गुजरें हैं जब-जब। चल-चल कर तेरी राहों में, छालों का पड़ना, क्या कहिए।... पागल-सा दिवाना सा, तेरा प्यार मुझे भटकाता रहा। इस दिल पर सबके तानों के, तीरों का चलना, क्या कहिए।.... सोचा था तेरी जुदाई में, ये जान ही हम दे दें अब तो। तेरे ही जैसे यारों का, दुश्मन में बदलना क्या कहिए।... चाहा था तेरी हर चीज को, बस खुद से जुदा कर देंगे हम। झूठे तेरे उन वादों का फिर, मेरे दिल को छलना क्या कहिए।... आज लगा हमको जैसे, तू हँसकर मेरी बाहों में आई है। आ-आ कर सपनों में तेरा, यूं मुझसे उलझना क्या कहिए।.... सामने मेरे वो हैं खड़े, ख्वावों को कुचलकर पैरों से। इतने पर भी खुशी से मेरी, आँखों का झलकना क्या कहिए।...

पैमाना गम का

पैमाना गम का कोई, है नही अगर होता, तेरे यूं दूर जाने की, भनक से जल गया होता। तेरी खुश्बू से हैं सारे, गुलशन आज भी महके, जो तू इनमें नहीं होता, गुलशन गल गया होता। तू वो है, जो साँसों में, हवा बनकर उतरता है, तेरा जो साथ न होता, कभी का मर गया होता। शायद मुझसे ही कोई, खता हो जाती है अक्सर, नहीं तो तू मेरे दिलबर, बदल यूँ न गया होता। समुन्दर लाख गहरा है, नहीं उन आँखो से गहरा, अगर इक आँसू गिर जाता, समुन्दर बह गया होता। हजारों जामों से ज्यादा, नशा है तेरे इन लब में, जो तू मुझको पिला देता, न मयखाने गया होता, ये लाली तेरे गालों की, है छाती अब भी शामों में, तू जो बाहों में आ जाता, जमाना जल गया होता। लेकर तेरे तकिये को, मैं बाहों में यूं सोता हूँ अगर तू साथ होता तो, लिपट यूं ही गया होता।

दिल हमने बिछाया था

दिल हमने बिछाया था, उसको कोई ठेस लगे न राहों में, थे फूल बहुत, पर डर था हमें, काँटा लग जाए न पाँव में। जब उसने कहा परेशान हैं हम, प्यार भरी तेरी बातों से, बस छोड़ दिया उनके रास्ते, जाना भी इन निगाहों ने। वो वक्त सुहाना था जब हम, नजरों से बातें करते थे, जीते थे बस देख कर उनको, उनपर ही हम मरते थे, प्यार का सागर, देखकर उनकी, नजरों में हम खो जाते दिन गुजर जाता पल में, और लौट के हम घर आ जाते, शाम को बैठे छत पर, बस याद उन्हीं को करते हम, जल्दी से हम सो जाते, सपनों में फिर मिलते हम, सपना था बस, जीवन गुजरे, उनकी जुल्फों की छाँव में जब उसने कहा परेशान हैं हम, प्यार भरी तेरी बातों से, बस छोड़ दिया उनके रास्ते, जाना भी इन निगाहों ने।

मुझको खुदा न चाहिए

तेरे दिये किसी दर्द की, दवा न मुझको चाहिए, तेरा साथ हो मेरे साथ में, मुझको खुदा न चाहिए .. मेरी जिन्दगी को हुआ है क्या, हर तरफ खिली बहार है, तेरे प्यार से मेरे दिल पर ये, आया अजब निखार है, तेरी रोशनी हो हर तरफ, ये चाँद खिला न चाहिए, तेरा साथ हो मेरे साथ में, मुझको खुदा न चाहिए.. बिन तेरे कुछ नहीं हूँ मैं, जो हैं साथ तो "मैं" का काम क्या, मेरी हस्ती ही तेरे दम से है, करूँ इस जहाँ में नाम क्या, मिले मौत या फिर जिंदगी, मुझे तेरे बिना न चाहिए, तेरा साथ हो मेरे साथ में, मुझको खुदा न चाहिए.. हूँ जो इश्क़ में मैं बहक गया, हुई है बहुत रुसवाईयाँ, मेरी जिंदगी में, है जो तू सनम, मुझे भायी सब कठिनाइयां, कोई रास्ता हो या मंजिलें, जुदा तुझसे कुछ न चाहिए तेरा साथ हो मेरे साथ में, मुझको खुदा न चाहिए.. दिसंबर, 1998

