ऐसा तो नही कि प्यार नही

ऐसा तो नही कि प्यार नही, पर हमसे छुपाया है उसने,
हमपर ये सितम ढाहते-ढाहते, खुद को भी सताया है उसने।

पहले ही मै दीवाना था, रातों को तारे गिनता था,
नजरों को झुका कर अपनी मुझे, पागल भी बनाया है उसने

उनसे कभी मिल पाऊँगा, ऐसे तो मेरे हालात नही,
अपने से जुदा कर के मुझे, खुद को भी जलाया है उसने।

हमसे कभी मिल जो गये, उनसे बस पूछेंगे हम,
क्यू नजरों से प्यार जता कर, हमको यूँ रुलाया उसने,

जो मेरी वफा पर यकीं ना था, पहले ही कह देते वो,
खुद हाथ छुड़ा अपना मुझे, वेवफा भी बताया है उसने।।

Comments

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं