सजा
कुछ बात तो है लेकिन तुमसे कह ना पायेंगे,
आंसुओं मे गम, मेरे ये बह ना पायेंगे।
क्या हुई खता, जो हमसे, क्यो है हो गई,
तुझको मेरे दोस्त हम ये, कह ना पायेंगे।।
मेरी खता को कभी, तुम माफ ना करना,
दोस्त मेरे तेरी वो माफी, सह न पायेंगे।
गिद्घ नही और ये नजरें किसी पर भी नही है,
कोई भी दामन हम कभी ना, नोच पायेंगे।
हुई खता, दिल से कोई, ये नही करता,
हर सजा हम लेकिन, हँस कर निभायेंगे।
तुम सोये नही रातों को, ये मेरी खता थी,
पर आंखों मे आंसू अब ना तेरी लाएँगे।
संभल कर चलो, है सही ये बात भी लेकिन,
जब भी गिरोगे, हम तुम्हारे साथ आयेंगे।
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