प्रिया
जिसने जिन्दगी को,
अपने प्यार से सजाया,
इतना प्यार दिया,
जिन्दगी क्या ये सही से बताया,
घर सम्भाला, बच्चो को भी,
जो खुद चान्दनी है, बाग है,
जिसके आगे बहार खुद फीकी है।
जो सुंदर है, तो चांद है,
प्यार है, तो अपना सर्वस्व दे देती है।
वो सूरज है, जो जीवन को रोशनी देती है।
जो घर मे, प्यारे फूल खिलाती है।
जिसकी आंखे, गहरा सागर है।
जो पिया के लिये,
कामदेवी का रूप बन जाती है,
और वो सब देती है, जो इस संसार मे,
सबकी चाहत होती है।
उस सुन्दरतम "प्रिया" को क्या दूँ
कुछ तो ऐसा हो कि जो,
उसके दिये का एक छटांक भी हो।
बस इसलिये कुछ देने की,
हिम्मत ही नही होती कि,
कुछ कैसे दे दूँ, सिर्फ इतना सा,
फिर सोचा गुलाब दे देता हूँ,
लेकिन, उसके कोमल से,
अंगो के आगे तो गुलाब की,
कोमलता कुछ भी नही ना,
जीवन मे ये ही सोचते हुए
मुझे, कुछ मिलता ही नही ऐसा,
जो उसके काबिल हो,
बस एक वादा दे सकता हूँ,
कि मै उसका हूँ और उसके इस,
प्यार का ऋणी रहूंगा जन्मो तक,
लेकिन ये भी तो कुछ नही है ना।
मै हर साल प्रेम दिवस, जन्म दिवस,
शादी की सालगिरह पर
सोचता रह जाता हूँ कि,
अपने महबूबा को को क्या दूँ
जो उसके बेमोल प्रेम का,
उत्तर ना हो तो कुछ तो अंश हो।
लेकिन वो बेमोल प्रेम, क्या,
उसका कोई प्रतिदान इस दुनिया मे,
हो सकता है।
🤗हे neelu आभार तुम्हारा और तुम्हारे प्रेम का, जो संसार को गतिमान रखता है।🤗
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