भुला दूँ

भुला दूँ जब भी सोचा था,
तभी तब आ गये है वो।
आकर दिल की उलझन को,
जरा उलझा गये हैं वो।

समझ मे ये नही आता,
मोहब्बत है या धोखा है,
उनकी हर अदा लगती,
ठंडी हवा का झोखा है।
हंसा कर पल भर मे हमको,
फिर रूला गये हैं वो।
आकर दिल की उलझन को,
जरा उलझा गये हैं वो।

नज़र झुक जाती है उनकी,
नज़र मिल जाते ही ऐसे,
लगता है हमीं से है,
मोहब्बत उनको भी जैसे,
नज़र से बात कुछ ऐसी,
हमे समझा गये हैं वो।
आकर दिल की उलझन को,
जरा उलझा गये हैं वो।

बहुत सुन्दर है वो माना,
बहारों की है शहजादी,
सावन मे नज़र आती है,
वो मुझको प्यार से प्यारी,
इस दीवाने दिल को और,
दीवाना बना गये हैं वो।
आकर दिल की उलझन को,
जरा उलझा गये हैं वो।

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