अंधभक्त

किसी को क्यू लगता है की जैसा आप सोचेंगे वैसा सब सोचे।किसी को अपनी कुछ राय है मेरी कुछ और। किसी को अगर लगता है मैने गलत लिखा तो मुझे गलत ठहराने की वजाय आप अपना सही लिखिए। अपको पसंद नही आता कुछ, तो शुक्रिया। आप मेरे शब्दो की गलतियां बताईये, भाषा अमर्यादित है तो बताईये, लेकिन आप मेरे भावो को गलत नही कह सकते। मेरी भवना है और उसके प्रगाटिकरन मे कुछ गलती हो सकती है वो सुधार किया जायेगा। लेकिन मे आपनी बात ना लिखूं या क्या लिखू ये मेरा हक है। आप सरकार के बारे मे अच्छा लिखिए ना। मैने कब रोका मुझे पसंद नही होगा तो मै भी टिप्पणी दे दूंगा लेकिन ये नही कहूंगा की पिछ्ले वाले से क्यू नही पुछा।
मेरे हिसाब से मेरी राय अपको पसंद नही तो मुझे फर्क नही पड़ता। जनता और मीडिया को सवाल करने चाहिये, क्युकी जो किया वो अहसान नही था मोदी जी का वो उसकी सेलरी लेते है। और जिसने नही किया उसको 44सीट दी थी। और अगर ये भी नही करेंगे तो इनको भी वही पटक देंगे। PM चुना है भगवान नही जो सवाल ना पूछूं। किसी को डर लगता है तो आप डरिये मुझे ना डारने की जरुरत नही। जनता की दाल नही गल रही और अमीरो की,नेताओ की गल रही है। वादा था जनता के अच्छे दिन आयेंगे,  उसकी दाल गलेगी। किसी नीरव मोदी,  या किसी अमित सह के बेटे  की नही। लेकिन रहने दीजिये। किसान जो अतम्हात्या करता है काश उसको हम अपना समझ पाते तो पता चलता की सरकारें चाहे कोई भी हो उनका क्या रवैया है हमारे अन्न दाताओं के प्रति  लेकिन अगर किसी को भक्ति करने का शौक है तो कृपया मुझे ना सिखाए, खुद करे।
लेकिन मुझे जो मेरी मर्जी लिखने दीजिये आपकी पसंद मेरे लिये मायने नही रखती। मायने रखता है ये की मेरा दिल क्या कहता है। मुझे भगवान की जाति बताने वालो से सवाल करने है तो करने है।किसी बुरा लगा हो तो माफी। लेकिन कोई वो चाहे कोई नेता हो PM खुद हो या कोई और, मेरे बोलने या लिखने के अधिकर को चुनैती नही दे सकता। ये सविधनीक अधिकर है और सविधान द्वारा रक्षित है। और कोई भी,कोई भी इससे उप्पर नही। अपके विचार रखने की आपकी अजादी का सम्मान करते हुए अपको नमन
और हाँ सेना का नाम लेकर या भारत माँ का नाम लेकर,रजनिति ना कीजिये। वो एक सैनिक याद है ना जी जिन्को दाल मे पानी मिल रहा था और, बताने राजनाथ जी ने सेना मे स्मार्ट फ़ोन ही बैन कर दिया। उसका क्या हुआ, सुना कोर्ट मार्शल हुआ। ये राजनीतिक बहस का मंच नही।  और हमने मनमोहन जी को भी सबकुछ लिखा है। और हमारी आदत नही ना की हर बात मे नेहरु को घुसा दे। कोई ये भी पुछ सकता है कि नेहरु को कोई पत्र क्यू नही लिखा तो अपको प्रणाम है। धन्यवाद ।

और हार्दिक क्षमा किसी को बुरा लगे तो। वैसे बुरा लगा तो समझ लिजिये तीर निशाने पर लगा है। और किसी सरकार का चरणामृत पीने वाले कृपया हमको ना पिलाने की कोशिश करें।


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