खौफ का नाम डोडेन (doden) अंतिम भाग 4


अभी तक अपने पढ़ा कि एक लैब में एक खतरनाक वायरस पर काम चल रहा है। उनके वायरस बनाने की तकनीक और उस वायरस के इस्तेमाल के लिए खुफिया मीटिंग चल रही है। हैपिंग आगे बताता है की अगर दुनिया ये मानने लगेगी की ये वायरस हमने फैलाया तो उससे बचने के लिए एक प्लान है जिसका क्रियान्वयन वक़्त के हिसाब से निश्चित होगा अब आगे देखते है कि क्या हुआ। तो आइए दोस्तों चलते है उसी मीटिंग में....

इस प्लान के तहत हम अपने कुछ छोटे शहरों में जिनमे आबादी की उम्र औसतन ज्यादा होगी में ये वायरस फैला देंगे। चूंकि इन शहरों में वैक्सीन यही लगी होगी इसलिए यहां वायरस ज्यादा तेज़ी से फैलेगा। इन शहरों का चुनाव इस वजह से किया जाएगा क्योंकि वहां की आबादी जल्दी ही नॉन प्रोडक्टिव आबादी में बदलेगी, ये आर्थिक सामाजिक किसी भी लिहाज से देश के लिए अच्छा नही है। ये सभी शहर विदेशी मीडिया के लिए खोल दिये जायेंगे ताकि वो भी यहां आकर अपनी आंखों से यहां के हालात देख लें। हमारी वैक्सीन और दवाई जो कि तैयार रहेगी से हम जितना हो सकेगा लोगों को बचाएंगे। लेकिन हमारा ये प्रयास रहेगा कि 
हालात ऐसे हो जाये कि कोई भी हम पर अंगुली उठाने की बजाए हमसी सहानुभूति करने लगेगा। इन इलाकों में मरने वाले ज्यादातर ज्यादा उम्र के होंगे तो लोगों में स्वाभाविक रूप से सहानुभूति आएगी ही आएगी। हैपिंग के खतरनाक 
इरादे इरादे किसी भी इंसान के रौंगटे खड़े कर देने के लिए काफी थे लेकिन उस मीटिंग में शायद ही कोई इंसान बैठा था। जो थे सभी मानव के रूप में दानव थे।

आप सभी के सामने एक एक फाइल रखी है उसमे सभी निर्देश दिए गए है। आप सभी को आज से यहीं कुछ महीनों या साल तक रहना है। आप सब की फैमली भी यहां कल तक पहुंचा दी जाएगी। सबको ये बात याद रखनी है कि ये मीटिंग या इस मीटिंग से जुड़ी कोई बात कहीं बाहर नही जानी चाहिए। आप सब की फैमिली इस बात की गारन्टी होगी कि कोई भी ये बात बाहर पहुंचाने का प्रयास न करे। ये खबर बाहर आ जाने के बाद ये नही देखा जाएगा कि गलती किसकी है। वायरस यहां पर सबमें फैला दिया जाएगा और कोई वैक्सीन या दवाई नही दी जाएगी। यानी खबर बाहर जाने पर आप सबकी परिवार सहित मौत निश्चित है। इसलिए कोई ज्यादा समझदार न बने तो ही अच्छा है। आप सब का भविष्य आपके इंतज़ार में खड़ा है बाकी आप सब सोच कर फैसला लें कि वो उज्जवल है या अंधकारमय। ये कहकर हैपिंग बाहर चला जाता है और डॉ चिंग अपनी प्रयोगशाला में पहुंच जाते है।

डॉ चिंग और उनकी टीम पूरे जोर-शोर से अपने काम में लगी थी उन्होंने ऐसा वायरस बना लिया था जो आज से पहले दुनिया में नहीं था। इसलिये उसके लिए वैक्सीन बनाने का काम उतना ही कठिन था। इस वायरस का फैलाव बहुत तेजी से होता था इसलिए प्लान के क्रियान्वित होने से पहले इस वैक्सीन का बन जाना और उसके सारे टेस्टिंग हो जाना बहुत ही जरूरी था उनका अपना अनुमान था किस वायरस के कारण मृत्यु दर 6 से लेकर 15 पर्सेंट के बीच होगी जो भौगोलिक स्थिति लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता इत्यादि पर निर्भर होगी। इस वायरस का असर भौगोलिक स्थिति, रहन सहन, पर बहुत ज्यादा निर्भर करेगा। उन्होंने प्लान के मुताबिक वैक्सीन तैयार करने की समयसीमा में ही वैक्सीन तैयार कर ली थी और उसके मानव पर ट्रायल चल रहे थे जिसका रिजल्ट जल्दी ही आने वाला था।

उधर हैपिंग की टीम दुनिया भर में बनाई नई कंपनियों के लोगों से बात करके उनको सारा प्लान समझा रहा था। सरकारी स्तर पर बहुत सी यात्राएं हो रही थी। विभिन्न देशों से हज़ारो लाखो करोड़ के बिजनेस डील की जा रही थीं।ताकि जब शेयर बाजार के गिरने लगे तो पैसे प्लान से लगाए जाएं जिससे सब कुछ नार्मल लगे। कब और कितना पैसा लगाकर किन किन कंपनियों पर अपना आधिपत्य बढ़ाना है, पूरी टीम इसी काम में लगी थी कि जितना हो सके उतना ज्यादा से ज्यादा शेयर लगाकर देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है। इसी प्रयास में हजारों करोड़ रुपए और उनका सामान पहले ही विदेशों में पहुंचा दिया गया था ताकि समय आने पर और ज्यादा जरूरत होने पर उनको ऊंचे दामों में बेचा जा सके। इधर समय बीत रहा था डॉक्टर चिन की टीम ने जो वैक्सीन बनाई थी उसका इंसानों पर टेस्ट ट्रायल सफल रहा था। और उसके इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी गई।

तय समय के अनुसार नवंबर में वैक्सीन देनी भी शुरू कर दी गई। लोगों को बोला गया कि ये होने वाली यह सामान्य खांसी बुखार से बचने के लिए दी जाने वाली वैक्सीन है। नवंबर का अंत आते-आते बड़ी मात्रा बड़ी मात्रा में लोगों को वैक्सीन लगा दी गई। अब जल्दी ही वो समय आने वाला था जो वायरस के फैलाने के लिए तय किया गया था। वायरस फैलाने के कुछ आसान तरीके चुने गए। कुछ जगहों पर और खासकर ऐसी जगहों पर जहां विदेशी लोग ज्यादा जाते हैं पर यह वायरस छोड़ दिया गया। कुछ वस्तुओं पर यह वायरस कुछ दिनों तक रह सकता था जिसके बाद वह संक्रमित होकर धीरे-धीरे अन्य लोगों को भी संक्रमित करने लगा।

इसका असर जल्दी ही शुरू हुआ वायरस फैलाने के कुछ ही दिन बाद पहला मरीज हॉस्पिटल पहुंचा। हॉस्पिटल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसका सामान्य इलाज करने की कोशिश की, लेकिन उससे वह सही नहीं हुआ। उसके टेस्ट करवाए गए जिसमें नए वायरस का पता चला लेकिन वह अभी तक अज्ञात वायरस की श्रेणी में था। इसकी वजह से उसकी बीमारी और इलाज के बारे में किसी को कुछ नहीं पता था। हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सरकार को खत लिख कर बता दिया कि एक नई तरीके का वायरस आ गया है। जिसके लिए रिसर्च की जरूरत है। नई मेडिकल दवाइयों को भी टेस्ट करने की अनुमति मांगी गई। जिससे कि इसका इलाज जल्दी से जल्दी पता चल सके। सरकार को यह खत लिखने के बाद डॉक्टर सेम अपने हित का कार्य में लगे रहे। उन्हें अपने घर जाकर अपनी पत्नी को भी इस बारे में बताया जो की स्वयं डॉक्टर थीं। 

अगले ही दिन कुछ सरकारी विभाग के अफसर उनके घर पहुंच गए और डॉक्टर सेम से पूछताछ करने लगे। तुम यह बताओ तुम्हें कैसे पता चला यह नया वायरस है? अफसर ने पूछा। कहीं तुमने ही तो इसको नहीं फैलाया?

टेस्ट रिपोर्ट में नए वायरस की पुष्टि हुई है और इस वायरस का कोई विवरण आज तक उपलब्ध नही है। इसका कोई इलाज भी नहीं है। अभी तक हमें नहीं पता यह कैसे फैला है, और इसकी रिसर्च की बहुत ज्यादा जरूरत है। जिसके लिए मैंने सरकार को लिखा था।

हम यह क्यों मान ले कि आप सही कह रहे हो हो। सकता है लोगों को गुमराह करने के लिए आप यह सब कह रहे हो जिससे कि आपका नाम हो।

आप अपने डॉक्टर या डॉक्टरों की टीम से इसकी जांच करवाइए। आपको पता चल जाएगा कि रिपोर्ट सही है या नहीं।

तुम हमें हमारा काम सिखाओगे कि हमें क्या करना है। हमे जो करना है, वो हम कर रहे हैं। इसलिए आराम से बैठो और आज से तुम्हारा और तुम्हारी फैमिली में से किसी का इस कम घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित है। जब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक तुम और तुम्हारा परिवार हमारी कैद में हो।

लेकिन सर... डॉ सैम कुछ बोलते इससे पहले ही अधिकारी उठकर चला गया।

एक अन्य टीम को ये रिपोर्ट भेजी गई। जिन्होंने इस वायरस की होने को मानने से इंकार कर दिया। उनका कहना था यह साधारण बीमारी है और उस व्यक्ति को उस बीमारी के साथ अन्य बीमारियां थी जिसकी वजह से उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। इसी बीच उस व्यक्ति की जो पहली बार इनफेक्टेड होकर हॉस्पिटल आया था, की मृत्यु हो जाती है।लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया जाता है और मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।

इधर इस नई और अजीब बीमारी के लक्षणों वाले लोगों का हॉस्पिटल आना शुरू आ जाता है। इधर डॉ सेम भी इस वायरस का शिकार हो जाते हैं, लेकिन उनको घर में ही कैद कर दिया जाता है। बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाती यहां तक कि हॉस्पिटल भी नही जाने दिया जाता। धीरे-धीरे उनकी पत्नी को भी ये वायरस के लक्षण आने लगते है। डॉ खुद और परिवार के इलाज का बहुत प्रयास करते है, अफसर और सरकार उनको कहीं बाहर निकलने से अनुमति नहीं देती। उनकी हालत खराब होती जाती है। और धीरे-धीरे यह वायरस उनकी पत्नी उनकी बेटी को भी अपनी चपेट में ले लेता है। तीनों बिना दवाई बिना इलाज के मौत का शिकार हो जाते हैं। ये बात बाहर न फैले इसलिए ये खबर दबा दी जाती है सरकार भी चुपके से उन सब का अंतिम संस्कार कर देती है।

काफी कम समय में यह बीमारी शहर में बहुत बड़ी मात्रा में फैल जाती है। डॉ कोई इलाज नही कर पा रहे थे, क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं हो पा रहा था। सभी लोगों के टेस्ट किए गए तो सभी में एक नए वायरस का विवरण था और देखते ही देखते हजारों लोग इसका शिकार होना शुरू हो गए।  वैसे भी इस वायरस का प्रभाव ज्यादा नहीं रहा क्योंकि वैक्सीन लगने के कारण लोगों के शरीर मे इस वायरस के प्रति प्रतिरक्षा सिस्टम बन गया था। ऐसी बहुत सी खबरें फैलाई गई कि ये नॉनवेज खाने से होता है। जिसकी वजह से विदेशों के सभी देशों में अचानक नॉनवेज की मांग एकदम से घट गई। और लाखों लोगों का बिजनेस और रोजगार एकदम से बंद हो गया। ये तो बस एक शुरुआत थी, अभी तो वो सब होना था जिसकी आधुनिक समाज मे किसी ने कल्पना ही नही की थी।

