हौसला

सब वक़्त के हाथों बस,
हैं कठपुतली ये माना,
तुम साथ तो चलते मेरे,
थे शूल बहुत ये जाना,

दो पल की अँधेरी आई,
हम भटक गए लेकिन तुम,
ये हाथ पकड़ ले जाते,
जो राह सही, जहां जाना।

टूटा है थपेड़ो से तन,
लड़ता है, रो रो कर मन,
था उस पल तुमने छोड़ा
जब दुश्मन था ये जामाना।

मुझको कोई रोष नही है,
तेरा भी दोष नही है,
हम ही नादान न समझे,
क्या अपना है क्या बेगाना।

माना कि देर लगेगी,
बरसो अंधेर लगेगी,
सीख जो तुमने दी है,
उसको नही भुलाना।

हूँ तन्हा पर चलना है,
न मंजिल से टलना है,
पा कर रहना है एक दिन,
जो कुछ चाहा था पाना।

21 जून, 2019

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