मधुर-मधुर मधुबन में गुंजन

मधुर-मधुर मधुबन में गुंजन , पवन सुगंधित छाई है। आई है हर जगह बहार, इस दिल में नहीं आई है।। तेरे हँसने भर से हमदम, कलियाँ सभी मुस्कराती थी, जुल्फों के खुल जाने भर से, काली घटायें छाती थी, जब से गई है दूर तू मुझसे, न एक कली मुस्काई है, आई है हर जगह बहार, इस दिल में नहीं आई है।। तुमसे कुछ पाया न पर, दिल को मेरे आस है बाकी, बैठ कभी फिर साथ तुम्हारे, देखें इन तारों की झांकी, झूठी है पर आस ये कैसी, दिल ने तुझसे लगाई है, आई है हर जगह बहार, इस दिल में नहीं आई है।। सुबह सुबह ऊषा की लाली, तेरे आँचल का रंग जैसे, साँझ ढले रात वो काली, तेरी जुल्फों का साया कैसे, कैसे होता मिलन हमारा, तू तो बस परछाई है, आई है हर जगह बहार, इस दिल में नहीं आई है।।

चाहत का गुमान न होने लगे

हमको देख कर यूं मुस्कुराया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।। आपकी अदाएँ दिल को कितना तरसाती हैं, ये निगाहें क्या कहें, क्या क्या सितम ढाती हैं, हमको देख कर मुँह दुपट्टे में छुपाया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।। जब से देखा है तुम्हे बेकरार है दिल, करता तेरा ही रात दिन इंतजार है दिल, हमें देखकर, यू परदा झरोखे पर गिराया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।। सुना ये शर्म है इश्क की पहली मंजिल, हुई इन्तिहां, अब तो जरा आकर मिल, हमसे मिलकर यूँ निगाहें झुकाया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।। खिजां हो, आपको देखे तो बहार आ जाये, काश कि तुमको भी हमपर, जरा सा प्यार आ जाये, हमको देख कर यूँ, जुल्फें लहराया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।। आप होंगे मेरे, मेरे दिल को यकींन नही, ख्वाब है अगर तो जिन्दगी भर टूटे नहीं, हमको देख कर यूं राहों में घबराया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।। हमको देख कर यूं मुस्कुराया न किजिए, फिर हमें आपकी चाहत का गुमान न होने लगे।।

आईना भी शरमाया

आईना भी शरमाया, देखकर मेरे महबूब को। सर सितारों ने झुकाया, देखकर मेरे महबूब को।। चाँद से चेहरे को, जुल्फों ने घटा सा घेरा है, या कहें चंदन पर, नागिनों का पहरा है। रब ने हर नजारा है सजाया, देखकर मेरे महबूब को, सर सितारों ने झुकाया, देखकर मेरे महबूब को।। निगाहें ये, जो उठती हैं फूल खिलते हैं, होठ ये, जो खुलते हैं राग बजते हैं। मयखाना झूम कर गाया, देखकर मेरे महबूब को, सर सितारों ने झुकाया, देखकर मेरे महबूब को।। चाँद-सा चेहरा, जुल्फों की घटायें, नजर की मस्ती, बहकती चाल, मासूम अदा, प्यार भरा ये दिल, दिल मे बस प्यार ही आया, देखकर मेरे महबूब को, सर सितारों ने झुकाया, देखकर मेरे महबूब को।। जिंदा मैं उनके बिना, अब और रहूं कैसे, मेरे मालिक तू बता, उनसे ये कहूं कैसे। दिल तूफ़ान उठाया, देखकर मेरे महबूब को, सर सितारों ने झुकाया, देखकर मेरे महबूब को।। क्या कहें किस किस तरह, उनको चाहा हमने, रात भर तड़पते इस दिल को सराहा हमने, पर मैं हर बार मुस्कराया, देखकर मेरे महबूब को, सर सितारों ने झुकाया, देखकर मेरे महबूब को।।

वो अल्हड़ सी जवानी

वो अल्हड़ सी जवानी, वो अल्हड़ एक कहानी, पहाड़ी एक नदी सी, उन्मुक्त एक हंसी सी। जिधर चाहे बहक ले, जिधर चाहे चहक ले, सुमन बन महके जीभर जहां मन हो दहक ले, कोई बंधन नही है, कोई भी गम नही है। उसे थामे सभी मे, ऐसा दम नही है। वो अल्हड़ सी जवानी, मगर मासूम अक्सर, बिना छल और कपट के। है सब, कहती-करती, बिना लाग-ओ-लपट के। भले दुनिया न बूझे, उसे खुदगर्ज समझे, वो चाहे, जग मिटा दे, अचंभा नव बना दे, जवानी कुछ भी कर दे, कहानी कुछ भी कर दे, वो अल्हड़ सी जवानी, वो अल्हड़ एक कहानी।