शुरू में सरकार ने इस वायरस के बारे में ज्यादा पता नहीं लगने दिया। सभी को निर्देश थे की वायरस की खबर बिना सरकारी अनुमति के नही दिखाए जा सकते, और खबर में ऐसी बाते बताई जा रही थी जिससे इसके संक्रमण के बारे में लोगों में आशंका बनी रहे। जिससे विदेशों से आये लोग जब अपने देश में जाएं तो वहां की सरकारें उनको बेरोकटोक आने दें। नही तो प्लान बहुत मुश्किल में पड़ जाता। जब ये  विदेशी अपने देशों को वापस गए उन्होंने इस बीमारी को बहुत बड़ी मात्रा में अपने देशों में फैला दिया। जिसका किसी को नहीं मालूम था। वो अनजाने में ही इस वायरस के वाहक बन गए। अब प्लान के मुताबिक सरकार ने और मीडिया ने इसे बहुत बुरी ज्यादा प्रभावित करने वाला बता कर खबरे चलानी शुरू कर दी। जनवरी के अंत में सिर्फ 10 हज़ार लोग इसके शिकार थे वही मार्च आते आते दो लाख लोग इस बीमारी से संक्रमित हो गए। उनके आंकड़ों के हिसाब से हजारों लोग इसमें मारे गए और लाखों लोगों को यह वायरस हो गया था। पूरी दुनिया में यह खबर जोर शोर से फैलाई गई एक नया वायरस आया है, लेकिन उसके फैलने का तरीका क्या है वो कैसे संक्रमित करता है इसके बारे में किसी को ज्यादा नही पता था। पूरी दुनिया की सरकारें रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाने लगी हर जगह लोगों के संक्रमण और मृत्यु का आंकड़ा बढ़ता जा रहा था जितनी उम्मीद थी उससे कहीं तेजी से यह वायरस फैला 

चीन के लोगों ने लोगों ने आप अपने को बचाने के लिए ने पूरी दुनिया को पूरी तरह से बंद कर दिया जो जहां था वहीं फंस गया। बाहर से आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन जो लोग आ गए थे उनके साथ यह वायरस बहुत बड़ी मात्रा में चला विश्व भर में जा चुका था। देखते ही देखते कुछ ही दिनों में पूरा विश्व इसकी चपेट में आ गया। जब तक पूरा विश्व इस बात को समझ पाया कि ये संक्रमण इंसान से इंसान को होता है, बहुत देर हो गई थी। लेकिन देर बीच बाबजूद इसके संक्रमण को रखने के लिए सारे कल कारखाने, फैक्ट्रियां बंद कर दी गई। विश्व एक तरह से रुक सा गया। विश्व अर्थव्यवस्था बन्द होने के कगार पर आ गई। इसका भयंकर असर शेयर बाजार पर पड़ा। उनमे भयानक गिरावट आई। लेकिन इससे पहले ही जैसा तय था, सारे शेयर एक झटके में बेच दिए गए। ये किसी जलजले से कम नही था। और बाज़ार इस झटके को सह नही पाया और सागर की अनंत गहराइयों में डूबता चला गया। और हैपिंग के प्लान के अनुसार  कंपनियों ने शेयरों को कौड़ियों के भाव पर वापस खरीदना शुरू किया और पूरे विश्व पर की अर्थव्यवस्था पर अपना नियंत्रण करने लग गया। 

वहां पर जो बीमारी के आंकड़े दिए जा रहे थे वह सरकार के अनुसार दिए जा रहे थे। आंकड़ो में हज़ारों लाखों लोग मारे गए जबकि वहां ये वायरस इतना ज्यादा नहीं फैला था। देश में सिर्फ 300 लोग मारे गए थे लेकिन खबरों में इसको 40000 बताया गया। जिससे कि पूरी दुनिया को लगा कि ये प्राकृतिक आपदा ने सबसे पहले उसी देश को प्रभावित किया है। जब पूरी दुनिया बन्द हो गई थी तभी हैपिंग ने अपने देश में घोषणा करवा दी कि उनका देश वायरस से मुक्त हो गया है। उन्होंने घोषणा की कि वो अपने कल कारखाने खोल कुछ ही दिन में खोल देगा। लेकिन एकदम से लाखों लोग वायरस से कैसे ठीक हो गए इसको लेकर विश्व के सभी लोग अचंभित थे। लेकिन इससे पहले उन्होंने धीरे-धीरे इनफेक्टेड लोगों की ठीक होने की खबरें फैलानी पहले ही शुरू की, और नए केस आना कम करते गए और एक स्थिति पर उन्होंने यह बता दिया कि हमारे यहां वायरस कंट्रोल आ गया है 

वैसे भी जनता की मौत सरकार के लिए सिर्फ आंकड़ा होती है। चाहे वह सरकार को लोकतांत्रिक सरकार हो कोई तानाशाही सरकार हो या राजशाही हो। सत्ता को जनता की मौत पर कोई फर्क नही पड़ता है सरकार के लिए ये सारी बातें सिर्फ एक आंकड़ा है और वह कुछ समय बाद फाइलों के अंदर धूल चाट रही होती है राजा का एकमात्र कम अपनी सत्ता को बचाना अपने प्रभुत्व का विस्तार करना ही होता है।चाहे वो यह प्राचीन युग हो या वर्तमान यह सत्ता मोह आज तक नहीं बदला है।

