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Showing posts from March, 2020

तुमसे बेहतर

तुमसे बेहतर मुझको कोई,  आस भी हो, तो कैसे हो, बिना तुम्हारे दिल को कोई, प्यास भी हो, तो कैसे हो, कैसे हो कि तेरा मेरा,  मिलन जगत को भा जाए, तुम न हो और सारे जग का,  साथ भी हो, तो कैसे हो। गीत कोई मधुकर गाये तो,  मानो खिलने की तैयारी,  करके उपवन बाट जोहता,  कब पुष्पित हो फुलवारी। हर डाली है महक महक ज्यूँ,  प्रियतम को ही याद करे, आ भी जाओ, आ भी जाओ,  मृदुल, मधुर, मनुहार करे, बिना तुम्हारे इस जीवन की, शुरुआत भी हो, तो कैसे हो। तुम न हो और सारे जग का,  साथ भी हो, तो कैसे हो। तन्हा तन्हा, भोला भाला, खुशियों से अनजान था दिल, तुम न थे तो, तेरे बिना बस, कितना ये बेताब था दिल, जाम सभी फीके फीके से पीने में कुछ नशा न था तुमसे पहले शाम यही थी, दिल को कोई जंचा नही, बिना तुम्हारे, खुशियों की अब, बात भी हो, तो कैसे हो। तुम न हो और सारे जग का,  साथ भी हो, तो कैसे हो। दूर हटो कहकर कोई, कब हमको पास बुलाता था, रेशम सी बाहों में भरकर, कब हमको कोई सुलाता था, बिना कहे तुमने तो सारी, दुनिया की लीक पलट दी बस कुएं का प्यासे तक आना, तुमने रीत नई दी अब, बिना तुम्हारे प्रीत की नैया पार भी हो, तो कैसे हो। तुम न ह

तारों का मेला

मेहंदी लगाए, बिंदिया सजाए, हाथों में चूड़ी, कंगन, नज़रे झुकाए, घर में हुआ है मेरे तारों का मेला, आंगन में उतरी गोरी, घूंघट गिराए। तन का ये मंदिर, मन एक मूरत, जिसमे बसी है तेरी ही सूरत, आंगन ये  गोकुल, मन राधिका सा, कान्हा सी तुम और, मैं साधिका सा। मुझे एक बंसी सी, आवाज तो दो, जिसे गाये जीवन बस वो राग तो दो, मुझे कोई चाहत का अहसास न हो, मुझे बाद तेरे कोई प्यास न हो। हो सांसो की वीणा, हो अंगुली तुम्हारी, तेरा गीत धड़कन ये, गाए हमारी, मेरी प्यास समझो, ये अहसास समझो, मेरी आँख और मेरे अंदाज समझो। मुश्किल बहुत, तुमको ये सब बताना, सांसें तुम्हें तो चाहें, दिल में बसाना, मेरी आस, आहों की तुम ही सदा हो, तुम ही हो सजदा तुम ही खुदा हो। हाँ ये भी सच है तेरे लायक नही मैं, तूँ गीत वो है जिसका गायक नही मैं, मैं चाहता हूँ ये भी, कम कुछ कहाँ है, और बात है ये तेरी चाहत नही मैं। तुम ही कहो कैसे चाहत को अपनी, मैं रोक लूँ दिल की आहट को अपनी, तुम ही तो हो एक मंजिल हमारी, कैसे बिसराऊँ मैं इस राहत को अपनी। कैसे न तेरी ये यादों ने गाये, कैसे कहो मन, मेरा मान जाए। कैसे हो पूरे मन के सारे ये अरमान, देखो, जो देखे तु

मिलन की कहानी old

अपनी मोहब्बत की, है ये कहानी, पहली मिलन की वो संध्या सुहानी वो घूंघट मे तेरा, सुर्ख लाल चेहरा, शर्मो हया का था, हर ओर पहरा, वो घूंघट हटाकर, तुझे देखना बस, नजरो मे नजरे लिए बैठना बस, मोहबत मे तेरी मेरा डूब जाना, सांसों की गर्मी, तेरा पास आना,, लरजते हुए लब, तेरा हाथ थामे, दिल की बेताब धडकनो को सम्भाले, वो अह्सास पहला तुम्हारे लबो का, वो अंगुली का तेरी, छुअन से बहकना, उसी आवेश मे, दूर हटना तुम्हरा तेरा लडखडाना मेरा हडबड़ाना तुम्हारी कमर पकड़ लेना अदा सेते तेरा और मेरा कही खो जाना कहाँ से ये आई आवाज जगाने, मेरे ख्वाब का फिर से यूं ही टूट जाना। 

इन नैनो से

इन नैनो से नैन लगा कर, भूल ही जाऊं जग, कहता है, मन घायल इन दो नयनो से, तू पलको में हर पल रहता है रात, चांदनी, रजनीगंधा, दीप, पूर्णिमा, मावस भी तुम, इन जुल्फों का खेल है ये सब, जग को करती पागल भी तुम, तेरी एक मुस्कान पर प्रियसी, भूल ही जाऊं जग, कहता है, देख तुझे जग दीवाना होता, दोष मुझी पर एक रहता है। मन था पत्थर, पारस सी तुम, जीवन को चमकाने आये, शांत था ये मन, भावों के तुम, कई तूफान उठाने आये, मैं तो बस इस प्रेम में सब कुछ भूल ही जाऊं जग, कहता है, लूट लो मुझको, अपना कर लो, तुझमे ही तन मन रहता है। मयखाना भी शरमाता है, बहक बहक अक्सर जाता है, सबको कुछ भी होश कहाँ जब, जाम जाम से टकराता है, इन होठो पर होठ लगा कर, भूल ही जाऊं जग, कहता है, मन तो पागल है क्या सोचे, तू बस धड़कन में रहता है