पत्रकार
संभल कर रख कदम, तेरा तो कर्म सत्य बताना है।
तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है।
नही हस्ती तेरी कोई, अगर तू झुक गया क्षण भर,
तुझे तो बस हिमालय बन, तूफानो को हराना है।
सत्ताये ये चाहेंगी तूं बस, गुणगान उन्हीं का कर,
तूं बस बिछ कर चरणो मे, जो ऐलान उन्हीं का कर,
नही तो तेरे हर पग पर, ये प्रतिबंध लगाएगी,
तू रुक जाये किस विधि, सब सैलाब उठायेंगी
पर तुझको इन सत्ताओ का, आइना बन जाना है
तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है।
सांठ गांठ करके बैठे जो, पूंजी-सत्ता-अपराध,
आसान नही हो जाये, खतम जो इनका राज,
लोकतंत्र को खेल बनाकर, खेल रहे ये खेल,
तू बस हर कोशिश कर हो, खतम जो इनका मेल,
जनता को बस इनका है जो, हर राज बताना है,
तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है।
एक बार उठा जो तू, घुटनो पर गिराने को,
सत्ता और धन एक हुए, तुझे खाक बनाने को,
तू सफल ना हो सत्य मे, हर जतन उठायेंगे,
जो कुछ ना हुआ हो सकता तुझको मार गिरायेंगे,
बन सच्चाई का सैनिक, कलम से लड़ते जाना है
तू है जम्मूरियत का पहरी, तेरा बस सत्य ठिकाना है।
नही हस्ती तेरी कोई, अगर तू झुक गया क्षण भर,
तुझे तो बस हिमालय बन, तूफानो को हराना है।
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