पिछले 3 महीनों में लगभग 30 लाख लोग जो विदेशों से देश में आए थे अपने देशों को लौट गए थे और इसमें हजारों ने अपने देश को अनजाने में इस वायरस को फैला दी क्योंकि इसके बारे में कोई जानकारी उनको नहीं थी इसी वजह से बीमारी अमेरिका अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया सभी महाद्वीपों में तेजी से फैलने लगी रोज हजारों लोग मारे जा रहे थे।

हजारों डॉक्टर वैज्ञानिक इस वायरस के इलाज में लगे थे  लेकिन चीन इस वायरस की वैक्सीन और दवा बना चुका था, उसने अपना नया खेल शुरू कर दिया। जल्दी ही उसने घोषणा कर दी कि उसने वैक्सीन बना ली है और उसका क्लीनिकल और जानवरों पर टेस्ट सफल हो गया है। इंसानों पर जल्दी ही इसका प्रयोग शुरू किया जाएगा। पूरी दुनिया उसे उम्मीद से देख रही थी कि अचानक आई कुछ खबरों खबरों ने इस हीरो को हीरो से विलन बनाना शुरू कर दिया।कुछ पत्रकारों ने यह दावा किया कि चीन में यह बीमारी उस मात्रा में नहीं फैला जैसा दिखाया गया है। यह चीन की किसी लेबोट्री से निकला वायरस है। इसकी दवाइयां पहले ही बना कर रखी हुई है जिसको वह बेचने वाला है। इस खबर के बाद वहां के प्रधानमंत्री ने भी बहुत प्रयास किया कि यह दिखाया जाए कि हम पर किसी देश में जैविक हमला किया है। इस खबर को भी विश्व मीडिया में चलाया गया। दोनों तरफ से वाकयुद्ध चल रहा था। दोनो बस एक दूसरे पर इल्जाम लगा रहे थे। विश्व का माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण होता जा रहा था। कभी कभी लगता था कि कोइ  देश कभी हमला ही न कर दे। इस बीच देश ने पूरी दुनिया के आर्थिक संस्थानों पर बहुत ज्यादा पैसा इन्वेस्ट किया। बहुत सी बड़ी-बड़ी कंपनियों को खरीद कर अपने नाम कर लिया गया था। 
जैसा कि प्लान किया था उसी के अनुसार दुनिया भर की तेल उत्पादक देशों के उत्पादन के कारण और दुनिया में मांग के बिल्कुल कम हो जाने के कारण तेलों के दाम बहुत नीचे पहुंच गए जिसका कुछ बड़े देशों में अपना तेल फूल बढ़ाने में इस्तेमाल किया क्योंकि यह प्लान का हिस्सा था इसलिए  चीन ने अरबों बैरल तेल खरीद कर जमा कर दिया गया। और बहुत सा क्रूड ऑयल के इम्पोर्ट के लिए नए आर्डर भी दिए जा रहा था। आयल के दाम आज से 40 साल पुराने भाव से भी नीचे पहुंच गए है। 

सारी प्लानिंग इतनी अच्छी चल रही थी जिसकी उम्मीद शायद हैपिंग को खुद भी नहीं रही होगी। यह प्लानिंग किसी फ़िल्म के आस्कर विनिंग सीन के जैसी चल रही थी और हैपिंग कुशल डायरेक्टर की तरह उसे निर्देशित किये जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि कोई भी गलती होने की गुंजाइश  है ही नहीं। शायद इतनी अच्छी तरह तो शायद विधाता ने सृष्टि का निर्माण भी नहीं किया होगा। वो ये सोच कर अपने आप में अहंकार को भर रहा था और हो भी क्यों न इतनी बड़ी प्लानिंग करना और उसका इतने सटीक तरीके से पूरा हो जाना अहंकार पैदा करने के लिए और क्या चाहिए होता है? ये वायरस जिस मकसद से बनाया गया वो पूरा हो रहा है। दुनिया मे उन्हीं के पैसे से आज छोटी बड़ी अधिकार कंपनियों में आज इनके बहुत से शेयर है, वो भी इतने की जब चाहें तब उन कंपनियों को अपने हिसाब से काम करवाने पर मजबूर कर लें। विश्व मे आज सिर्फ एक ही देश मे प्रोडक्शन हो रहा है, और पूरा विश्व बन्द हो गया है। आज सबसे कम दामो पर सबसे बड़ा तेल पुल भंडारी बनाया गया है। रंजिनितक और रणनीति के स्तर पर आज कोई देश सामने नही। हर अमीर देश घुटने पर गिरा हुआ है और अपनी आबादी को बचाने के लिए अपने सारे तंत्रों को झोंक रखा है। आज अगर सच में कोई सबसे अच्छी स्थिति में है तो वो है हैपिंग और उसका देश।

