नज़रें
तेरी नज़रें ये खेलती है, मेरे दिल से,
मुझसे मिलती ही, शरमा के झुक जाती हैं,
मैं जो देखूं तो ये देखतीं हैं औरों को,
जो न देखूं तो मुझे देखने लगे जाती हैं।
न तो वादा है, न कसमे, न बंधन है कोई,
प्यार ये तेरा मेरा कैसा है न जाने सनम,
तू जो खुश है, तो मैं भी बहुत खुश हूं यूं ही,
चैन ये दिल को मेरे कैसा है, न जाने सनम,
तुम जो ख्वाबो में भी मिलती हो, मिलते ही मगर,
क्यों तेरी नज़रें शरमा कर के झुक जाती हैं।
तेरी नज़रें ये खेलती है, मेरे दिल से।
मार्च, 1997
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