खुदा तुझको बनाया था कभी

ए सनम हमने खुदा, तुझको बनाया था कभी, मैने दिल की गली में, तुझको बसाया था कभी। अब भी तेरी तेरी वो ही नजर, जीने का है आसरा, हमने अपनी हस्ती को, जिसपर लुटाया था कभी।। तेरे दर का वे झरोखा आज क्यों सुनसान है, उमड़ रहें दिल में उन्हीं, यादों के तूफान है, अब तक झुका है सर, तेरे दर पर झुकाया था कभी, ए सनम हमने खुदा, तुझको बनाया था कभी। या खुदा मुझपर तुझे, क्यूँ दया आई नहीं, किस्मत में उनसे मिलन की, क्यूं एक घड़ी बनाई नहीं, हमने खुद को राह में जिनकी बिछाया था कभी, मैने दिल की गली में, तुझको बसाया था कभी। अब तक मेरे दिल का, ये जहांन वीरान है, दिल को तेरी एक झलक का ही बचा अरमान है, याद कर तूने नजर से, प्यार जताया था कभी, हमने अपनी हस्ती को, जिसपर लुटाया था कभी।।

खिलता नही हैं

खिलता नही हैं, मेरे इस चमन में, तू खिलता हुआ एक गुलाब तो है समाया नही बस, मेरी धड़कनों में, तू ही धड़कनों की आवाज़ तो है, कोई भी समझे, न समझे मे रा गम, तू जिन्दगी का हसीं साज तो है। हो मंदिर या मस्जिद तूझे पूजता हूं, तू मेरी बन्दगी का, अंदाज तो है धरा हो गगन हो तू ही तू बसी है, तेरी खुश्बूओं का ही, एहसास तो है

नया नया लगता है सब कुछ

नया नया लगता है सब कुछ, जबसे तुमसे बात हुई है, महका महका सा ये दिन और, बहकी बहकी रात हुई है। तेरे आने से पहले दिल, दर्द भरा एक अफसाना था, तेरे आने की आहट से, फूलों की बरसात हुई है। तुमसे बस होने लगा है, आसों का मेरी नियंत्रण, जब से है मिलने लगा, आँखों का तेरी निमंत्रण। तुमको पाकर ये लगा, सब, मिल गया, जो थी तमन्ना, तुमको ही होने लगा है, मेरी सांसों का समर्पण, तुमसे मिलकर जिन्दगी, मेरी सुहानी शाम हुई है, तेरे आने की आहट से, फूलों की बरसात हुई है क्या हुआ लव पर मेरे जो, नाम तेरा ही है आता, क्या हुआ दिल को मेरे जो, साथ तेरा ही है भाता, हर तरफ छाया हुआ बस, तेरी उल्फत का असर है, क्या हुआ ख्वाबो में जो, रंग बस तेरा ही छाता, तुमसे ही सपने सजे ये, जिन्दगी आबाद हुई है, तेरे आने की आहट से, फूलों की बरसात हुई है

तुमसे आगाज़ हो

महकी महकी सबा, बहकी बहकी अदा, जिन्दगी में हमे और क्या चाहिए, तुमसे आगाज़ हो, हो तुम्ही पर खत्म, जिन्दगी का यही सिलसिला चाहिए। मेरे दिल में जो तू रहेगी नही, मेरी सपनाें की दुनियाँ सजेगी नहीं, तेरे बिन मेरी साँसें ये बेकार हैं, तू न हो किस्मत बनेगी नहीं, स्वप्न सारे मेरे बस बेज़ार हैं, हसरतों को तेरा, हौसला चाहिए तुमसे आगाज़ हो, हो तुम्ही पर खत्म, जिन्दगी का यही सिलसिला चाहिए। तू ही संगीत है तू मेरा गीत है, बिन तुम्हारे है कोई तराना नही, जो देखे वो सपने मेरे तुमसे हैं, तेरे बिन कोई अपना बेगाना नहीं, बस तेरे दिल में थोड़ी जगह जो मिले मेरे जीवन में तू हर जगह चाहिए, तुमसे आगाज़ हो, हो तुम्ही पर खत्म, जिन्दगी का यही सिलसिला चाहिए। तुमसे जीवन हमारा है जीवन बना, बिन तुम्हारे ये नैया बिन पतवार थी, तूही मंजिल मेरी, तू मेरी  राह है, बिन तुम्हारे मेरा कोई ठिकाना नही बह रहे थे समय की इस धार मे, अब तेरा ही हाथों मे हाथ चाहिये तुमसे आगाज़ हो, हो तुम्ही पर खत्म, जिन्दगी का यही सिलसिला चाहिए।

