हमारी नींदें उड़ी हुई हैं
तुम्हारे लव ये क्या कह गये है, हमारी नींदें उड़ी हुई हैं
तुम्हारे नैनो की आशिकी से, जमाने मे जंग छिड़ी हुई है।
हमे बताओ जरा सनम ये, भला क्या जादू किया है तुमने।
बहार आई अभी नही पर, क्यू सारी कलियाँ खिली हुई हैं
तुम्हारी बिन्दीया, है चांद जैसे, बिखरी जुल्फों मे फँस गया सा,
निगाहें तिरछी कटार बनकर, मारने पर तुली हुई हैं।
करार उसको भला हो कैसे, जो तेरी गलियों में खो गया था,
छुपा लो चाहे हज़ार खुद को, वो मूरत दिल मे बसी हुई है।
मुझे दीवाना कहो तो लेकिन, घटा को फिर तुम क्या कहोगे,
दीवाना बन मय लुटा रहा है,और मय से नदियां भरी हुई है।
तुम्हारे लव ने जो छू लिया था, मुझे नही कुछ खयाल तब से,
मै बन गया हूँ शराब जैसा, नशे की चादर चढ़ी हुई है।
तुम्हारी खुशबू मे बहक कर, जमाना भी अब है नशे मे,
जाम खुद ही छलक रहे हैं, मधु की महफिल जमी हुई है।
कोई कहानी सुनाओ फिर से, तुम्हारे बाहों के दायरे की,
मुझे तुम्हरा ही है होना, ये दुनियां फिर क्यू अड़ी हुई है।
मुझे दीवाना ओ करने वाले, तेरी मोहब्बत मैं क्यू नही हूँ,
मुझे पिला दे, तू हाला साकी, मिलन की किसको पड़ी हुई है।
तुम्हारी चाहत कोई तो होगा, उसे मोहब्बत का ये ताज देना,
सारी खुशियां मुबारक तुमको, मुझे भी गम अब कोई नही है।
मुझे पता है की तुमको पाना, नसीब मे अब मेरे नही पर,
मैं प्यार तेरा भुला दूँ कैसे, कि सांसो मे तूं बसी हुई है।
सदा रहो आबाद सनम तुम, प्रगति के तुम गुल खिलाओ,
कभी जो आओ हमारे दर पर, मोहबत मेरी सजी हुई है।
बहुत ही लम्बी है रात बाकी, तुम्हारी बाहें भी तो नही हैं,
ए मौत तूं ही गले लगा जा, क्यू दूर मुझसे खडी हुई है।
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