खौफ का नाम डोडेन (doden) भाग 3

अभी तक अपने पढ़ा कि एक लैब में एक खतरनाक वायरस पर काम चल रहा है। उनके वायरस बनाने की तकनीक और उस वायरस के इस्तेमाल के लिए खुफिया मीटिंग चल रही है, अब आगे देखते है कि क्या हुआ। तो आइए दोस्तों चलते है उसी मीटिंग में....

इसके बाद हमारा अगला चरण शुरू होगा वो चरण हमे विश्व मे बहुत बड़ी छलांग देगा। हमारे जद में दुनिया के सभी बड़े देश होंगे। हैपिंग ने आगे बोलना शुरू किया।

हमारी लैब पर बहुत से देशों की नज़र है इसलिए हमे ये भी दर्शाना है कि ये बीमारी किसी प्राकृतिक जगह से आई। 
हमारे तटों पर एक दिन अचानक हज़ारो हज़ार मछलियां मरी पाई जाएंगी जिसका कारण पता नही होगा। वैज्ञानिक उसपर शोध करेंगे की क्या हुआ लेकिन उनको कोई कारण नज़र नही आएगा। इसकी खबर बहुत जोर शोर से प्रसारित की जाएगी वीडियो फ़ोटो, यहां तक कि विदेशी लोग भी जहां जा पाए ऐसी जगह भी ये सब होगा। ताकि इस खबर को विदेशी मीडिया में भी जोर शोर से स्थान प्राप्त हो। उसके कुछ ही दिनों बाद समुद्र के पास के जंगलों से कुछ जंगली जानवरों अजीब सी बीमारी की हालत में पकड़ कर लाये जाएंगे। और धीरे धीरे अनजानी बीमारी से वो मर जायेंगे। समुद्र में मछलियों का ऐसे पाया जाना 2 या 3 बार कुछ दिनों के अंतराल पर होगा ताकि सबको लगे कि कुछ ऐसा हो रहा जिसकी खबर किसी को नही। उन जानवरों का इलाज जिस हॉस्पिटल में होगा उसी हॉस्पिटल के डॉक्टरों को पहले वायरस का शिकार होना होगा। इसमे इसके बाद ये फैलेगा। इससे अपने लैब पर से लोगो का ध्यान हटा देंगे। इसके लिए कुछ लोगो को मारना पड़े तो मारना होगा। किसी कैमिकल से या मछलियों को पकड़ कर उनको फैलाना पड़े फैलाये जायँगे। कोई भी मरे लेकिन ये योजना सफल होनी ही है। 

सबसे बड़ा खतरा वो होंगे जो अभी भी खोजी पत्रकारिता करते है। कुछ देश जहां पहले पत्रकारो की अहमियत थी वहां की सरकारों ने उसको खत्म कर दिया। वो बिना कुछ समझे सरकार के लिए काम करते ही है आगे भी करेंगे। बहुत से देशों की सरकारें अपनी खराब व्यवस्था का ठीकरा इस वायरस पर फोड़ कर मन ही मन खुश होंगी। ऐसे बहुत से बड़े देशों में होगा, वो हम पर कीचड़ उछालेंगे लेकिन उनको कोई ऐसा कारण नही देना की हम गुनाहगार साबित हो।

हम शुरू में इस वायरस के बारे में कम से कम जानकारी देंगे। लेकिन जब तक दुनिया इस बारे में पता करेगी बहुत देर हो चुकी होगी। और दुनिया मे इसका प्रभाव बढ़ता चला जायेगा। फिर हम सबको बताएंगे कि सब कुछ बन्द कर देना ही इसका इलाज है। हम अचानक से अपने बड़े शहर बन्द करने की खबर को फ़ैलेने देंगे। जिससे लोगो को लगेगा कि हमने अपनी करोड़ो की आबादी, लाखो करोड़ के काम वाले कल कारखाने बन्द कर दिए। इससे कोई बाद में शक नही कर पायेगा। जिन देशों की स्वास्थ्य सेवाएं सही नही है, वो मजबूरी में हमारी बात मानेंगे, और सब कुछ बंद करके अपने आप को बचाने का प्रयास करेंगे। और जिनके पास पैसा है उनको ये अभिमान रहेगा कि हमरी व्यवस्था  के सामने इस बीमारी की क्या औकात। और यही अभिमान उनको बहुत भारी पड़ेगा। हैपिंग आगे बोलता है।

जब दुनिया अपने आपको बंद कर चुकी होगी, जब उनकी सारी आर्थिक गतिविधियां बन्द होकर सिर्फ और सिर्फ अपने आपको, अपने नागरिकों को बचाने में होगी तब हम अपने प्रमुख शहर में आर्थिक गतिविधियों को खोल कर वायरस पर कन्ट्रोल होने की घोषणा कर देंगे। इससे ये धारणा को बल मिलेगा की इसका संचार रोकना ही इसका इलाज है। लोगो को गुमराह करने के लिए हम बहुत से ऐसे फैसले लेंगे जिससे लोगों को लगेगा हम अति सक्रियता दिखा रहे है। और बड़े विकसित देश इस वायरस की खबर को ज्यादा गंभीरता इसे नही लेंगे। क्योंकि उनको अपनी स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत ज्यादा भरोसा है। बात भरोसे की नही सच मे उनकी स्वास्थ्य सेवाएं हमसे सेकड़ो गुना ज्यादा अच्छी हैं। हमारी खबरे भी ऐसी होंगी जिससे इस वायरस को गंभीरता से कोई लेना नही चाहेगा इस। शुरू हमारे आंकड़ो में कुल टेस्ट किये लोगों का 8% लोग ही वायरस से पॉजिटिव आएंगे और उनमें से सिर्फ 1% की ही मृत्यु होगी। लेकिन जब ये बीमारी ज्यादा ज्यादा फैलेगी तो हम 1% के आंकड़े को 4% के आस पास कर देंगे जिससे लोगो को ये न लगे कि हमारे आंकड़े गलत है। अगर उनमें और सुधार की जरूरत पड़ी तो वो भी हम करेंगे। 

जब ये बीमारी इन देशों में फैलेगी तो ये विकराल रूप ले लेगी कुछ ही दिनों में इन देशों के आंकड़े हमसे कई गुना ज्यादा हो जाएंगे। तो उनको देख कर पूरी दुनिया अपने आप को बंद कर लेगी। यही होना हमारे अगले चरण की शुरुआत होगी। हैपिंग मुस्कान के साथ बोलता है।

दुनिया भर में सब बन्द होने के बहुत ज्यादा असर पड़ेंगे। सबसे पहले आर्थिक गतिविधियां बिल्कुल बन्द हो जाएंगी और अनिश्चय के कारण शेयर बाजार धराशायी हो जाएंगे। ये दहशत इतनी ज्यादा होगी कि जो दूसरे विश्वयुद्ध में भी न हुई हो। इसी हालात में बहुत सी कंपनियों का दिवाला निकल जाएगा। शेयर बाज़ार इतना गिरेगा की आर्थिक जगत सोच भी नही सकता। इसका फायदा हम उठाएंगे। पिछले 5 से 6 सालों में हमने हर बड़े और हर महत्वपूर्ण देशों में अपनी फर्जी कंपनियां तैयार की है जो कहने को तो वहीं की है लेकिन वास्तव में वो हमारी कंपनियां है, ये कंपनियां पैसे शेयर मार्केट में लगा रही है हमारी तरह ही सस्ता प्रोडक्शन का दावा कर रही हैं लेकिन वो सब माल हमसे ही मंगवाती है और वहां सिर्फ लेबलिंग करके अपने नाम से बेच कर अच्छा नाम कमा रही हैं। लेकिन जैसे ही ये वायरस का असर पड़ने लगेगा ये कंपनियां दुनिया भर में हाहाकार मचा देंगी। ये सभी अपने  खरीदे हुए सारे शेयर कुछ ही मिनटों में बेच देंगी जिससे बाजार में भयंकर रूप से अफरातफरी मच जाएगी। इतनी ज्यादा बिकवाली से सभी लोग दहशत में होंगे और बाजार गिरते चले जायेंगे, ऊपर से बंद होती दुनिया इस आग में घी का काम करेगी। लेकिन उससे पहले हम सारे शेयर बेच चुके होंगे और हमे कोई ज्यादा नुकसान नही उठाना होगा। 

शेयर मार्किट के बहुत ज्यादा गिरने पर हम वही शेयर जो बेच कर हमने बाजार को हिला दिया था को 25 से 35% दामो पर खरीद लेंगे। यानी हमारा 1 बेचा शेयर हमे 3 शेयर दिला देगा जो आगे हमारे काम आएगा। हम दीवालिया हुई अच्छी कंपनियों को भी खरीद लेंगे। हमारा लक्ष्य विश्व की सभी बड़ी कंपनियों के ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदने का है। हम इस तरह विश्व की 15 से 20% मार्किट पर और कब्जा कर लेंगे। हैपिंग लगतार बोलता जा रहा है।

विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति होने के लिए एक और बेसिक चीज़ है वो है क्रूड ऑयल। दुनिया मे जिसके पास जितना अधिक तेल वो उतना बड़ा है। सबसे बड़े देश के पास लगभग 165  दिन का रिज़र्व है हमारा मकसद अपना रिज़र्व आयल को 340 दिन का बनाना है। और हम इसको बहुत कम दामो पर बना लेंगे। ये कैसे होगा इसका भी प्लान बनाया गया है। दुनिया की बंदी के बाद लंबे समय के लिए उत्पादन और सभी सेवाएं बन्द रहेंगी और तेल की मांग 20% से भी नीचे के स्तर पर आ जायेगी। इतने कम मांग होने और उत्पादन लगातार होते रहने के कारण तेल के दाम अत्यधिक कम हो जाएंगे। तेल उत्पादक देश जब तक उत्पादन घटाने के बारे में फैसला लेंगे तब तक हम तेल की भारी मात्रा में खरीदारी करेंगे और तेल का भंडार बढ़ाएंगे। हमने तेल के भंडारण के लिए बहुत बड़े स्थानों का चयन किया है और उनमें भंडारण के लिए  सभी उपाय किये जा चुके हैं। उन 10 से 15 दिनों में हम अभी से 40% से भी कम दामो में अथाह तेल खरीद लेंगे जिससे विश्व मे हमारी स्थिति मजबूत से मजबूत हो जाएगी। लेकिन इस सभी बातों को छुपा कर रखा जाएगा और समय आने पर ही इसकी खबर बाहर हो पाएगी। समय बीतने के साथ हम विश्व के सबसे बड़े देशों में होंगे सबसे अमीर सबसे ताकतवर। हैपिंग कुटिल मुस्कान के साथ बोलता है।

रही हमारी मेडिसिन और वैक्सीन की बात तो जैसे ही हमे लगेगा की कुछ देश दवाई बनाने और वैक्सीन बनाने के करीब है तो हम घोषणा करेंगे कि हमारी मेडिसिन का मानव पर टेस्ट सफलता पूर्वक पूरा हो गया है और कुछ ही दिनों में सेम्पल सभी देशों को दिया जा सकता है। जिससे देशों में हमारी धाक और बढ़ जाएगी। कुछ ही दिनों में हम वैक्सीन के लैब ट्रायल पूरे होने और पशुओं पर टेस्टिंग स्टार्ट करने की घोषणा कर देंगे। जिससे जब हम ये दवाइयां मार्किट में उतारें तो किसी को कोई शक न हो। हम इन मेडिसिन और वैक्सीन को विश्व की मार्किट में सबसे पहले उतार देंगे और इस क्षेत्र में अग्रणी हो जायेगें। यही से हमारी उन्नति की कहानी शुरू होगी। हम विश्व मे नंबर 1 पर होंगे। किसी की औकात नही होगी जो हमे आंख दिखाए। हैपिंग ने जोश में आकर कहा।

लेकिन। लेकिन सुनते ही सभी लोग हैपिंग को देखने लगे। अगर सभी देशों ने आंकड़ो पर विश्वास नही किया और ये नही माना कि हमने कैसे वायरस पर काबू कर लिया, और यदि उनका शक बना रहा कि ये वायरस के उत्पति में हमारा हाथ है तो हमारे थोड़ी लिए मुश्किल होगी। उसके लिए एक अलग प्लान है। अगर हमारे ऊपर झूठ बोलने, वायरस फ़ैलाने के ज्यादा आरोप आगे और कुछ हमारे हाथ से निकलता दिखा तो हम एक गुप्त प्लान पर काम करेंगे। उस प्लान का होना न होना भविष्य में हमारी स्थिति पर तय करेगा। लेकिन अगर हम को ये प्लान लागू करना पड़ा तो हमारे लिए थोड़ी बुरी स्थिति होगीं। लेकिन जो भी हो जो ठान लिया वो करना है। ये युद्ध है। अगर कभी भी हमे हमारे देश की स्थिति खराब होती है तो  दिखी तो हम देश के दक्षिण और दक्षिण पशिम भाग में जहां विदेशियों की जनसंख्या ज्यादा है  और उन राज्यो में बुजुर्गों की जनसंख्या देश के कुल औसत का चार गुना ज्यादा है में चलाएंगे।

क्या है ये गुप्त प्लान। क्या करने जा रहा है हैपिंग। आखिर क्या मानव सभ्यता का अंत नजदीक है?? पढ़ने के लिए इंतज़ार कीजिये अगले भाग का।

Comments

Popular posts from this blog

अरमानों पर पानी है 290

रिश्ते

खिलता नही हैं