सजनी मिलन की बेला

इतने दिवस के बाद, होगी सजनी मेरे साथ, जो मेरे लिए सजती होगी, फिर रात अकेले डरती होगी। मैं भी तो मजबूर बहुत, हुँ उससे बैठा दूर बहुत, वो छुप छुप कर रोती होगी, मेरी याद में न सोती होगी, बस आज उसे मैं सुला दूंगा, उसके गेसू सुलझा दूंगा, जब चैन से वो सो जायेगी, कल फूलों सी खिल जायेगी, तब उसको लेकर बाहों में, में प्रेम सुधा बरसा दूंगा, फिर से अब तो उसके लिए, मैं जग सारा बिसरा दूंगा, बस वो है वो है सबसे हसीन, इस दुनिया को दिखला दूंगा, कोई उससे जुदा है राह नहीं मैं खुद को भी तो मिटा दूंगा।

तेरी हँसी

एक एक तेरी हँसी है कहानी बनी , दुनियां ऐसे ही कब है दिवानी बनी। तेरा सजना-संवरना गजब ठा गया, सबकी कातिल तुम्हारी जव़ानी बनी। तुझको देखें, जहाँ सारा बेताब है, तूही उल्फत की एक है निशानी बनी। रब से कोई, मुझे अब शिकायत नही जब से तू ही मेरी जिन्दगानी बनी। मैं मोहब्बत में तेरी तो डूबा रहा, तन्हा राते, तेरी मेहरबानी बनी। ये गुमां था मुझे मैं बहुत खूब हूँ, मेरी दुश्मन मेरी बदगुमानी बनी। Oct, 2004

आईना चाहे

आईना चाहे कि मैं उससे, गुफ्तगू कर लूँ, मैं कैसे, तेरे , सिवा कोई, जुस्तजु कर लूँ, तेरी आँखों के सिवा, कोई जँचता ही नही मै कैसे तेरे सिवा कोई, आरजू कर लूँ.... हज़ार रंग दिखाती है, जिंदगी मेरी, हजार राह बताती है, बेखुदी मेरी, मैं किसके साथ चलूँ,  किससे रुखसती कर लूँ। मुझे मोहब्बत सिखा कर, दिल है तोड़ दिया। किसी ने अपना बना कर, मुझे है छोड़ दिया। मैं किससे इश्क करूं,  किससे दिल्लगी कर लूँ। बहुत सी यादें मेरे, दिल को गुदगुदाती हैं, बहुत सी यादें मेरे, दिल बस दुखाती हैं, मैं किससे आस रखूं, किससे गुमशुदी कर लूं। तुम्हे तो बस खुद पर गुमान छाया है, मेरा है क्या, कोई अपना है ना साया है, मैं किससे दिल की कहूं, किससे बेरुखी कर लूं ।  ©vishvnath

ऑफिस-ऑफिस

छुट्टी के दिन आना है, बस हां में हां मिलाना है, सबकी हालत खराब कर गया, टार्गेट बढ़ता जाना है। कल का आया फ्रेशर देखो, कितने रंग दिखाता है, टीएल, एएम, पीएम, जीएम, कितनी तरक्की पाता है, वैसे भी कुछ करना नहीं बस, मक्खन खूब लगाना है, छुट्टी के दिन आना है, बस हां में हां मिलाना है, सबकी हालत खराब कर गया, टार्गेट बढ़ता जाना है। खूब महकती, खूब बहकती, मैडम एक बुलाई है, छमछम छमछम छमछम करती, लगता बॉस को भायी है, जब भी देखो छुट्टी करती, हमें उनका काम निपटाना है छुट्टी के दिन आना है, बस हां में हां मिलाना है, सबकी हालत खराब कर गया, टार्गेट बढ़ता जाना है। बस चमचो की चलती है और बस चमचो की बनती है, मैनेजमेंट में जब भी देखो, उनकी तूती बजती है, सारे सिंपल काम वो करते, मुश्किल हमें थमाना है, छुट्टी के दिन आना है, बस हां में हां मिलाना है, सबकी हालत खराब कर गया, टार्गेट बढ़ता जाना है।

