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तुमने फूलों के कानों में क्या कह दिया

तुमने फूलों के कानों में क्या कह दिया, हर तरफ बाग में है, नशा ही नशा, इससे पहलेे भी आता था सावन मगर, आज तक बाग में ऐसा मौसम न था। ए मेरे दिल मुझे आज काबू न कर, मुझको न तू जमाने की रीतें बता, जिसकी बस एक झलक से, दीवाना हूं मै, ये जमाना उसे झेल पाएगा क्या। शायद होगी हसीनों से दुनियां भरी, मेरे दिल में मगर कोई ऐसा न था, इससे पहलेे भी आता था सावन मगर, आज तक बाग में ऐसा मौसम न था। उसने देखा मुझे देख कर हंस दिया, मेरे दिल को मोहब्बत का घर कर दिया, और जाने लगा दूर मुझसे फिर वो, पल में जीवन मेरा क्या से क्या कर दिया। अब क्या में कहूं और क्या न कहूं, मेरे तन मन पर मेरा कोई काबू न था इससे पहलेे भी आता था सावन मगर, आज तक बाग में ऐसा मौसम न था। आज मुझसे न कह इश्क़ की बात तू, आज मुझसे न कोई, बना सिलसिला, लेकिन ऐसा न हो, कल किसी मोड़ पर, तेरे दिल में रहे, इश्क़ का कोई गिला, मैं चला जाऊंगा, इस शहर से तेरे, इस शहर में मेरा कोई हमदम न था, इससे पहलेे भी आता था सावन मगर, आज तक बाग में ऐसा मौसम न था।