यादें

जिसकी चाह में ये दिल, जार जार रोया है,
वो मुझे मिला तो पर, बार बार खोया है।

ये भी तो कयामत कि, बिछड़ के भी जिंदा हैं,
जिसकी याद में तकिया, बार बार धोया है।

कुछ खता हमारी भी, थी कि तुम नही मेरे,
वो ही पाया है मैंने, पहले जो भी बोया है।

इश्क़ में तुम्हारे दिल, भूल बैठा था रब को,
क्या गिला खुदा भी जो, भूल कर के सोया है।

और कुछ नही होती, तेरे बाद हसरत भी,
तुझसे दिल लगाकर जो भी था सब खोया है।

आज भी मेरे दिल के, शौक तुम ही हो लेकिन,
खेल कर के खतरों से, दिल बहुत ही रोया है।

आंधियों सी चलती है, दिल मे आज तक मेरे,
तूने जख्म दिया था जो, आंसुओ से धोया है

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