पहला प्यार (e)
तुझको शरमाते देखा नही था कभी
आज तक फिर भला आज क्या हो गया,
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
आज तक फिर भला आज क्या हो गया,
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
पहले भी आती जाती थीं, गलियो से तुम,
ये नज़र इस तरह तो लजाती ना थी,
धडकने बढ़ गई, साँस भी चढ़ गई,
क्या हुआ तुम तो कुछ भी छुपाती ना थी,
क्या हुआ ये कहो, गम ना तन्हा सहो,
रोग कैसा तुम्हे ये नया हो गया।
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
ये नज़र इस तरह तो लजाती ना थी,
धडकने बढ़ गई, साँस भी चढ़ गई,
क्या हुआ तुम तो कुछ भी छुपाती ना थी,
क्या हुआ ये कहो, गम ना तन्हा सहो,
रोग कैसा तुम्हे ये नया हो गया।
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
रोज आते थे तुम, छत पर पहरो मगर,
आज लाली सी चहरे पर छायी है क्यूँ?
जैसे सोये नही, तुम कई रात से,
आंख मे नींद तेरे ये छायी है क्यूँ?
लग रहा है मुझे, है ये रंग इश्क़ का,
कौन दिल का तेरे है, खुदा हो गया?
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
आज लाली सी चहरे पर छायी है क्यूँ?
जैसे सोये नही, तुम कई रात से,
आंख मे नींद तेरे ये छायी है क्यूँ?
लग रहा है मुझे, है ये रंग इश्क़ का,
कौन दिल का तेरे है, खुदा हो गया?
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
आज मौसम भी बेवक़्त बदलने लगा,
और कदम भी तुम्हारे बहकने लगे,
ओ सखी तुम सम्भालो ये दामन तेरा,
दुनियां वाले भी अब तो हैं हँसने लगे।
कौन साजन तेरा मुझसे सब दे तू कह,
कब से पर्दा ये हममे नया हो गया।
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
ebook publish अभिव्यक्ति सांझा काव्य संग्रह
और कदम भी तुम्हारे बहकने लगे,
ओ सखी तुम सम्भालो ये दामन तेरा,
दुनियां वाले भी अब तो हैं हँसने लगे।
कौन साजन तेरा मुझसे सब दे तू कह,
कब से पर्दा ये हममे नया हो गया।
झुकती नजरों से जग है, बहकने लगा,
आज किस्सा ये कैसा नया हो गया।
ebook publish अभिव्यक्ति सांझा काव्य संग्रह
Comments
Post a Comment