शिकवा

तेरी हर आरज़ू, चाहत, तेरे अहसास से शिकवा। मेरे दिल में बसी तेरी, सुहानी याद से शिकवा। तुम्हारे खत भी रखते थे, अभी तक वो वही पर है। किया क्यों इश्क़ यूँ तुमसे, मुझे इस बात से शिकवा। मोहब्बत ही मोहबत थी, तुम्हारा साथ जब से था। मेरे अहसास में तुम थे, मेरा अहसास जब से था। मगर अब क्या करूँ तुमने, चली वो चाल कि दिल को, जमाने से मुझे है बस, मेरे जज्बात से शिकवा। तेरी हर आरज़ू, चाहत, तेरे अहसास से शिकवा। हाँ तेरी वो अदाएं, भोलापन वो दिल को था भाया। मैं सब कुछ भूल कर, तेरे भरोसे कहां चला आया। मगर अब कोई साथी न, कोई है रास्ता, मंजिल, किसी से क्या मुझे तो बस, मेरे विश्वास से शिकवा। तेरी हर आरज़ू, चाहत, तेरे अहसास से शिकवा। कोई भी कुछ कहे लेकिन, मुझे अब गम नही होता। तेरे यूं दूर जाने का, यकीन हमदम नही होता। मैं क्यों जिंदा, मैं क्यों तन्हा, मुझे कुछ तो बता ओ रब। मुझे तो खुद से है, और है, मेरे हालात से शिकवा। तेरी हर आरज़ू, चाहत, तेरे अहसास से शिकवा।

कोई सूरत जुदाई की

मेरे महबूब मुझसे अब, कोई सूरत जुदाई की, बना न लेना दुनियां के, किन्ही बहकावो में आकर। मेरे दिल की सभी हसरत, मैं तुझपर ही लुटा बैठा। तेरी बस चाह बाकि है, मैं दुनियां को भुला बैठा। ये कैसे हो गया कि तू, मुझे हर राह मिलती है। कि तेरी एक हंसी को मैं, तो हूँ दिल से लगा बैठा। मेरे हमराह अलग मुझसे, कोई मंजिल मोहब्बत की, बना न लेना दुनियां के, किन्ही बहकावो में आकर। वो तेरी जुल्फों का मुख पर, यूँ आ आ बिखर जाना। वो नाज़ुक अँगुलियों से फिर, तेरा जुल्फों को सुलझाना। यहाँ सब लोग कहते है, बहुत मगरूर तू है पर। मैं दिल को तेरी चाहत का, अजब सा रोग लगा बैठा। मेरा दिल तोड़कर यूँ ही, की राहें मोड़ कर के तुम, चल न देना दुनिया के, किन्हीं बहकावो में आकर। कोई हसरत न टूटे,  कोई अरमां न घायल हो। मोहब्बत जिस्म न चाहे, किसी की रूह पर कायल हो। कि जिसकी चाह सच्ची है, सुना वो बस उसी का है। तेरी वो एक हँसी पर मैं, मिटा तो सब मिटा बैठा।। समझना प्यार है नेमत, कही इस प्यार को मेरे मिटा न देना दुनियां के, किन्ही बहकावो में आकर।

चाँद निकला, छुप गया फिर से

तेरी जुल्फों का घना साया था, रात बाहों में जब तू आया था। चाँद निकला, छुप गया फिर से, तेरा चेहरा जो, नज़र आया था। लोग कहते है तू तो दुनियां पर, इन अदाओं से राज करती है, तू जो जगती है दिन निकलता है, झुकती पलकें ये शाम करती है, तेरी बाहों मैं, झूम कर सोता, ख्वाब ये बार बार आया था, चाँद निकला, छुप गया फिर से, तेरा चेहरा जो, नज़र आया था। जब भी आता हूँ सर झुकता हूँ, कैसे काबू मे दिल ये लाता हूँ। तू तो बस है सुहानी शामो सी, तेरी यादों मे दिन बिताता हूँ। तेरी आंखो डूब जाऊँ बस, दिल ने तूफां ये मचाया था चाँद निकला, छुप गया फिर से, तेरा चेहरा जो, नज़र आया था। मेरी आंखो मे डूब कर मुझसे, झूठा वादा कोई तो कर लेते। तेरी आंखों के बहके दरिया मे, उम्र भर हम यूँ ही फिर बह लेते। कुछ भी ऐसा हुआ नही, जीवन, प्यास से बस छटपटया था, चाँद निकला, छुप गया फिर से, तेरा चेहरा जो, नज़र आया था। विश्वनाथ 8447779510