तलाश
जिन्दगी मेरी खुद की तलाश बन गई,
एक चलती फिरती जिन्दा लाश बन गई।
उनकी याद मे ही हम, रात दिन रोते रहे,
अमावस की काली लम्बी रात हो गई।
हमने चाहा था उन्हे हम लगा लेंगे गले से,
यही चाहत मेरी जिन्दगी का शाप बन गई।
तेरी जुदाई मे हम तो मर जाते कभी के,
लौट आने की तेरी बात, दिवार बन गई।
शमशान सी खामोशी छायी है मेरे दर पर,
जल उठा मे, तेरी यादें चिराग बन गई।
मौत से चाहा अब तो बुला ले मुझको,
पर वो भी तेरी तरह बेवफा बन गई।
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