महिला दिवस

आज उठे सुबह, तो हर ओर,
एक ही रौनक छायी थी,
व्हाटसप, डूड़ल, फेसबुक पर,
महिला दिवस की बधाई थी,
नई नई ये रीत चली है, या,
बदलाब की नई अंगराई थी?
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी।

पीएम, सीएम, राष्ट्रपति की,
सबको चिट्ठी आई थी,
और उसी पन्ने पर एक खबर,
बलत्कार की आई थी,
इन्ही नेताओ के चमचो ने,
देश की इज्जत बढाई थी।
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी,

आज ही कितनी बेटियों ने,
कोख मे जान गवाई होगी,
और कितनी ही दुल्हनो को
दहेज ने आग लगाई होगी,
लड़के लड़की का भेद मिटा क्या,
कसम जो पहले उठाई थी
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी,

हर और जिधर भी देखो,
महिला दिवस का साया है,
सेल लगी है बस्ती बस्ती,
त्योहार नया ये बनाया है,
होगा कुछ क्या भला किसी का,
इतनी जो रौनक छायी थी?
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी,

मुझको लगता सेफ्टी वाल्व है,
महिला दिवस मनाओ बस
पूरे साल दबा कर रखो,
एक दिन उनका जताओ बस,
आज करो सब खाना पूर्ति,
कल फिर लात लगाई थी,
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी,

पुरुषो की नजरों मे औरत ने,
इतनी ही इज्जत कमाई है,
सफल अगर कोई महिला है वो,
रूप रंग की कमाई है,
क्या झांसी की रानी ने भी,
काजल लिपस्टिक लगाई थी?
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी,

कुछ बदला है बहुत अभी तो,
सोच को अपनी बदलना होगा,
महिला कम नही पुरुषों से,
दिल से ये ही समझना होगा,
दोनो को पूरक बनाने से ही,
प्रकृति ने ली अंगराई थी।
अखबार मैगजीन, और टीवी पर,
सबने दी ये बधाई थी,

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