लेकिन इसका बहुत फायदा प्रकृति को भी हुआ। सब बन्द होने से प्रकृति ने अपने सुंदर मनमोहक रूप को फिर से पाना शुरू कर दिया। लेकिन प्रकृति शक्ति है, माँ है वो सब भूल के जल्दी ही माफ कर देती है। लेकिन इंसान ने विगत कुछ दशकों में प्रकृति का जो चीर हरण किया उसके ये परिणाम तो निश्चित ही आने थे। लेकिन एक माँ होने के कारण प्रकृति मानव को खत्म होने भी नही दे सकती थी न।अचानक ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद किसी को ना थी। 

जिस तरह समय का एक ही काम है चलना उसी तरह जीवन का भी एक ही काम है उन्नति करना अपने को परिष्कृत करना, अपना विकास करना। ये विकास ही तो जीवन की सार्थकता है। इसी लिए पृथ्वी पर जीवन ने हमेशा अपने को विकसित किया है। जीवन का सूक्ष्म रूप में अवतरित होने से लेकर मानव के वानर से मानव रूप तक विकास करना उसी का उदाहरण है। यहां भी ऐसा ही कुछ हुआ। डॉक्टर चिंग के इस वायरस ने अपने आपको विकसित किया। काफी कम समय मे ही इस वायरस का स्वरूप काफी बदल गया। ये इतना बदल गया था कि इसकी रचना करने वालो ने ये सोचा ही न होगा कि ये भी हो सकता है। यही अंतर है मानव और सृष्टि के रचियता में। मानव जो नही सोचता वो भी हो सकता है, और प्रकृति जो नही सोचती वो हो ही नही सकता। 

वायरस सबसे पहले जहां से निकला था वहां की भौगोलिक, प्राकृतिक, स्थितियों के कारण वहां ये वायरस अपने आप को इतना बदल चुका था कि पहले से बनाई गई दवा या वैक्सीन इसपर निष्प्रभावी थे। ऐसा शायद वायरस में छेड़छाड़ करते हुए उसके जेनेटिक कोड में कुछ परिवर्तन के कारण हुआ। और अचानक इस वायरस में वायरस ने चीन के सभी शहरों में अटैक कर दिया जिसका चीन को अंदाजा नहीं था। बहुत से शहरों में एक साथ इस नए अवतरित वायरस की चपेट में आ गए। क्योंकि विश्व मे सिर्फ एक यही देश था जहां न तो कुछ बन्द हुआ था न इसने कभी सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। इस बार एक और बात पहले से अलग थी वो थी कि इस बार इस देश मे कोई विदेशी नही आ रहा था। विश्व के सभी देश बिल्कुल बन्द अवस्था में डोडेन से लड़ रहे थे। और इसके जन्मदाता के यहां उसी के परिष्कृत रूप का हमला हो गया। बिना किसी तैयारी के रहा ये देश देखते ही देखते वक़्त की खमोश लाठी का शिकार हो गया। सर्फ चार से पांच दिनों में हजारों लाखों लोग इसके शिकार हुए। पहले से बनाई गई दवाइयां और वैक्सीन इस नए वायरस पर असरकारक साबित नहीं हो पा रहे थे। 

