अपराध

बड़े दिनो बाद आज पत्नी जी को अपने मायके जाने का मौका मिला। सच मे कोई कितना भी माजाक करे लेकिन एक महिला का प्रेम और त्याग की कोई तुलना संसार मे हो ही नही सकती। अपने घर को छोड़ कर नये घर मे आना और एक अजनबी घर को अपना घर संसार बना लेना। ये सिर्फ एक नारी के द्वारा ही सम्भव है।

चलिये अपनी कहानी पर चलते हैं। पत्नी जी के मायके चले जाने के बाद आज पवन ने बहुत जिद्द की कि आज मेरे साथ ही चलिये, भाभी जी है नही, कल छुट्टी भी है तो आराम कीजियेगा, कहाँ खाना पीना बनायेंगे। पवन ने बार बार जिद करते हुए कहा।

काफी मना किया लेकिन पवन के आग्रह को टाल नही पाया। फिर साथ चला ही गया, घर जाकर काम करना, खाना बनाना सब करने की हिम्मत तो हो भी जाती लेकिन पत्नी और बच्चो के बिना घर भी तो खाने को आयेगा कैसे वक़्त गुजरेगा ये सोच कर पवन के घर जाने का फैसला किया।

वैसे पवन रहता तो शहर मे ही था लेकिन थोड़ा बहरी इलाका था। वहा पहुंच कर लगा ही नही की ये शहर से बाहर का इलाका था। बाज़ार मे काफी भीड़ थी। वही एक सब्जी वाले के पास एक गाय आकर सब्जी खाने लगी। जैसा की अमूमन होता है उसने अपनी सब्जी को बचाने के लिये गाय को ड़ंडे से भागा दिया। तभी वहाँ चार लोग जो दो बाईक पर थे आ गये और लड़ने लगे। मै दूर से देख रहा था जिज्ञासा पुर्वक वहाँ गया कि देखें तो क्या हुआ।

पहला :  अरे तुने गाय को क्यू मारा। तू साला माता को मार रहा है। घर मे मां को भी ऐसे ही मारता होगा।

दुसरा: साला ये हिन्दू है ही नही तभी गाय को मार रहा था।

तीसरा: शक्ल से तो हिन्दू लगता है क्या नाम है रे तेरा बता नही तो अभी तेरा क्रिया कर्म खतम कर देते है तेरा।

दिवाकर शुक्ला नाम है हमार। भैया हम नही मारे है, बस ड़ंडे से हटा दिये सब्जी खा रही थी। सब्जी वाले ने बोला।

पहला: तो साला घर मे मां को भी ऐसे मारता है क्या। नाम से तो पंडित लगता है। सच मे ये ही नाम या ऐसे ही बोला रहा है।

नही भैया हम बस भगा रहे थे। हम मारे नही है।

चौथा:  ये साला हिन्दुद्रोही, देशद्रोही है इसको सबक सिखाना पड़ेगा ताकि दुनिया जान ले कि गाय का अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान। और जेब से पिस्तौल निकाल कर हवा मे लहराया।

नही भाई जी माफ कर दो।

पहला :  देश द्रोही गाय को मरता है अब पता चलेगा तेरे जैसो को। और सारी सब्जी का ठेला पलट दिया।

तीसरा: हाँ भाई जी सबक सिखाना पड़ेगा इन ह... को। हिन्दू के नाम पर धब्बा है।

भाई जी बस सब्जी बचाए रहे थे। माफ कर दो भाई जी। हमरे बच्चे है बीवी है। सब्जी गाय खा जाती तो वो क्या खाते बस ये ही सोच कर हटाय रहे भाई जी।

दुसरा: बीबी को भी बुला ले, मस्त होगी तो हम है ना उसका हर तरह से खयाल रखेंगे तेरे से अच्छी तरह। तू उसकी नही अपनी सोच।

चारो जोर से हँसे।

भीड मे भी कुछ लोग कह रहे थे गाय माता होती हसी उसको मारा तो ये होना ही चाहिये। ये है ही गद्दार। ऐसो को जीने का हक़ नही। आ जाते है जाहिल।

मैने पीछे से 100 नंबर पर फोन कर दिया और दुआ कर रहा था की पुलिस जल्दी आ जाये कही लेट हो गया तो क्या होगा उस गरीब का। 100मीटर पर थाना था और पुलिस 15 मिनट बाद आई।

पुलिस देखते ही सभी लोग भाग गये। और सब्जी वाला बैठा हुआ रो रहा था और सब्जी समेट रहा था।

क्या हुआ रे यहाँ पुलिस वाले ने आकर पूछा।

माई बाप, कह्ते हुए उसने सारी बात पुलिस को बता दी।

चल उठा ले सब्जी। और गाय को मत मारा कर। कुछ हो गया तो हमारा नाम होगा पुलिस कुछ नही करती। कोई नही देखेगा की क्या हुआ। देश बदल रहा है। कुछ भी हो जाये गाय को मत मारियो।

और फ़ोन किसने किया था।

मैने,

और हाँ भाई इन चक्कर मे ना पड़ा कर मर जायेगा कभी।

लेकिन सर आप उनको पकडो ना। पिस्तौल लेकर घूम रहे है किसी को मार दिया या कोई घायल हो गया तो। मैने कहा।

तू अपने काम से काम रख। ये साला गाय को मार रहा था तो क्या इसको ले जाऊँ थाने।

सर वो मार नही रहा था अपनी सब्जी बचा रहा था।ललेकिन पिस्तौल ऐसे दिखाना अपराध है ना।

अच्छा अपराध है। मुझे सिखाएगा। चल तुझे ही ले चलता हूँ। पुलिस के काम मे रुकावट डाल रहा है। ऐसा केस करुँगा भूल जायेगा अपराध क्या होता है।

सर पागल है ये मै समझाता हूँ इसको आप माफ कर दो सर इसको। पीछे से पवन ने आकर कहा।

चल। उल्टे काम ना किया कर। पवन ने मुझे कहा।

मै जाते हुए सोच रहा था, क्या इन्सान अब इन्सान होने का हक़ खोता जा रहा है। क्या सच मे अपनी सब्जी को बचाने के लिये गाय को हटाना सच मे देशद्रोह है। क्या है ये मानवता का रूप। गाय को भगाना पाप और किसी मार देना, किसी की पत्नी के बारे इतना गलत बोलना हिन्दू धर्म के हिसाब से सही। क्या किसी के बारे मे ऐसा बोलने की इजाजत किसी भी धर्म मे है? और इतने लोग किसी की हिम्मत नही हुई कि कुछ बोले। लेकिन मै भी कहाँ बोल पाया। आगे जाते हुए देखा की कुछ गाये कुड़ा और उसमे से पोलीथिन खा रही थीं और कोई भी उसको हटाने के लिये नही था मैने आवाज की तो गायें वहा से आगे चल दीं। क्या ये सब दिखावा था? चलो कोई नही उसकी जान तो बच गई। लेकिन क्या सच मे ये ही मानव धर्म है?

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