अचानक हुये इस हमले की वजह से देश में हाहाकार मच गया उसने अपने आप को पूरी तरह उसे बंद करना पड़ा। लेकिन जब तक ये फैसला लिया गया देश के लगभग हर कोने में ये फैल चुका था। आज हालात ये हो गए कि विश्व मे कुल संक्रमित लोगों की संख्या से तीन गुना ज्यादा नए वायरस से संक्रमित लोग यहां हो गए। देश की जनसंख्या का 25 पर्सेंट भाग इस वायरस से संक्रमित हो गई थी जिसका कोई इलाज नही था। लाखों लाख लोग कुछ ही दिनों में मारे गए उनके सारे इलाज की सारी तकनीक इस वायरस के अपडेटेड वर्जन प्रभावी नही हो पा रही थी जिससे उसकी हालत इतनी खस्ता कर दी कि वह कुछ कर पाने के लायक ही नहीं था। जल्दी ही उसकी अर्थव्यवस्था गिरने लगी और उसकी स्थिति पहले से कहीं ज्यादा खराब हो गई। उसकी सारी कंपनियां बंद होती गई अरबो के आर्डर कैसिल करने पड़े जिसके लिए उसे बहुत ज्यादा हर्जाना भी देना पड़ा। लाखों की संख्या में मारे गए। उनको अपनी सारी शक्ति अपने लोगों को बचाने में लगानी पड़ी। जिससे कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। जिसकी उम्मीद उसको नहीं थी, उसके साथ वही हुआ। इस बार ये वायरस देश के बाहर कहीं नही फैल पाया।

अचानक एक दिन हैपिंग के घर के आगे एंबुलेंस खड़ी थी और उन्हें जल्दी-जल्दी में हॉस्पिटल ले जा रहा था। सांस लेने में दिक्कत आ रही थी टेस्ट करने पता चला कि उनको भी नए वायरस ने अपना शिकार बना लिया है। यह वायरस इतना ज्यादा फैल गया था कि तमाम इलाज के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी। और 8 दिन मौत से जूझने के बाद इतनी बड़ी प्लानिंग का रचयिता खुद अपने ही प्लान में फंस कर मारा गया। इसलिए कहते हैं  प्रकृति लाठी में आवाज नहीं होती। जब समय का डंडा चलता है तो यही होता है। जब आप प्रकृति के लिए खतरा बनोगे तो प्रकृति अपने को बचाने के लिए नए रास्ते तलाश लेगी।  

विश्व को इस वायरस से निपटने में 18 महीने लग गए। नई दवाओं और वैक्सीन की वजह से मानव जाति पर से ये भयानक वायरस का खतरा छंट चुका है। लेकिन इस मुसीबत के प्रणेता को इस वायरस से निकलने में 2 साल अब ज्यादा समय लगा। उसकी आर्थिक विश्व के देशों से कहीं ज्यादा खराब है। विदेश में बनी नाइ दवाइयों और वैक्सीन की मदद से अब 2 साल बाद देश मे वायरस कन्ट्रोल में आया। लेकिन सभी देशों ने अपने को काफी हद तक आत्मनिर्भर बनाया और अब उनकी निर्भरता चीन पर कम हो गई है। लोग अपना सामान खुद बना रहे हैं। लेकिन चीन भी अपने आप को फिर से स्थापित करने की कोशिशों में लगा है शायद वह इसमे सफल भी हो जाएगा। क्योंकि बड़ी मात्रा में उत्पादन कि जो क्षमता उसके पास है वो विश्व मे कहीं नही है। यह उसे भी पता है की इस बार फिर पहले की स्थिति आने में सालों के समय लग जायेगा। यह उसे खुद को पता है कि ये जो कुछ हुआ उसकी वजह से ही हुआ। लेकिन उसकी हालत देख कर पूरी दुनिया अब यह नहीं मानती कि इसे किसी ने जानबूझ कर फैलाया था। लेकिन जो गलत करता है उसको तो पता ही होता है कि गलती उसकी थी। वो ईश्वर सब जानता है वो सबका न्याय करता है। विकास का कोई शॉर्टकट नही होता, विकास तो परिश्रम के राह पर चल कर पाए जाने वाली अनमोल पूंजी है।

              ____________________________

आपका पढ़ने के लिए शुक्रिया। ये कहानी बिल्कुल काल्पनिक है। इसका किसी देश, काल, भाषा, धर्म, विचार, परिस्थिति, से कोई लेना देना नही है, देश भाषा, या अन्य सभी हालात और नाम का प्रयोग सिर्फ लिखने की सुविधा के लिए लिया गया है। अगर मौजूदा किसी हालात इस कहानी की समानता महज एक संयोग माना जाए।

Comments

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं